मोहन ‘राज’ में बड़े फैसले : महाविद्यालयों का होगा "पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस" के रूप में उन्नयन, खुले में नहीं होगी मांस-मंछली की बिक्री
डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मंत्रि परिषद ने पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसमें महाविद्यालयों का पीएफ कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में उन्नयन और खुले में मांस-मछली के विक्रय पर प्रतिबंध जैसे निर्णय शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की पहली बैठक में लिए महत्वपूर्ण निर्णय
एसीएन टाइम्स @ भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की पहली बैठक बुधवार शाम को मंत्रालय में हुई। मंत्रि-परिषद ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। परिषद ने तय किया कि अब प्रदेश में कहीं भी खुले में मांस और मछली की बिक्री नहीं हो सकेगी। सरकार द्वारा प्रत्येक जिले के अग्रणी या चिह्नित महाविद्यालय को "पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस" के रूप में उन्नयन किया जाएगा।
सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में कुल 570 शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं। इनमें से प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर संचालित अग्रणी/चिन्हित महाविद्यालयों में सभी संकायों में सुविधाओं में वृद्धि की जाएगी। इन्हें "पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस "के रूप में उन्नयन किया जाएगा। इस पर अनावर्ती व्यय 312 करोड़ 56 लाख रूपए एवं आवर्ती व्यय 147 करोड़ 84 लाख रूपए आएगा। इस प्रोजेक्ट पर कुल 460 करोड़ 40 लाख रूपए का व्यय अनुमानित है।
बाबा महाकाल के आशीर्वाद से आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 13, 2023
मैं मध्यप्रदेश की जनता को ये विश्वास दिलाता हूँ कि मेरे जीवन का हर क्षण उनकी सेवा में समर्पित रहेगा।
मैं वादा करता हूँ कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी व… pic.twitter.com/oCbowOl0rP
विश्वविद्यालयों में छात्रों की डिग्री व अंकसूची डिजीलॉकर में अपलोड होंगी
उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत संचालित शासकीय/निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों की डिग्री/अंकसूची को डिजीलॉकर में अपलोड करने का निर्णय भी मंत्रि परिषद ने लिया। उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत 16 शासकीय एवं 53 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। अभी तक कुल 09 शासकीय विश्वविद्यालयों एवं 5 निजी विश्वविद्यालयों के वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक के छात्रों की अधिकतर डिग्री/अंकसूची डिजीलॉकर में दर्ज की जा चुकी हैं।
साइबर तहसील परियोजना पूरे प्रदेश में लागू होगी
मंत्रि-परिषद द्वारा 1 जनवरी, 2024 से साइबर तहसील की व्यवस्था मध्यप्रदेश के सभी 55 ज़िलों में लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में बिना आवेदन, नामांतरण और अभिलेख दुरुस्तीकरण की फेसलेश व्यवस्था जून, 2022 से लागू की गई है। इसे साइबर तहसील नाम दिया गया है। इसमें रजिस्ट्री उपरांत, क्रेता के पक्ष में अविवादित नामांतरण, एक फ़ेसलेस, पेपरलेस तरीके से ऑनलाइन प्रक्रिया के द्वारा 14 दिन में बिना आवेदन के और बिना तहसील के चक्कर लगाए स्वतः ऑटोमैटिक तरीके से हो जाता है। इसमें खसरे तथा नक़्शे में भी क्रेता का नाम चढ़ जाता है। वर्तमान में यह व्यवस्था प्रदेश के 12 जिलों की 442 तहसीलों में लागू है। इसके माध्यम से अब तक 16 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।
ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक और निर्धारित मापदण्ड से अधिक पर बजाने पर प्रतिबंध
मंत्रि-परिषद द्वारा धार्मिक स्थल एवं अन्य स्थानों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदण्ड से अधिक बजाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में निर्णय लिया गया। प्रदेश में धार्मिक स्थलों एवं अन्य स्थानों पर अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदंड का उल्लंघन करते हुए बजाए जाने वाले लाउडस्पीकरों अथवा डीजे आदि की जाँच के लिए उड़न दस्तों का गठन, निरीक्षण एवं नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा अभियोजन की कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
अपराधियों पर अंकुश का निर्णय
मंत्रि-परिषद द्वारा गंभीर अपराधों एवं आदतन अपराधियों की पूर्व अपराधों में प्राप्त जमानत सीआरपीसी की धारा 437,438, 439 के प्रावधान अनुसार माननीय न्यायालय से निरस्त करवाये जाने के संबंध में निर्णय लिया गया।
अवैध मांस-मछली क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध का चलेगा अभियान
मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में बिना लायसेंस के खुले में अवैध रूप से मांस-मछली आदि का क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध का निर्णय लिया गया। इस संबंध में सघन अभियान चलाया जायेगा। यह अभियान जिलो में अतिक्रमण निरोधी दस्ते, स्वास्थ्य अमले, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के समन्वय से चलाया जाएगा। इस अभियान की मॉनीटरिंग मुख्य सचिव के स्तर से की जाएगी।
तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में वृद्धि, संग्राहकों को 162 करोड़ रूपये का अतिरिक्त पारिश्रमिक
मंत्रि-परिषद द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण दर 3 हजार रूपए प्रति बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति बोरा करने का निर्णय लिया गया। इससे 35 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को 162 करोड़ रूपए का अतिरिक्त पारिश्रमिक प्राप्त होगा। उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता संग्रहण दर वर्ष 2017 में 1250 रूपए प्रति बोरा थी। वर्ष 2023 में इसे बढ़ाकर 3 हजार रूपए प्रति बोरा कर दिया था।