रचनात्मक आयोजन 'सुनें सुनाएं' का 24वां सोपान कल, दो वर्ष में 934 साथियों ने की सहभागिता, 223 ने पढ़ी अपनी प्रिय रचनाएं
सुनें सुनाएं दो वर्ष का सफर 1 सितंबर को पूरा कर लेगा। इसका 24वां सोपान कुछ खास होगा। इस बार आयोजन स्थल भी अलग होगा।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मकता को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया आयोजन 'सुनें सुनाएं' अपने 2 वर्ष पूर्ण कर रहा है। आयोजन का 24वां सोपान 1 सितंबर (रविवार) को सुबह 10 बजे से मीनू की ढाणी बंजली बायपास पर होगा। इन 2 वर्षों में 'सुनें सुनाएं' से डेढ़ हजार से अधिक साथी जुड़े जिनमें से 934 आयोजन में उपस्थित रहे और 223 ने अपने प्रिय रचनाकार की रचना प्रस्तुत की।
स्वरचित रचना को छोड़कर किसी अन्य की रचना को पढ़ने का यह शहर में पहला प्रयास था। इस प्रयास को शहर के बुद्धिजीवियों ने बहुत प्रोत्साहित किया और प्रत्येक सोपान में रचना पढने वाले साथियों की उपस्थिति बढ़ती रही। शहर ही नहीं शहर के बाहर अन्य शहरों तक इस कार्यक्रम को पसंद किया गया और कई साथियों ने विदेश में रहते हुए इस कार्यक्रम से जुड़ने की इच्छा जताई। परंतु यह कार्यक्रम रचनात्मक गतिविधियों के लिए शहर के लोगों को जागरूक करने और उन्हें एकत्र करने का है इसलिए इस आयोजन को जीवंत ही बनाए रखा गया, डिजिटल प्लेटफार्म से नहीं जोड़ा गया। यह शहर के रचनात्मक लोगों के स्नेह और सहयोग का ही परिणाम है कि यह आयोजन निरंतर 2 वर्ष तक अपने निर्धारित समय पर प्रारंभ हो सका।
अपनी तरह का एकमात्र आयोजन
समय पर प्रारंभ होकर समय पर संपन्न होने वाला यह शहर का अपनी तरह का एकमात्र आयोजन है। किसी को किसी का इंतज़ार नहीं करना पड़ता और निर्धारित समय के बाद ठहरना भी नहीं पड़ता है। 24वें सोपान में सभी साथियों के आग्रह पर इस आयोजन को अन्यत्र रखा गया है। अन्यथा यह आयोजन प्रतिमाह जी. डी. अंकलेसरिया हाल पर आयोजित होता रहा है। इस बार प्रारंभ में नियमित रचना पाठ होगा उसके बाद आनंद उत्सव के तहत उपस्थितजन अपना रचनात्मक प्रदर्शन करेंगे।
नियमित सोपान में ये करेंगे रचनापाठ
नियमित सोपान में रचना पाठ करने वालों में अशोक कुमार शर्मा द्वारा राहत इन्दौरी की रचना 'लोग हर मोड़ पर' का पाठ किया जाएगा। रीता दीक्षित द्वारा रामधारी सिंह 'दिनकर' की रचना ’कोई अर्थ नहीं’ का पाठ, अनीस ख़ान द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना 'क्या फ़र्क पड़ता है' का पाठ, महावीर वर्मा द्वारा मोहित कटारिया की रचना 'ओ किस्सागो' का पाठ, जयवंत गुप्ते द्वारा भरत व्यास की रचना 'हरी-हरी वसुन्धरा' का पाठ, कीर्ति कुमार शर्मा द्वारा प्राण वल्लभ गुप्त की रचना 'धरती का है ब्याह, बाराती बादल आए' का पाठ, नूतन मजावदिया द्वारा डॉ. आगम भटनागर की रचना 'किसलिए चुप बैठे हो तुम' का पाठ, डॉ. गायत्री तिवारी द्वारा गोपाल दास 'नीरज' की रचना 'मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं' का पाठ, राजीव पंडित द्वारा डॉ. जयकुमार 'जलज' की रचना 'प्यार लो विद्यार्थियों मेरे' का पाठ और नरेन्द्र सिंह पंवार द्वारा डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की रचना 'दरवाज़ा खोलो जहांपनाह' का पाठ किया जाएगा। 'सुनें सुनाएं' ने शहर के बुद्धिजीवियों से आयोजन में उपस्थित रहने का आग्रह किया है।