'सुनें सुनाएं' का 17वां सोपान 4 फरवरी को, 8 रचनाधर्मी प्रस्तुत करेंगे अपने प्रसिद्ध रचनाकार की रचना, आप भी आएं - औरों को भी लाएं

इंतजार, आतिथ्य, सत्कार, आग्रह जैसी औपचारिकताओं से परे होने वाले अनूठे आयोजन 'सुनें सुनाएं' का 17वां सोपान 4 फरवरी को होगा।

'सुनें सुनाएं' का 17वां सोपान 4 फरवरी को, 8 रचनाधर्मी प्रस्तुत करेंगे अपने प्रसिद्ध रचनाकार की रचना, आप भी आएं - औरों को भी लाएं
सुनें सुनाएं।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । निर्धारित समय से देरी से शुरू होने वाले आयोजनों के दौर में शहर में एक ऐसा आयोजन भी डेढ़ वर्ष से हो रहा है जो निर्धारित समय पर शुरू होता है और निर्धारित समय पर ही संपन्न होता है। न किसी का इंतज़ार किया जाता है और न ही किसी से उपस्थित का आग्रह। इसमें अतिथि और कार्यक्रम का अध्यक्ष भी नहीं होता। ऐसे अनूठे आयोजन सुनें सुनाएं का 17वां सोपान 4 फरवरी को होने वाला है।

आयोजन बिना किसी औपचारिकता के सुबह ठीक 11 बजे शुरू हो जाएगा और दोपहर 12 बजे समाप्त हो जाएगा। आयोजन स्थल रहेगा जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल, प्रथम तल, रतलाम। इस में आठ रचनाप्रेमी अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करेंगे। इनमें अशोक कुमार शर्मा द्वारा अज्ञात रचनाकार की ग़ज़ल 'कौन समझाए उन्हें, इतनी जलन ठीक नही' का, नरेन्द्र त्रिवेदी द्वारा प्रदीप चौबे की रचना 'रेलयात्रा' का, अनीता दासानी द्वारा राहत इंदौरी की रचना 'उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो', विनोद झालानी द्वारा गोपाल दास ‘नीरज’ की रचना ‘चांदनी में घोला जाए’, संजय शर्मा द्वारा डॉ. हरिवंश बच्चन की रचना 'अग्निपथ', डॉ. पूर्णिमा शर्मा द्वारा 'हे ! सच्चिदानंद प्रभो तुम नित्य सर्व सशक्त हो', श्याम सुंदर भाटी द्वारा भावसार बा की 'मालवी रचना' का पाठ, कीर्ति शर्मा द्वारा शंकर शैलेन्द्र की रचना 'तू ज़िंदा है, तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर' का पाठ किया जाएगा।

औपचारिकताओं से परे अनूठा आयोजन

बता दें कि, समय से प्रारंभ होकर समय पर समाप्त होने वाले इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करता है। बिना किसी औपचारिकता वाले इस आयोजन में उपस्थित होने वाले सभी अपनी इच्छा से उपस्थित होते हैं और जब आयोजन से लौटते हैं तो स्वयं को रचनात्मक ऊर्जा से भरपूर पाते हैं। ‘सुनें सुनाएं’ में आप भी शामिल हो सकते हैं और साहित्य में रुचि रखने वाले अन्य लोगों को भी ला सकते हैं।