Budget 2024 की उलटी गिनती शुरू : कल अंतरिम बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जानिए बजट से जुड़ी खास और रोचक बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने जीवनकाल का 6ठा बजट 1 फरवरी 2024 को पेश करेंगी। लोकसभा चुनाव से पहले जारी होने वाले इस अंतरिम बजट में क्या खास होगा और बजट से जुड़ी अन्य रोचक बातें जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर।
एसीएन टाइम्स @ डेस्क । बजट 2024 के लिए वित्त मंत्रालय की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। यह 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। इस साल लोकसभा चुनाव होने से यह पूर्ण बजट न होकार अंतरिम बजट होगा। इस लिहाज से यह खास होगा।
केंद्रीय बजट 2024 के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई है। यह पूर्ण बजट न होकर अंतरिम बजट होगा। तकनीकी भाषा में इसे फाइनेंशियल प्लान अथवा वोट ऑन एकाउंट भी कहा जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले यह बजट मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में पेश करेंगी। 1 फरवरी को बजट पेश करने की व्यवस्था 2017 से शुरू हुई है। इससे पहले यह 28 फरवरी अथवा 29 फरवरी (लीप ईयर में) को पेश होता था।
वित्त मंत्री द्वारा बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय से लेकर वर्ष 2000 तक बजट शाम को 5 बजे पेश करने की परंपरा कायम रही। 2001 में अटल सरकार में समय बदला और बजट सुबह 11 बजे पेश हुआ। इसके बाद से सभी वित्त मंत्रियों द्वारा सुबह 11 बजे ही बजट पेश किया जाता है।
नई सरकार पेश करेगी आम बजट
इस साल लोकसभा चुनाव होना है इसलिए मौजूदा सरकार अंतरिम बजट ही पेश कर सकती है। अंतरिम बजट सिर्फ एक लेखा-जोखा मात्र होगा। इसमें सिर्फ उतने ही दिनों के लिए वित्तीय प्रावधान होते हैं जितने दिन नई सरकार बनने तक कामकाज सुचारू रूप से संचालित होंगे। यही वजह है कि इसे 'वोट ऑन अकाउंट' भी कहा जाता है। इसमें आगामी महीनों के लिए सरकार के अनुमानित खर्च का ब्योरा (Estimates for government spending), राजस्व प्राप्तियों का अनुमान (Revenue projections), भिन्न मंत्रालयों को आवंटित की जाने वाली धनराशि तथा मौजूदा योजनाओं को जारी रखने के लिए वित्तीय प्रावधान ही शामिल होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो अंतरिम बजट में किसी भी सेक्टर को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद कम है। वजह यह कि पुरानी टैक्स प्रणाली को खत्म करने के लिए नई में कई प्रकार के प्रावधान जोड़ने पड़ सकते हैं, यह अंतरिम बजट में मुश्किल है। इसलिए फिलहाल पुरानी टैक्स प्रणाली ही लागू रहेगी।
अंतरिम और आम (पूर्ण) बजट में अंतर
अंतरिम बजट में केवल कुछ महीनों के लिए वित्तीय अनुमान और धनराशि के उपयोग का प्रावधान ही होता है। इसमें नई योजना अथवा नीति की घोषणा नहीं होती। इस पर सदन में चर्चा भी बहुत कम होती है। इसके उलट, आम बजट पूरे वित्तीय वर्षी के लिए तैयार होता है इसमें नई नीतियां और योजनाओं के अलावा नई टैक्स प्रणाली भी शामिल होती / हो सकती है। इस पर सदन में विस्तृत चर्चा होती है क्योंकि इसमें पूरे वर्ष के लिए वित्तीय प्रावधान और अनुमान होते हैं। इससे सरकार का एजेंडा भी स्पष्ट होता है।
6 महीने पहले शुरू हो जाती ही प्रक्रिया
देश का बजट बनाना आसान प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए 6 महीने पहले से ही काम शुरू हो जाता है। जानकारी के अनुसार हर साल सितंबर से सभी मंत्रालयों, विभागों के साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेज दिया जाता है। इसमें उनसे आने वाले वर्ष के लिए जरूरी खर्च का अनुमान मांगा जाता है और पूर्व मौजूदा वित्त वर्ष में प्राप्त होने वाले राजस्व का अनुमान भी माना जाता है। इसका निर्णाधरण अक्टूबर-नवंबर तक वित्त मंत्रालय और अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा बैठकें आयोजित कर के कर लिया जाता है। बाद में इसी आधार पर मंत्रालयों और विभागों और योजनाओं के लिए धनराशि का प्रावधान किया जाता है।
बजट बनाने वाली टीम में हर क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग से जुड़े होकर उनसे जानकारियां मिलती रहती हैं। इस दौरान वित्त मंत्री द्वारा विभिन्न क्षेत्रों खासकर उद्योगों और प्रमुख संगठनों के साथ विचार-विमर्श भी किया जाता। यहां तक की अलग-अलग क्षेत्र से सुझाव भी आमंत्रित किए जाते हैं। बजट से जुड़ी जानकारियां लीक न हों, इसके लिए इस व्यवस्था में लगे अधिकारियों, कर्मचारियों को अन्य से किसी भी प्रकार की जानकारी साझा करने की मनाही होती है। उन्हें दो-तीन सप्ताह तक वहीं रहना पड़ता है जहां बजट छपता है। यहां तक कि बजट बनाने में उपयोग होने वाले कम्प्यूटर तक को भी अन्य नेटवर्क से हटा दिया जाता है। इसके बाद ब्लू प्रिंट और फिर आखिर में बजट छपता है। काम पूरा होने पर वित्त मंत्री द्वारा सभी का मुंह मीठा कराया जाता है। यह रस्म हलवा समारोह भी कहलाती है।
बजट से जुड़ी ये बातें भी जानें
163 साल पहले पेश हुआ था पहला बजट
भारत में पहला बजट 1860 में पेश हुआ था। इसे स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। वहीं आजाद भारत का पहला बजट (अंतरिम) 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी ने पेश किया था। यह सिर्फ एक लेखा-जोखा था, किसी प्रकार के टैक्स का प्रावधान नहीं था। आम (पूर्ण) बजट इसके 90 दिन बाद पेश हुआ था। बता दें, कि इसके बाद से अब तक सबसे ज्यादा 10 बार मोरारजी देसाई ने बजट पेश किया। अन्य वित्त मंत्रियों में से पी. चिदंबरम व प्रणब मुखर्जी ने 9, यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा ने 7, डॉ. मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमाचारी ने 6 बार बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण भी 6ठी बार बजट पेश करेंगी।
3 बार प्रधानमंत्रियों ने पेश किए बजट
बता दें कि देश में तीन बार प्रधानमंत्रियों ने भी बजट पेश किया। पहली बार 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने बजट पेश किया था क्योंकि तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने इस्तीफा दे दिया था। इसी प्रकार 1970 में तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफा देने पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और 1987-88 में तत्कालीन वित्तमंत्री वी. पी. सिंह के इस्तीफा देने पर प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया था। इन सबसे पहले एक और वित्तमंत्री हुए हैं जॉन मथाई जिन्होंने बजट पेश होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। बात 1950 में भारत के वित्त मंत्री थे लेकिन तब बजट लीक होने का आरोप लगने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
2 बार बदला बजट छपने का स्थान
बताते चलें कि पहले भारतीय लोकतंत्र का बजट राष्ट्रपति भवन में ही छपता था। इसकी वजह गोपनीयता थी। यह व्यवस्था 1950 तक बनी रही। तब देश के वित्त मंत्री जॉन मथाई हुआ करते थे। मथाई के दौरान जब बजट लीक होने की खबर फैली तो बवाल मच गया। इसके लिए मथाई को इस्तीफा तक देना पड़ा था। यही वजह रही की बजट छापने का स्थान राष्ट्रपति भवन के बजाय नई दिल्ली का मिंटो रोड करना पड़ा। यह व्यवस्था करीब 3 दशक तक रही लेकिन 1980 में फिर जगह बदली और नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बजट छपना शुरू हो गया।