मप्र के हिन्दू नेता राजेश कटारिया पर गोली चलाने के मामले में समीर, असजद व रिजवान को 10-10 साल की सजा, एक को 3 साल की कैद, एक बरी

रतलाम जिला न्यायालय ने हिंदूवादी नेता राजेश कटारिया पर 10 साल पहले हुए जानलेवा हमले के मामले में चार लोगों को कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले में एक आरोपी को बरी किया गया है।

मप्र के हिन्दू नेता राजेश कटारिया पर गोली चलाने के मामले में समीर, असजद व रिजवान को 10-10 साल की सजा, एक को 3 साल की कैद, एक बरी
हिंदू नेता राजेश कटारिया पर गोली चलाने के मामले में तीन लोगों को 10-10 साल की सजा। एक को तीन साल की कैद की सजा और एक बरी।

10 साल पुराने मामले में तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा, एहतियात के तौर पर न्यायालय परिसर में रही भारी सुरक्षा व्यवस्था 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । हिंदू जागरण मंच के रतलाम जिला संयोजक राजेश कटारिया पर जानलेवा हमला करने के मामले में रतलाम के तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने उक्त गोलीकांड के मास्टर माइंड राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के प्रदेश महासचिव तथा आतंकी संगठन सूफा से जुड़े असजद खान सहित तीन तीन अभियुक्तों को 10-10 साल की कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामले में एक अभियुक्त को तीन साल की कैद हुई है जबकि एक आरोपी को बरी किया गया है। 10 साल पुराने बहुचर्चित मामले को लेकर आए फैसले के मद्देनजर न्यायालय परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। 

जानकारी के अनुसार मंगलवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा के न्यायालय में 10 साल पुराने मामले में सुनाई हुई। मामला हिंदूवादी नेता एवं समाजसेवी राजेश कटारिया पर हुए जानलेवा हमले का था। न्यायालय ने अभियुक्त अभियुक्त रिजवान पिता रमजानी खान, समीर उर्फ बारीक पिता हनीफ खान तथा असजद खान को 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई। तीनों पर क्रमशः 1500, 500 और 1000 रुपए अर्थदंड भी किया गया है। इनके अलावा अभियुक्त शाहिद पिता फरीद खान को तीन साल की कैद तथा 500 रुपए अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। मामले में पांचवें आरोपी अनवर उर्फ अन्नू पिता यूसुफ खान के विरुद्ध पुलिस पर्याप्त साक्ष्य और सबूत पेश नहीं कर सकी जिससे न्यायालय ने उसे बरी कर दिया।

भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आया फैसला 

मामला अत्यंत संवेदनशील होने से सुनाई के दौरान न्यायालय परिसर में काफी गहमा रही। एहतियात के तौर पर न्यायालय परिसर और आसपास सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। सुबह से ही बैरिकेंडिंग कर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था।

यह था मामला

मामला 29 जुलाई, 2013 का है। हिंदूवादी नेता राजेश कटारिया शाम करीब 4.45 बजे रतलाम के इटावामाताजी स्थित वेयर हाउस से सालाखेड़ी चौराहे के पास स्थित पेट्रोल पंप (फ्रैंड्स ऑटोमोबाइल) जा रहे थे। तभी उन पर गोली दागी गई थी। मामले में स्टेशन रोड थाने पर अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध भादंवि की धारा 307, 34 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। विवेचना में पता चला कि कटारिया जब पेट्रोल पंप जा रहे थे तब एक बाइक पर सवार अभियुक्त रिजवान शेरानी तथा समीर और दूसरी बाइक पर सवार शाहिद उर्फ शाहिद हाली पिता हनीफ खान और अनवर मेवाती ने उनका पीछा किया। अभियुक्तों ने पेट्रोल पंप के पास समीर पिता हनीफ खान निवासी न्यू काजीपुरा ने कटारिया को ओवरटेक किया। तभी पीछे बैठे रिजवान ने उन पर दो गोलियां दागीं। एक गोली कटारिया के सीने को छूती हुई उनके बाएं हाथ में लगी जिससे वे घायल हो गए। हमले के बाद रिजवान व समीर धराड़ तरफ और अनवर व सईद रतलाम तरफ बाइक भगा ले गए। गोलीकांड को लेकर हिंदूवादी संगठनों और कार्यकर्ताओं ने काफी विरोध प्रदर्शन भी किया था और रतलाम बंद भी किया गया। तब एसपी द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 5 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित किया गया था। 

इसलिए हुआ था हमला 

बता दें कि, जब हमला हुआ था तब राजेश कटारिया हिंदू जनचेतना मंच के संयोजक थे। अभियुक्तों ने कटारिया द्वारा कपिल राठौड़ सहित अन्य को संरक्षण देने, उनकी लीडरशीप करने और जेल में हुए एक विवाद से नाराज होकर हमले की साजिश रची थी। हमले से पहले उन्होंने कटारिया की रैकी कर पूरी तैयारी की थी। मामले में देशद्रोह के मामले में लिप्त असजद द्वारा षड्यंत्र रचने की बात सामने आई थी। कटारिया पर हमले के लिए पिस्टल और कारतूस भी सिकलीगर से उसी ने खरीदा था।

लैपटॉप की हार्ड डिस्क ने खोला था असजद का राज

मामले की पड़ताल के दौरान पुलिस ने इमरान के लैपटॉप की हार्ड डिस्क जब्त की थी जिसमें इंटरनेट के माध्यम से चैटिंग का रिकॉर्ड मिला था। इसी में असजद का नाम आया था। इमरान के दक्षिण भारत में सक्रिय आतंकी संगठन ‘अल असामा ग्रुप’ के कमांडर यूसुफ से इंटरनेट चैटिंग करने की बात भी सामने आई थी। असजद और उसका साथी इमरान यूसुफ से निर्देश लेकर रतलाम में गतिविधियों का संचालन करते थे। बाद में इमरान और असजद के बीच विवाद हो गया और इमरान सूफा से अलग हो गया था। मामले में पुलिस पर झूठा केस दर्ज करने के आरोप भी लगे थे। रतलाम में भी तत्कालीन एसपी के खिलाफ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था। इसे लेकर भोपाल में धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन भी दिया गया था।