बच्चा कमाल का ! रतलाम के 10 वर्षीय जिष्णु दवे ने 365 दिन में बनाई 365 पेंटिंग, विश्व रिकॉर्ड बनाकर रोशन किया देश का नाम
रतलाम के 10 वर्षीय बच्चे ने पेंटिंग बनाने के मामले में विश्व रिकॉर्ड बनाया है। उसने 365 दिन में 365 पेंटिंग बनाकर उपलब्ध हासिल की।

- कक्षा 5वीं का विद्यार्थी है जिष्णु दवे
- पहले भी बना चुका है विश्व रिकॉर्ड
- महर्षि संजय शिवशंकर दवे हैं पिता
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मध्य प्रदेश के रतलाम शहर के 10 वर्षीय जिष्णु दवे ने फिर कमाल कर दिया है। 365 दिन में 365 पेंटिंग्स बना कर जिष्णु ने एक और विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इसे लेकर बच्चे के साथ ही उसके माता-पिता की भी सिर्फ रतलाम में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में हो रही है।
शहर के एक निजी विद्यालय में कक्षा 5वीं में पढ़ने वाले जिष्णु ने पेंटिंग बनाने का यह अनूठा अभियान 1 अगस्त, 2024 को शुरू किया था जो 1 अगस्त, 2025 तक जारी रहा। इस दौरान उसने रोज एक पेंटिंग बनाई। इस तरह जिष्णु ने 365 दिन में 365 आकर्षक पेंटिंग बना कर ‘वेब बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, यूएसए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करा लिया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए जिष्णु के विद्यालय में समारोह आयोजित किया गया। इसमें ‘वेब वर्ल्ड रिकॉर्ड के जूरी सदस्य शैलेन्द्र सिंह सिसौदिया, धरम यादव और कमलेश जोशी ने संयुक्त रूप से जिष्णु को प्रमाण-पत्र, मेडल एवं शील्ड प्रदान की।
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‘ऐसे छात्रों से मिलती है पहचान’
स्कूल संचालन समिति के सचिव कश्मीरसिंह सोढ़ी ने बधाई देते हुए कहा, ‘जिष्णु जैसे छात्र विद्यालय की पहचान होते हैं। उनकी उपलब्धि अन्य विद्यार्थियों को भी उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करेगी।’ दलीपसिंह सोढ़ी एवं जोगिंदरसिंह सोढ़ी ने भी सराहना करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की। प्राचार्य सुनीता राठौर ने कहा कि जिष्णु की यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि यदि सही दिशा और समर्थन मिले, तो बच्चे असंभव को भी संभव बना सकते हैं। प्रधानध्यापिक पूनम गांधी ने भी संबोधित किया। संचालन मीना बैरागी ने किया। आभार इंदिरा शुक्ला ने ज्ञापित किया।
पिता का सीना हो गया चौड़ा
पुत्र जिष्णु की इस ऐताहिस उपलब्धि से पिता ज्योतिषाचार्य महर्षि संजय शिवशंकर दवे का गर्व से सीना चौड़ा हो गया है। उन्होंने इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए पुत्र की निरंतरता और समर्पण की प्रशंसा की है। दवे ने बताया कि बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के जिष्णु ने केवल आत्मप्रेरणा, लगन और अनुशासन के बलबूते यह असाधारण कार्य कर दिखाया। उनकी पेंटिंग्स में देशभक्ति, प्राकृतिक दृश्य, देवी-देवता, महापुरुषों तथा कार्टून पात्रों की रचनात्मक झलक देखने को मिलती है।