धर्म परिवर्तन करने वालों की अजा सूची से डीलिस्टिंग के लिए गांव-गांव हो रहीं JJSM की बैठकें, पंचायतों में पारित हो रहे प्रस्ताव
जनजाति सुरक्षा मंच कर रहा डीलिस्टिंग की मांग। मंच के अनुसार धर्म परिवर्तन करने वालों को अजा की सूची से बाहर करने की मांग को लेकर 1 मई को रतलाम में महारैली निकलेगी। रैली में 50 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना। जनजाति सुरक्षा मंच गांव-गाव कर रहा बैठकें। पंचायतों में डीलिस्टिंग के समर्थन में पारित हो रहे प्रस्ताव।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । धर्म परिवर्तन कर जनजाति समाज से जाने वालों की के लिए जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले आदिवासी समाज लामबंद हो रहा है। जिले की दर्जनों ग्राम पंचायतों में डीलिस्टिंग के समर्थन में प्रस्ताव पारित किए गए हैं। मंच द्वारा अपनी इस मांग को लेकर 1 मई को रतलाम में महा रैली आयोजित करेगा। रैली में 50 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है।
जनजाति सुरक्षा मंच की तैयारियों को लेकर बैठकों का दौर जारी है। बैठक में कलसिंह भाभर, रतलाम ग्रामीण विधायक, सैलाना की पूर्व विधायक सैलाना संगीता चारेल, पूर्व विधायक मथुरालाल डामोर, नारायण मईड़ा, रूपचंद मईड़ा, कैलाश वसुनिया, मांगीलाल खराड़ी, गोविंद डामोर, परमेश मईड़ा, शंभु सिंह, दीपक निनामा, पीरूलाल निनामा, रमेश मईड़ा आदि मौजूद रहे।
डीलिस्टिंग ही जनजाति सुरक्षा मंच का एकसूत्री लक्ष्य
बैठकों में जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारियों और पूर्व व वर्तमान विधायकों को बताया कि जनजाति सुरक्षा मंच का एक ही लक्ष्य है। वह यह कि जो जनजाति समाज को छोड़कर अन्य धर्म स्वीकार कर नौकरी कर रहे हैं उन्हें डीलिस्टिंग कर शासकीय सेवा से पृथक किया जाना चाहिए। इसी एक मुद्दे को लेकर 1 मई को रतलाम जिला मुख्यालय पर शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय मैदान पर दोपहर में महारैली का आयोजन किया जाएगा।
घर-घर जाकर कर रहे संपर्क, जुटा रहे डीलिस्टिंग के लिए समर्थन
रैली में शामिल होने के लिए गांव-गांव और घर-घर जाकर जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ता आमंत्रण दे रहे हैं। जनजाति समाज के लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्हें यह भी बताया गया कि जिले की दर्जनों ग्राम पंचायत ने डीलिस्टिंग के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित किया है। मंच पदाधिकारियों का मानना है कि संस्कृति और परंपरा को छोड़कर जाने वाला व्यक्ति जनजाति समाज का नहीं हो सकता है। जो व्यक्ति जनजाति समाज का नहीं है, वह जनजाति समाज की सुविधा लेने का भी पात्र नहीं है। मंच के जिला संयोजक कैलाश वसुनिया ने आभार माना।