अभिभावक ध्यान दें ! DM ने स्कूल संचालकों के एकाधिकार पर लगा दी है धारा 144, उल्लंघन हो तो शिकायत करें ताकि आपकी जेब पर डाका डालने वालों पर हो सके कार्रवाई
जिला दंडाधिकारी ने धारा 144 के तहत प्राइवेट स्कूलों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के निर्देश जारी किए हैं।
स्कूल संचालक भी जान लें कि क्या करना है और क्या नहीं कर सकते, वरना सब होंगे दंडित
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिला दंडाधिकारी एवं कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत निर्देश जारी किए हैं। इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई की होगी। उक्त आदेश की अवहेलना करने पर विद्यालय के संचालक, प्राचार्य और संस्था के सभी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। आदेश रतलाम जिले की समस्त राजस्व सीमा क्षेत्र में लागू रहेगा।
जिला दंडाधिकारी द्वारा जारी निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल संचालकों व प्राचार्यों को स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करना होगी। यह सूची विद्यालय में सार्वजनिक सूचना पटल पर भी चस्पा करना जरूरी है। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की वेबसाइट होना अनिवार्य है। स्कूल के प्राचार्य और संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित विद्यार्थियों के अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना होगी।
ये भी निर्देश दिए
- स्कूल संचालक या प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तक के परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नहीं करेंगे।
- अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक खरीद सकेंगे।
- अप्रैल में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि 1 से 30 अप्रैल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरियंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जाएगा।
- स्कूल जिस नियामक बोर्ड जैसे सीबीएसई, आईसीएसई एमपीबीएसई, माध्यमिक शिक्षा मंडल आदि से संबंध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम तथा पाठ्यक्रम के अंतर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी जैसे एनसीईआरटी, मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु उपयोग नहीं कर सकेंगे।
- स्कूल संचालक या प्राचार्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों और मुद्रकों द्वारा प्रकाशित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे।
- विद्यार्थियों व अभिभावकों को पुस्तकें, कॉपियां, पूरी यूनिफॉर्म आदि संबंधित स्कूल, संस्था अथवा किसी भी दुकान या संस्था विशेष से खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेंगे।
- स्कूल संचालक, प्राचार्य, शिक्षक-पालक संघ की जिम्मेदारी रहेगी कि किसी भी स्थिति में पुस्तकों के निजी प्रकाशक, मुद्रक, विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार-प्रसार के लिए प्रवेश नहीं कर पाएं।
- ल संचालक, प्राचार्य व विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने के लिए आवश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से संबंधित ही नहीं है, का समावेश सेट में नहीं किया जा सकेगा।
- कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी पुस्तकें उपलब्ध हैं तो उसे केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी।
- नोटबुक पर ग्रेड, साइज़, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए।
- किसी भी पुस्तक, नोटबुक, कॉपी अथवा इन पर चढ़ाए जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं होना चाहिए।
- कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफॉर्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे। ब्लेजर-स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा।
- विद्यालय प्रशासन यूनिफॉर्म का निर्धारण इस प्रकार से कर सकेगा कि कम से कम 3 वर्ष तक इसमें कोई बदलाव नहीं हो।
- विद्यालय प्रशासन वार्षिक उत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को खरीदने के लिए विद्यार्थियों-पालक को बाध्य नहीं कर सकेगा।
- जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था ने कोई पुस्तक प्रकाशित या मुद्रित नहीं की है, उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पहले स्कूल संचालक को सुनिश्चित करना होगा कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक प्रशांति भंग होने की संभावना या आशंका हो।
एसीएन टाइम्स को बताइये, हम बनेंगे आपकी आवाज
जिला दंडाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना कहीं भी नजर आती है तो प्रमाण सहित एसीएन टाइम्स को बताइये। एसीएन टाइम्स आपकी आवाज बनेगा और आपकी समस्या जिम्मेदारों तक पहुंचाने का काम करेगा। हम इसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हैं।