सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में ट्रेनी नन की आत्महत्या का मामला दबाने का प्रयास ! माता-पिता सहित सभी ने साधी चुप्पी, पीएम रिपोर्ट में हो सकता है नया खुलासा

सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल में ट्रेनी नन की आत्महत्या के मामले को लेकर अब तक पुलिस कोई खुलासा नहीं कर पाई है। उड़ीसा से आए मृतका के माता-पिता भी चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में मामला दबाए जाने की आशंका बढ़ गई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व पदाधिकारी ने भी इसकी आशंका जताई है और मुख्यमंत्री व गृहमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में ट्रेनी नन की आत्महत्या का मामला दबाने का प्रयास !  माता-पिता सहित सभी ने साधी चुप्पी, पीएम रिपोर्ट में हो सकता है नया खुलासा

11वीं में पढ़ने वाली छात्रा ने गुरुवार रात स्कूल के कमरे में लगा ली थी फांसी, सिर में चोंट और गले में निशान मिले, शव भी जमीन पर पड़ा मिला था, एबीवीपी ने की संदिग्ध मामले की जांच की मांग

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल रतलाम में ट्रेनी नन की आत्महत्या का मामला अनसुलझी पहेली बनता जा रहा है। शनिवार को उड़ीसा से रतलाम आए मृतक छात्रा के माता-पिता भी इस मामले में कुछ भी बोलनेे से बचते रहे। अभी तक पुलिस भी यह पता नहीं कर पाई है कि युवती ने आत्महत्या क्यों की। शनिवार को पीएम हुआ जिसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में घटना को लेकर सवाल उठने लाजमी हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व पदाधिकारी ने तो मामले को दबाए जाने की आशंका भी जताई है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

मप्र के रतलाम जिला मुख्यालय स्थित सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल का विवादों से पुराना नाता है। ताजा मामला उड़ीसा की एक युवती द्वारा स्कूल के कमरे में फांसी लगाकर जान देने का है। कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली युवती की मौत का रहस्य अभी भी बरकरार है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिर उसने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया और वह भी पढ़ाई के दौरान। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व नगर अध्यक्ष मनीष शर्मा ने मामले में मुख्यमंत्री एव प्रदेश के ग्रहमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग की है।

परिषद के पूर्व पदाधिकारी शर्मा का कहना है कि कक्षा 11वीं की  छात्रा पढ़ाई करने के साथ यहां नन बनने की ट्रेनिंग लेने आई थी। उसने संदिग्ध परिस्थिति में  फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अतः मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। शर्मा का आरोप है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रशासन को गुमराह कर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

कॉन्वेंट स्कूल में युवती के आत्महत्या करने को लेकर सवाल उठने की वजह घटनास्थल की परिस्थितियां हैं। दरअसल युवती सहपाठियों के साथ पढ़ाई करने के दौरान अचानक खाना खाने का कह कर अपने कमरे में गई थी। इसके बाद जब अन्य छात्रा उसके कमरे में पहुंची तो पता चला कि युवती ने फांसी लगा ली है। सूत्रों के अनुसार युवती के गले में निशान तो थे ही, सिर पर भी चोट मिली। इतना ही नहीं वह फर्श पर पड़ी मिली।

...तो क्या नन नहीं बनना चाहती थी युवती ?

सूत्रों से पता चला है कि युवती आई तो नन बनने ही थी लेकिन बाद में उसका मन बदल गया। इस बारे में स्कूल प्रबंधन और उसके परिजन को भी उसने बता दिया था। बताया जा रहा है इसे लेकर उस पर मानसिक दबाव था। फिलहाल इस बारे में हम दावे के साथ कुछ नहीं कह सकते। 

घटना ने दिया इन सवालों को जन्म

  • जब युवती पढ़ाई छोड़ कर अपने कमरे में गई तब उसकी मनःस्थिति क्या थी? अगर वह उग्र या व्यग्र थी तो साथ पढ़ रही छात्राओं को क्या कुछ गलत होने का अंदेशा हुआ? अगर अंदेशा हुआ तो उन्होंने उसे अकेला क्यों छोड़ दिया ?
  • युवती फंदे पर लटकी होने के बजाय जमीन पर पड़ी मिली। यदि फंदा टूटा या खुला और वह गिरी तो क्या इस दौरान किसी तरह की आवाज नहीं हुई ?
  • फांसी लगाने के लिए किसी चीज (स्टूल-कुर्सी-पलंग इत्यादि) का उपयोग हुआ ही होगा। इसके बिना ऊंचाई वाली जगह बंधे फंदे तक पहुंचना संभव नहीं। ऐसे में फंदा खुलने या टूटने पर वह चीज गिरी होगी तो उसकी आवाज भी जरूर हुई होगी। अगर आवाज हुई थी तो फिर किसी ने सुनी क्यों नहीं ? किसी ने आवाज सुन कर अनसुनी तो नहीं कर दी ?
  • फंदे पर झूलने के कितनी देर बाद युवती जमीन पर गिरी ? यदि तत्काल गिरी तो संभव है कि वह तब जीवित रही होगी और उसे बचाया जा सकता था ?
  • सूत्र बता रहे हैं कि युवती के सिर पर चोट के निशान मिले। यदि ऐसा है तो ऐसा कैसे हुआ होगा क्योंकि फंदा टूटने-खुलने से गिरने पर चोट पैरों में लगनी चाहिए न कि सिर में। सिर में चोट तभी लग सकती है जब कोई सिर के बल गिरे। ऐसा तब संभव है जब उसके हाथ बंधें हों ?
  • अगर किसी के हाथ बंधे हों तो सवाल यह उठता है कि उसने खुद फांसी कैसे लगाई ?
  • यह भी देखने वाली बात है कि वार्डन या स्कूल की सिस्टर्स और नन्स छात्र-छात्राओं के कक्ष से कितनी दूर रहती हैं ? क्योंकि प्रायः दूरी इतनी होनी चाहिए कि यदि छात्र-छात्राओं को कोई तकलीफ हो तो वे जल्द से जल्द जिम्मेदार वहां पहुंच सकें। यदि दूरी ज्यादा है तो क्या यह इसे सही ठहराना उचित होगा ?

तीन डॉक्टरों की पैनल ने किया पीएम

शनिवार को मृतका के माता-पिता भी रतलाम पहुंच गए थे। इसके बाद जिला अस्पताल में युवती के शव का तीन डॉक्टरों की पैनल ने पीएम किया। पैनल में डॉ. हुसैनी, डॉ. सुधा राजावत और डॉ. प्रियल जैन शामिल थीं। पीएम में क्या निकला यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन सूत्रों का कहना है कि मामला सामान्य नहीं है। इस बारे में अभी खुल कर कुछ भी कह पाना मुश्किल है। अगले एक-दो दिन में कुछ नया खुलासा हो सकता है। पीएम के बाद परिजन शव को स्कूल ले गए जहां धार्मिक प्रक्रिया के बाद कब्रिस्तान ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया।