रचनाकार अपनी रचना से सकारात्मक संदेश देते हुए समाज क दिशा और दिशा सुधारे में भूमिका निभाता है- रामचंद्र फुहार
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की काव्य गोष्ठी का आयोजन बिबड़ौद में किया गया। इसमें रचनाकारों ने पचनाएं प्रस्तुत कर विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । साहित्यिक गतिविधियां वर्तमान में बहुत ज्यादा हो रही हैं। यही वजह कि आज रतलाम में सबसे ज्यादा काव्य संग्रह का प्रकाशन भी अधिक हो रहा है। यह रचनाकार की सक्रियता और सजगता का परिणाम है। प्रत्येक रचनाकार अपनी रचना के माध्यम से सकारात्मक संदेश देते हुए समाज की दशा और दिशा सुधारने के लिए भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रचनाकार को जो दिखता है वही वह लिखता है।
उक्त उद्बोधन वरिष्ठ साहित्यकार रामचंद्र फुहार ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद की काव्य गोष्ठी में दिया। आयोजन शिवगढ़ के देवेंद्र वाघेला के बिबड़ोद स्थित निवास पर हुआ। मुकेश सोनी, अकरम खां शेरानी, दिनेश उपाध्याय ने अपनी ग़ज़लें पेश कीं। सुभाष यादव ने मूछों को केंद्रीय भाव में रखकर अपनी रचना पढ़ी। कैलाश वशिष्ट ने दोहे सुनाकर काव्य को नई ऊंचाइयां प्रदान की।
श्यामसुंदर भाटी, कैलाश वाघेला, तृप्ति सिंह सिकरारी, नरेंद्र सिंह पंवार ने काव्य के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए अपनी रचनाओं के माध्यम से भक्ति का संदेश और प्रेम की बात को प्रबलता के साथ सदन में रखा। संयोजक वाघेला ने भी संबोधित किया। जुझार सिंह भाटी ने व्यंग्य कविता पाठ करने के बाद मां की महिमा रूपी रचना सुनाई, यशपाल सिंह तंवर ने अपना फिल्मी अंदाज में लिखा गीत सुनाया तो प्रकाश हेमावत ने राजनीतिक परिदृश्य पर हास्य व्यंग्य पढ़ा।
रश्मि पंडित आजाद भारती, डॉ. खुशबू जांगलवा, सतीश जोशी, सुरेश माथुर, ज़वेरीलाल गोयल ने विभिन्न पहलुओं को केंद्रीय भाव में रखकर अपनी रचना सुनाई। शाजापुर से ओमप्रकाश परमार, इंदौर से जय वाघेला, शिवगढ़ से किरण वाघेला, शारदा परमार और स्पर्श आदि उपस्थित रहे। संचालन प्रकाश हेमावत ने किया। आभार प्रदर्शन देवेंद्र वाघेला ने किया।