PADMA awards distributed : रतलाम की डॉ. लीला जोशी 'पद्मश्री' से सम्मानित, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 50 वर्ष की चिकित्सकीय सेवा के लिए किया पुरस्कृत, देखें वीडियो...
Padma awards distributed : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं दोने वाली शख्सियतों को पद्म पुरस्कार दिए गए।
नई दिल्ली / रतलाम @ एसीएन टाइम्स . देश में चिकित्सा और महिलाओं में आयरन की कमी दूर करने के लिए ख्यात रतलाम की डॉ. लीला जोशी को सोमवार को पद्मश्री (Padma awards distributed) से नवाजा गया। उन्हें उनकी 50 वर्षीय चिकित्सकीय सेवाओं के लिए पद्मश्री राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदान किया। एनीमिया से मुक्ति के लिए जीवन समर्पित करने वाली डॉ. जोशी मध्य प्रदेश की मदर टेरेसा और आयरन लेडी के नाम से भी जानी जाती हैं।
देश की विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रही शख्सियतों को सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्म पुरस्कार (Padma awards distributed) प्रदान किए गए। पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदान किए। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य मौजूद रहे। पुरस्कृत होने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, सुषमा स्वराज सहित अन्य विभूतियां शामिल हैं। इनमें कुछ को मरणोपरांत भी पुरस्कृत किया गया। 2020 के लिए चितिक्सा के क्षेत्र में पुरस्कृत होने वालों में रतलाम की वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ. लीला जोशी को पद्मश्री से नवाजा गया। उन्होंने यह पुरस्कार पांच दशक तक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में की गई चिकित्सकीय सेवाओं के लिए दिया गया। डॉ. जोशी मप्र के अलावा असम, दिल्ली, मुंबई सहित विभिन्न स्थानों में सेवाएं दीं। वे लंबे समय से किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया की कमी दूर करने के लिए अभियान चला रही हैं।
कोरोना के चलते अब मिला सम्मान
82 वर्षीय डॉ. लीला जोशी को पद्मश्री पुरस्कार (Padma awards distributed) देने की घोषणा 2019 में ही हो गई थी। कोरोना काल के चलते नियत समय पर पुरस्कार वितरण समारोह नहीं हो सका था। इससे अब सम्मान समारोह में डॉ. जोशी को पुरस्कृत किया गया। बता दें कि असम में पोस्टिंग के दौरान डॉ. जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी। टेरेसा की अपील पर ही डॉ. जोशी ने आदिवासियों की स्वास्थ्य सेवा करने का संकल्प लिया जो आज भी जारी है।
1962 में शुरू हुआ था मेडिकल के क्षेत्र करियर
- डॉ. जोशी ने 1962 में कोटा के रेलवे अस्पताल में असिस्टेंट सर्जन के रूप में मेडिकल के क्षेत्र में करियर शुरू किया था।
- नियुक्ति के 29 साल बाद मेडिकल सुप्रिटेंडेंट बनीं।
- 1991 में रेल मंत्रालय दिल्ली में एक्ज़ीक्यूटिव हेल्थ डायरेक्टर बनीं।
- इसके बाद मुंबई में मेडिकल डायरेक्टर बनाई गईं।
- असम के चीफ मेडिकल डायरेक्टर पद से रिटायर हुईं।
- 1997 में सेवानिवृत्त होने के बाद मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ को अपनी कर्मस्थली बनाया।
- लगातार 22 साल से आदिवासी महिलाओँ को मुफ्त इलाज दे रही हैं।
- रतलाम जिले में महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की कमी दूर करने के लिए अभियान चला रही हैं।
- आदिवासी अंचल में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए निरंतर सक्रिय।