रुपए दो गुने करने का झांसा देकर हड़प लिया था मूलधन, आरोग्य धनवर्षा डेवलपर एंड एलीट लि. के संचालकों को 6 साल की सजा
रतलाम की एक न्यायालय ने आरोग्य धनवर्षा डेवलपर एंड एलीट लिमिटेड के संचालक को 6 साल के कारावास की सजा सुनाई है। कंपनी ने धन दो गुना करने का लालच देकर निवेश की राशि हड़प ली थी।

तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय का फैसला, 11 हजार रुपए अर्थदंड भी सुनाया
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । निवेश की राशि दो गुनी करने का झांसा देने वाली एक कंपनी के संचालकों को तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने 6 साल के कारावास की सजा सुनाई है। करीब 12 साल पुराने में मामले में न्यायालय द्वारा 11 हजार रुपए अर्थदंड भी किया गया है। कंपनी ने धन दो गुना करना तो दूर, मूल राशि भी हड़प ली थी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि 22.03.2017 को आवेदक पप्पूसिंह पिता मदनसिंह ने बरखेड़ा पुलिस थाने पर एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि 2011 में आरोग्य धन वर्षा डेवलपर्स एंड एलीट लिमिटेड के संचालकों बगदीराम, राजेंद्र सिंह, जगदीशचंद्र व्यास, रघुवीर सिंह और धर्मेंद्रसिंह सोनगरा द्वारा फरियादी ओर अन्य लोगों से अपनी कंपनी में राशि निवेश करवाई थी। कंपनी के संचालकों ने निवेश की राशि पर अधिक ब्याज देने का प्रलोभन दिया था। फरियादी और उसके मिलने वालों ने कंपनी संचालकों के झांसे में आकर कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई निवेश कर दी। परिपक्वता अवधि पूरी होने के पहले ही सभी संचालक कंपनी बंद कर भाग गए। पुलिस ने इस आधार पर आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई थी।
5 संचालकों को किया दंडित
अनुसंधान के पश्चात पुलिस ने आरोपियों विरुद्ध न्यायालय में आईपीसी की धारा 467, 468, 471 व मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा धारा 3, 6 के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था। इस पर तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा के न्यायालय में प्रकरण का विचारण किया गया। अभियोजन द्वारा साक्ष्य एवं दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए। इससे सहमत होकर न्यायालय ने कंपनी के संचालकों रघुवीर सिंह, राजेंद्र सिंह, जगदीशचंद्र व्यास, धर्मेंद्र सिंह व बगदीराम को धारा 420 भादंवि का दोषी पाते हुए 6 वर्ष के कारावास से दंडित किया। इस धारा के तहत ₹1000 के अर्थदंड भी किया गया। इसके अलावा मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6 के अंतर्गत 6 वर्ष का कारावास एवं ₹10,000 अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने की।