एकतरफा प्रेम में मिली निराशा तो ट्रेन से कटने जा पहुंचा, बच तो गया लेकिन मनोरोगी हो गया, प्रेम का दूसरा रूप देखा तो पैर पकड़ लिए

एकतरफा प्यार में निराश हुआ एक युवक ऐसा दीवाना हुआ की ट्रेन से कटकर जान देने पहुंच गया। किस्मत अच्छी थी कि वह ट्रेन से टकरा कर सिर्फ घायल हुआ। प्रेम ने उसे मानसिक रोगी तक बना दिया। रतलाम जिला अस्पताल में समाजसेवा गोविंद काकानी ने उससे मुलाकात कह धन्य कर दिया।

एकतरफा प्रेम में मिली निराशा तो ट्रेन से कटने जा पहुंचा, बच तो गया लेकिन मनोरोगी हो गया, प्रेम का दूसरा रूप देखा तो पैर पकड़ लिए
युवक वाजिद और उसके बाई मोहम्मद नबी के साथ समाजसेवी गोविंद काकानी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्रेम सिर चढ़ कर बोले तो दीवाना भी बना सकता है और मनोरोगी भी। प्रेम का ही एक दूसरा पक्ष भी है जो दिशाहीन को सही दिशा भी दिखाता है। इसकी बानगी देखने को मिली जिला अस्पताल में। यहां कुछ समय पहले तक जो युवक तोड़पोड़ मचा रहा था वही जब समाजसेवी गोविंद काकानी का स्नेह रूपी स्पर्श पाकर ऐसा प्रभावित हुआ कि उनके पैर ही पकड़ लिए।

बात शुरू होती है 26 तारीख से। इस दिन ट्रेन से कटकर आत्महत्या करने पहुंचा 22 वर्षीय युवक वाजिद अली पिता स्व. निजामुद्दीन शाह निवासी ग्राम पहाड़िया सफी छपरा, जिला सिवान, बिहार को भर्ती कराया गया था। वह ट्रेन से टकराने के कारण घायल हो गया और उसे बांगरोद से 108 से लाकर जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। थोड़ा ठीक हुआ तो उसने जिला अस्पताल में के आइसोलेशन वार्ड में बिजली के तार, खिड़की-दरवाजे, पलंग आदि में तोड़फोड़ कर दी।

उत्पात मचाते हुए वह अस्पताल स्थित पुलिस चौकी के सामने जा पहुंचा और एक स्वास्थ्य कर्मी का गले का ताबीज पकड़ लिया। लोगों ने छुड़ाने की कोशिश की परंतु कोई छुड़ा नहीं सका। आखिर में पुलिस चौकी से आरक्षक मुकेश ने समाजसेवी गोविंद काकानी से मदद की गुहार लगाई। काकानी बिना समय गंवाए अस्पताल पहुंच गए। भीड़ को हटाते हुए मनोरोग से ग्रसित युवक को प्रेमपूर्वक पुलिस चौकी ले गए। काकानी का व्यवहार देख युवक शांत हो गया और उनके पैर पकड़ लिए। युवक ने कान पकड़कर माफी मांगी। यह देश वहां मौजूद लोग चकित रह गए। अस्पताल स्टाफ ने उसे भर्ती कर उपचार दिया।

5 महीने पहले निकला था घर से

मनोरोगी युवक का इलाज पांच दिन तक चला। इस दौरान समाजसेवी काकानी ने अपने अनुभव के आधार पर प्रयोग करे और युवक से उसके घर-परिवार की जानकारी एकत्र की। वाजिद ने बताया कि वह गांव की एक लड़की से बहुत प्यार करता है परंतु वह उसे नहीं चाहती। इसी कारण उसका दिमाग खराब हो गया और वह कब घर से निकल गया ता ही नहीं चला। काकानी ने ट्रेन के आगे पहुंचने के बारे में पूछा तो उसका कहना था कि मैं मरना चाहता था। वाजिद से मिली जानकारी के अनुसार उसके बिहार निवासी परिजन से बात हुई। उसका बड़ा भाई मोहम्मद नबी उसे लेने रतलाम पहुंचा। उसने वाजिद की बाद परिजन से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से करवाई। 

10वीं तक पढ़ा है वाजिद

भाई नबी ने काकानी को बताया कि पिता का स्वर्गवास हो गया है। मां नूरजहां खातून हम चार भाई और तीन बहन जिनकी शादी हो गई है, गांव में रहते हैं। परिवार बहुत गरीब है। मजदूरी कर के जैसे-तैसे घर चलाते हैं। मैं भी मां के साथ में मजदूरी करता हूं। वाजिद को हम पढ़ा लिखा कर बड़ा बनाना चाहते थे। वह दसवीं तक पढ़ा है परंतु ना जाने इसे क्या हो गया। काकानी ने नबी को समझाइश दी कि वह वाजिद के सामने कोई बात नहीं करे इसके लिए उसे कसम भी दिलवाई और पढ़ाई पुनः शुरू करवाने के लिए कहा। आइसोलेशन वार्ड में वार्डबॉय गोलू व नर्स के सहयोग से डॉ. निर्मल जैन से चैकअप करवा कर एक माह की दवाई दिलवाई।

ट्रेन से बिहार हुआ रवाना

वाजिद को लेकर उसके भाई नबी सुबह अपने घर बिहार रवाना हुए तो उन्हें दो वक्त का भोजन, रतलाम की सेंव और यात्रा के लिए आवश्यक राशि भी प्रदान की ताकि कोई दिक्कत न हो। इसमें उनकी मदद कुली लक्ष्मण एवं फिरोज ने की। स्टेशन पर मोहम्मद नबी ने समाजसेवी काकानी, अस्पताल प्रशासन के वार्डबॉय, नर्स, डॉक्टर, अस्पताल पुलिस चौकी स्टाफ को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे।