रंगमंच और हम ! रंगमंच के लिए बढ़ रहीं चुनौतियां, सरकार का रुख भी उदासीन, चेतनाशील लोगों को इकट्ठा होकर इस दिशा में काम करने की जरूरत- अविजित सोलंकी

रवींद्र नाथ टैगोर स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर अविजित सोलंकी ने रंगकर्म को लेकर पुनर्मूल्यांकन और चिचंतनशील लोगों द्वारा इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता जताई है।

रंगमंच और हम ! रंगमंच के लिए बढ़ रहीं चुनौतियां, सरकार का रुख भी उदासीन, चेतनाशील लोगों को इकट्ठा होकर इस दिशा में काम करने की जरूरत- अविजित सोलंकी
रंगकर्म और हम बैठकी में संबोधित करते रवींद्र नाथ टैगोर स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर अविजित सोलंकी, समीप हैं साहित्यकार एवं प्रोफेसर रतन चौहान।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । थिएटर (रंगमंच) किसी एक तबके के लिए नहीं है, यह सबके लिए है। इसका हर समुदाय और तबके लिए अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। मौजूदा दौर में रंगमंच के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। सरकार का रुख इसके प्रति बहुत उदासीन है। ऐसे में इसका पुनःमूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है। चेतनाशील लोगों को इकट्ठे होकर ऐसे अवसर पैदा करने की जरूरत है जहां हम ऐसा काम करें जो रंगमंच के स्वर्णिम दौर को रिफलेक्ट करे, विमर्श और बहस पैदा करे, कोई सवाल खड़ा कर पाए।

यह बात रवींद्र नाथ टैगौर स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर अविजित सोलंकी ने रतलाम में कही। वे युगबोध, जन नाट्य मंच एवं जनवादी लेखक संघ द्वारा जीडी अंकलेसरिया रोटरी हाल में आयोजित बैठकी (विमर्श) में रंगमंच और हम विषय पर बोल रहे थे। विमर्श में वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी, प्रोफेसर रतन चौहान तथा एडवोकेट यूसुफ जावेदी ने भी हिस्सा लिया। उनके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए अविजित ने कहा कि आज कलाकार को पोलिटिकली कमिटेड होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मेरी व्यक्तिगत रुचि रंगमंच रही है और मेरा शोध ‘रंगमंच व हिंसा’ के ऊपर रहा है। सोलंकी ने रंगमंच से जुड़ विभिन्न पहलुओं पर सिलसिलेवार जानकारी दी।

चेतना का विकास कर इनसान बनाता है रंगमंच

सोलंकी ने कहा कि रंगमंच हमारे जींस में है। शायद इंसान ने अपने आपको भविष्य में देखा, अपने आपको इतिहास में परखा होगा शायद तभी रंगमंच का इजाद हुआ होगा। यह चेतना का विकास कर इनसान को इनसान बनाता है। इससे व्यक्ति अपनी पहचान कर सकता है, अपने काम की समीक्षा भी कर सकता है। वह दूसरे के जीवन को भी देख सकता है। वर्तमान हालात में रंगमंच हमसे दूर होता जा रहा है, बाजार हमसे दूर कर देना चाहता है। इसी को देखते हुए रविंद्र नाथ टैगोर स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा तीन-तीन दिन की कार्यशाला की जा रही है इसमें यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि रंगमंच से हम खुद को कैसे जोड़ें, नए लोगों से कैसे मिलें और रंगमंच का मजा कैसे लें। हम कोशिश कर रहे हैं कि यह स्कूल एक वैकल्पिक नाट्य विद्यालय बने, यह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा या एमपी स्कूल ऑफ ड्रामा बनकर नहीं रह जाए।

किसी एक तबके लिए नहीं है थिएटर

सोलंकी के अनुसार कलाकार एकतरफा हो तो उसमें और जो हम विज्ञापन देखते हैं, उसमें कोई फर्क नहीं रह जाएगा। यह कला का उद्देश्य भी सार्थक नहीं करता। थिएटर किसी एक तबके के लिए नहीं है, यह सबके लिए है। इसका हर समुदाय और तबके लिए अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। अविजित ने अपने बचपन और थिएटर से जुड़ाव की जानकारी भी साझा की। उन्होंने बताया कि किस तरह रंगमंच को स्थानीय भाषा-बोली के माध्यम से लोकप्रिय बनाया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने अपने गौंड समुदाय के बच्चों के साथ किए गए काम के बारे में भी बताया। सोलंकी ने करियर की दृष्टि से रंगमंच की उपयोगिता और संभावना पर भी प्रकाश डाला।

रतलाम में स्थायी व्यवस्था करने का दिया सुझाव

विमर्श के दौरान प्रो. रतन चौहान, महावीर वर्मा एवं समाजसेवी गुस्ताद अंकलेसरिया ने अविजित सोलंकी से चर्चा की। अंकलेसरिया ने तो सोलंकी से रवींद्र नाथ टैगोर स्कूल के माध्यम से रतलाम शहर में रंगकर्म के विकास के लिए कोई स्थायी उपक्रम शुरू करने का सुझाव दिया। इस पर सोलंकी ने कहा कि वे इस बारे में वाइस चांसलर संतोष चौबे से चर्चा करने के लिए आश्वस्त किया।

दिवगंत अज़हर हाशमी को दी श्रद्धांजलि, युगबोध के बारे में बताया

इससे पूर्व सर्वप्रथम रतलाम के ख्यात साहित्यकार एवं दिवंगत अज़हर हाशमी को मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान युगबोध संस्था के संस्थापक सचिव एडवोकेट कैलाश व्यास ने दिवंगत हाशमी और युगबोध संस्था से जुड़ा एक संस्मरण साझा किया। उन्होंने बताया कि युगबोध की स्थापना 23 जनवरी 1977 को हुई थी। संस्थापक अध्यक्ष कमलेश भण्डारी थे। तब एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसके मुख्य अतिथि साहित्यकार श्रीकृष्ण सरल थे। अध्यक्षता डॉ. जयकुमार जलज ने की थी। संचालन अज़हर हाशमी ने किया था।

ये रहे उपस्थित

व्याख्यान से पहले रवींद्र नाथ टैगौर स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर अविजित सोलंकी का युगबोध, जन नाट्य मंच एवं जनवादी लेखक संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों ने किया। इस मौके पर सैलाना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं साहित्यकार डॉ. प्रदीप सिंह राव, डॉ. धर्मराज वाघेला, कीर्ति शर्मा, महावीर वर्मा, लगन शर्मा, ललित चौरड़िया, श्याम सुंदर भाटी, विक्रांत भट्ट, रीतेश पंवार, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला, बंटी लुईस, अनंत शुक्ला सहित अन्य मौजूद रहे। संचालन एडवोकेट एवं रंगकर्मी यूसुफ जावेदी ने किया। आभार प्रदर्शन एडवोकेट कैलाश व्यास ने किया।