चर्चा है कि... रतलाम शहर के कुछ पार्षद जल्दी ही भाजपा ज्वाइन करने वाले हैं ! मंत्री चेतन्य काश्यप से मुलाकात और विधायक भूरिया के आगमन से बढ़े कयास
रतलाम कांग्रेस के कुछ पार्षदों के भाजपा की सदस्यता लेने की संभावनाओं की चर्चा ने राजनीतक हलचल तेज कर दी है।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । बेशक अभी चुनावी दौर नहीं है लेकिन राजनीतिक गलियारों में कयासों के दौर अभी से शुरू हो गए हैं। चर्चा है कि रतलाम शहर के कांग्रेस के कुछ पार्षद आगामी दिनों में भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं। इसकी वजह कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव को लेकर गहराती जा रही गुटबाजी बताई जा रही है। विधायक एवं पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया का मंगलवार को रतलाम आगमन इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है।
सत्ता का सुख सभी भोगना चाहते हैं, जो लंबे समय तक सत्ता में रहे हों और अब नजदीक जाने का अवसर भी नहीं मिल रहा हो तो उनमें यह चाहत बढ़ना लाजमी है। केंद्र से लेकर नगर सरकार तक कहीं भी सत्ता सुख नसीब नहीं होने से कतिपय कांग्रेसियों में यह इच्छा कुछ ज्यादा ही बलवती हो रही है। नतीजतन उनका झुकाव अब केंद्र से लेकर नगर सरकार तक सत्ता पर काबिज भाजपा के प्रति उनका रुझान भी बढ़ता जा रहा है। पूर्व में शहर और जिले के कई कांग्रेसी तिरंगे झंडे से दूरी बढ़ा कर दो रंगे झंडे से नजदीकता बढ़ा ली है। चर्चा है कि जल्दी ही कुछ और कांग्रेसी भी ऐसा कर सकते हैं।
शाम होते घनघना उठे फोन
मंगलवार को कांग्रेस के ही एक धड़े में इस बात को लेकर काफी चर्चा रही कि पार्टी के कुछ पार्षद भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। संभावित नामों की तलाश में देर शाम से ही मोबाइल फोन घनघनाने लगे। इस तलाश में कांग्रेसी से जुटे ही रहे, मीडिया से जुड़े लोगों ने भी देर रात तक दिमागी घोड़े दौड़ाए और अपने-अपने तईं प्रयास करते हुए कयास भी लगाए। हालांकि, यह खबर अभी तक कच्ची ही है क्योंकि भाजपा में जा सकने वाले पार्षदों के नामों का खुलासा या पुष्टि फिरहाल नहीं हो पाई है।
भूरिया का आने से तेज हुआ चर्चा का दौर
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो विधायक एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का मंगलवार को अचानक रतलाम आ धमकने की वजह कांग्रेसी पार्षदों की भाजपा में जाने की सुगबुगाहट ही है। कहा जा रहा है कि भूरिया ने सर्किट हाउस पर कांग्रेस के पदाधिकारियों और पार्षदों से चर्चा की। यहां कांग्रेस की महिला नेत्रियों ने उन्हें रखा सूत्र भी बाधें। सूत्रों के अनुसार इसी दौरान भूरिया ने रूठे पार्षदों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को साधने की कवायद भी की। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिली, यह कहना मुश्किल है।
मंत्री से मुलाकात ने कयासों को दिया बल
दो दिन पूर्व ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया के नेतृत्व में कांग्रेस के पार्षदों ने मंत्री चेतन्य काश्यप से मुलाकात की थी। उन्होंने काश्यप को एक ज्ञापन भी सौंपा था जिसमें कांग्रेस पार्षदों के वार्डों में विधायक निधि से काम करवाने की मांग के साथ नगर सरकार से असहयोगात्मक रवैये की शिकायत की थी। इस मुलाकात ने कांग्रेस पार्षदों के भाजपा में जाने के कयासों को ज्यादा हवा दी।
कहीं सगठनात्मक चुनाव तो वजह नहीं
कांग्रेसियों में भाजपा के प्रति बढ़ते प्रेम को लेकर अलग-अलग बाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि संगठनात्मक चुनाव के कारण कांग्रेस दो से अधिक खेमे में बंटी हुई है। इसलिए एक खेमा चुनाव में उसे ही तवज्जो दिए जाने के उद्देश्य से नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए ऐसी परिस्थितियां निर्मित की जा रही हैं जिससे लगे कि अगर उन्हें मौका नहीं मिला तो वे पाटी छोड़ सकते हैं। मंत्री से मुलाकात भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सत्ता सुख भोगने की भूख कांग्रेसियों से ऐसा करवा रही है। लोग तो यहां तक भी कह रहे हैं कि भाजपा वाशिंग मशीन में किसी भी तरह के दाग साफ हो सकते हैं। अब सवाल उठ रहा है कि जिन भी पार्षदों के दल बदलने के कयास हैं, उन सभी को भाजपा हजम कर पाएगी?