भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी का सुझाव बना हजारों वन्य प्राणियों के लिए जीवनदान, वन क्षेत्र में कम हुए हादसे
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी के सुझाव के चलते देश में वन्य जीवों के संरक्षण संभव हुआ है।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । दुनियाभर में सबसे ज्यादा शेरों वाला देश बन चुके भारत में वन्य जीवों की दुर्घटनाओं में मृत्यु बड़ी समस्या है। वन क्षेत्रों से गुजरने वाले हाई-वे और रेलमार्गों पर वाहनों या ट्रेन की चपेट में आकर वन्यजीवों की मौत की खबरें आए दिन सुनने को मिलती थीं। भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी द्वारा भारत सरकार को दिए सुझाव के बाद इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में पहल की जा रही है। वन क्षेत्रों से गुजरने वाले अनेक प्रमुख सड़कों और रेलवे ट्रैक को वन क्षेत्र के ऊपर या नीचे से निकालने की योजनाएं प्रारंभ कर दी गई हैं। इन पर अमल होने के कारण हजारों वन्य प्राणियों का जीवन सुरक्षित रह सका है।
देश के अनेक वन्य जीव अभयारण्यों में से कई प्रमुख सड़क मार्ग या रेल मार्ग गुजरते हैं। वन क्षेत्रों से गुजरने वाले इन सड़क मार्गों पर चलने वाले भारी वाहनों और रेलवे ट्रैक से गुजरने वाली ट्रेनों की चपेट में आकर वन्य जीवों की मौत एक आम बात सी हो गई थी। पेंच टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ नेशनल पार्क इत्यादि ऐसे अनेक सघन वन क्षेत्र हैं जिनके बीच में से हाई-वे या रेलवे लाइन गुजरती है। ऐसे क्षेत्रों में वन्य जीवों की दुर्घटना में मृत्यु होने की खबरों को देखते हुए भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने करीब आठ वर्ष पूर्व 10 मई, 2015 को तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र लिखकर वन्यजीवों की दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे।
यह दिया था सुझाव
झालानी ने अपने पत्र में लिखा था कि वन क्षेत्रों से गुजरने वाले हाई-वे या रेलवे ट्रैक के दोनों ओर सुरक्षा की दृष्टि से लोहे की जालियां लगाई जाना चाहिए। इससे कि वन्यप्राणी वाहन या ट्रेन की चपेट में आने से बच सकें। झालानी के मुताबिक वन क्षेत्रों में जहां-जहां से सड़क या रेल लाइन गुजरती है, वहां वन्य प्राणियों के स्वच्छंद विचरण के लिए अधिकतम स्थानों पर जहां भी संभव हो सके अंडरपास बनाए जाने चाहिए, जिससे कि वन्य प्राणी इधर-उधर आ जा सकें।
15 जून, 2016 को भेजा था स्मरण पत्र
झालानी ने अपने पत्र में यह भी कहा था कि कुछ ऐसे भी वन क्षेत्र हैं, जहां हाईवे या सड़क बनाना अत्यन्त आवश्यक होता है, लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण परियोजना स्वीकृत नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में ऐसे वनक्षेत्र में बनाए जाने वाले मार्गों को पिलर और ओवरहेड रोड बनाकर ब्रिज बनाते हुए सड़क को निकाला जा सकता है। इससे वन्य क्षेत्र की प्राकृतिकता भी सुरक्षित रह सकेगी और वन्य प्राणियों की भी सुरक्षा हो सकेगी। झालानी ने इस पत्र के करीब एक साल बाद 15 जून, 2016 को भी तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को दोबारा स्मरण पत्र भेजा। अपने इस स्मरण पत्र में झालानी ने थाईलैंड और नीदरलैंड में किए गए इसी प्रकार के उपयों का हवाला दिया था।
ईकोडक्ट से आसान हुई राह
उल्लेखनीय है कि नीदरलैंड में वन्य क्षेत्रों से गुजरने वाले प्रमुख हाईवे पर प्राकृतिक पुल (ईकोडक्ट) बनाए गए हैं, ताकि वन्य प्राणियों के सड़क पर ना करना पड़े। पूरे नीदरलैंड में इस प्रकार के 600 से ज्यादा क्रॉसिंग बनाए गए हैं। इतना ही नहीं ईकोडक्ट पर चलने के लिए घांस और पौधे उगाए जाते हैं ताकि वन्य प्राणियों को अच्छा महसूस हो सके।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए ऐसा पहली बार हो रहा देश में
झालानी द्वारा दिए गए इन सुझावों को भारत सरकार द्वारा अब अमल में लाया जा रहा है। देश के सबसे बड़े नेशनल पार्क कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले करीब 22 किमी लंबे कॉरिडोर में बनाए जा रहे नेशनल हाईवे 7 में 14 एनिमल अंडर पासिंग और 18 पुलियाओं का निर्माण किया जा रहा है। झालानी द्वारा दिए सुझाव के मुताबिक पुलियों और अंडरपास के आसपास दीवार खड़ की जाएगी, ताकि वन्य जीव सड़क पर ना आ सके। हाईवे की उंचाई भी जमीन से काफी अधिक होगी। वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए देश में यह पहली बार गया है।
अंडर पास के कारण थमी दुर्घटनाएं
उल्लेखनीय है कि झालानी द्वारा दिए सुझाव पर अमल करते हुए पेंच टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरने वाले नेशनल हाईवे 44 के 16 किमी के क्षेत्र में 9 एनिमल अंडरपास बनाए गए। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक इन अंडर पासेस के बनने के बाद 10 महीनों में अंडर पासेस में लगाए गए कैमरों में 89 बार बाघ के गुरजने की घटनाएं दर्ज हुईं। इसी तरह 18 प्रजाति के 5450 वन्यप्राणी भी इस अंडरपास से गुजरे। यह स्पष्ट हुआ कि इन अंडरपासेस के कारण हजारों दुर्घटनाएं टल गईं और सैकड़ों बाघ व अन्य वन्य प्राणियों का जीवन सुरक्षित रहा।
बन चुकी है स्पष्ट नीति
झालानी द्वारा दिए सुझाव के चलते ही अब भारत सरकार द्वारा वन्य क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़कों और रेल मार्गों पर वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट नीति बनाई जा चुकी है कि वन क्षेत्रों से रेलवे लाइन या सड़क निकालने पर वन्य प्राणियों की सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखा जाएगा, ताकि विकास की गति भी ना रुके और पर्यावरण तथा प्राणी भी प्रभावित ना हों।