चेम्बर ऑफ कॉमर्स पर नगर निगम प्रशासन की टेढ़ी नजर, संपत्ति कर चोरी मामले में हो सकती है बड़ी कार्रवाई ! नियमों का मखौल उड़ाने वाले और भी हैं

नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर के 2000 वर्गफीट से अधिक की व्यवसायिक संपत्तियों की जांच करवाई जा रही है। इसमें सबसे पहले चेम्बर ऑफ कॉमर्स का नंबर है। इसकी जांच में गड़बड़ी सामने आई है जिस पर अगले दो दिन में निगम प्रशासन द्वारा कार्रवाई संभावित है।

चेम्बर ऑफ कॉमर्स पर नगर निगम प्रशासन की टेढ़ी नजर, संपत्ति कर चोरी मामले में हो सकती है बड़ी कार्रवाई ! नियमों का मखौल उड़ाने वाले और भी हैं
चेम्बर ऑफ कॉमर्स रतलाम का भवन जिसके संपत्त कर स्व-निर्धारण की जांच नगर निगम द्वारा की जा रही है।

नगर निगम प्रशासन द्वारा की जा रही है 2000 वर्गफीट से अधिक की संपत्ति और कर स्व-निर्धारण की जांच, बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान और मैरिज गार्डन आ रहे जांच की ज़़द में 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । व्यापारियों के हित संरक्षण का कार्य करने वाली संस्था चेम्बर ऑफ कॉमर्स इन दिनों अपनी ही साख बचाने की जद्दोजहद में जुटी है। मामला संपत्ति कर की कथित चोरी का है। संपत्ति कर स्व-निर्धारण की सुविधा का गलत फायदा उठाने की शिकायतों के चलते नगर निगम प्रशासन ने मामला जांच में लिया है। माना जा रहा है कि संस्था पर 15 लाख रुपए से अधिक संपत्ति कर चोरी के मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

नगर निगम द्वारा 2000 वर्गफीट से अधिक के कमर्शियल भवनों की जांच की जा रही है। इसके लिए निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया द्वारा 5 दलों का गठन किया गया है जिसमें क्षेत्रीय इंजीनियरों को भी शामिल किया गया है। जांच के दौरान एक बड़ा मामला चेम्बर ऑफ कॉमर्स का सामने आय है। आयुक्त ने इसकी जांच उपायुक्त विकास सोलंकी व टीम को सौंपी है। जांच अंतिम दौर में बताई जा रही है। निगम सूत्रों की मानें तो जांच में चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने संपत्ति कर स्व-निर्धारण काफी कम किया। संस्था और निगम के कर निर्धारण में 5 से 6 गुने का अंतर है। यानी संस्था द्वारा अभी तक हर साल जितना संपत्ति कर चुकाया जा रहा था उससे 5 से 6 गुना ज्यादा चुकाया जाना था।

15 लाख से अधिक हो सकता है सरचार्ज

निगम सूत्रों के मुताबिक अभी तक चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा प्रति वर्ष लगभग 14 हजार रुपए संपत्ति कर चुकाया जा रहा था। जबकि संपत्ति के मौजूदा क्षेत्रफल के हिसाब से 85 से 88 हजार रुपए तक सालाना संपत्ति कर बनता है। निगम द्वारा संपत्ति कर की गणना योजना शुरू होने के बाद से ही की जा रही है। 1997-98 से उपरोक्त अंतर और सरचार्ज मिलाकर 15 लाख रुपए से ज्यादा होता है। 2016 के बाद से इस सरचार्ज पर 10 प्रतिशत सरचार्ज अतिरिक्त आरोपित किया जाना है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि निगम प्रशासन द्वारा चेम्बर ऑफ कॉमर्स को 18 लाख रुपए से अधिक का नोटिस दिया जा सकता है जिसकी अदायगी नहीं होने वैधानिक कार्रवाई भी संभावित है। पता चला है कि 2017 में भी एक मामले में 2.79 लाख रुपए अदा करने का नोटिस संस्था को जारी हुआ था।

जानिए, स्व-निर्धारण योजना और सरचार्ज के गणित को

संपत्ति कर स्व-निर्धारण की योजना 1997-98 में लागू हुई थी। इसके तहत संपत्ति मालिक को खुद ही संपत्ति कर का निर्धारण कर विवरणी नगर निगम में जमा कराने का प्रावधान है। इसके अनुसार ही संपत्ति मालिक द्वारा संपत्ति कर का भुगतान किया जाता है। नगर निगम एक्ट की धारा 138 में इसे शामिल करते हुए इसकी मॉनिटरिंग और जांच के लिए नगर निगम प्रशासन को अधिकार दिए गए हैं। एक्ट के अनुसार यदि जांच में संपत्ति और संपत्ति कर स्व-निर्धारण से 10 फीसदी तक अंतर पा जाता है तो संबंधित पर किसी प्रकार का कोई सरचार्ज नहीं लगाया जाएगा। वहीं यदि यह अंतर 10 फीसदी से ज्यादा हुआ तो उस अंतर पर पांच गुना सरचार्ज वसूला जाएगा। ऐसे मामलों में यदि सरचार्च जमा नहीं कराया जाता है या बाद में गड़बड़ी पकड़े जाने पर संपत्ति कर चोरी पाई जाती है तो 2016 से उक्त पांच गुना सरचार्ज पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त सरचार्ज आरोपित किया जाता है।

भवन निर्माण की अनुमति के दस्तावेज को लेकर भी संशय

बता दें, कि- चेम्बर ऑफ कॉमर्स संस्था का काम व्यापारियों के हितों की रक्षा करना और समय-समय पर सरकार व सरकारी एजेंसियों व व्यापारियों के बीच सेतु की भूमिका निभाना है। 11 सदस्यीय समिति संस्था और इसकी गतिविधियों का संचालन करती है। व्यापारियों पर टैक्स चोरी या अन्य समस्या आने पर यही संस्था अगुवाई कर मामले सेटल करवाने का प्रयास करती है। संस्था का अपना भवन है जो 75 कमरों का है। संस्था अब तक दावा करती रही है कि 60 के दशक में पुराना भवन तोड़कर नया बनाया गया था और इसकी अनुमति ली गई थी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि संस्था द्वारा इससे संबंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज कभी भी संबंधित सरकारी विभागों या कार्यालयों को उपलब्ध नहीं कराए गए। ऐसे में यह संदेह भी उतपन्न हो रहा है कि संस्था के पास ऐसे कोई दस्तावे हैं भी या नहीं जिनमें इतने बड़े भवन निर्माण की अनुमति ली गई हो। इस आशंका की वजह नगर निगम जैसी संस्था के पास भी चेम्बर ऑफ कॉमर्स से संबंधित रिकॉर्ड नहीं होना बताया जा रहा है।

बिजली कनेक्शन और टेलीफोन लाइन भी जांच के घेरे में

जानकार बताते हैं कि चेम्बर ऑफ कॉमर्स के इतने बड़े भवन में महज तीन ही बिजली मीटर लगे हैं जबकि किसी भी बड़े कॉम्प्लेक्स में विद्युत ट्रांसफार्मर लगाने का नियम है। यहां ऐसा नहीं है। यहां उपरोक्त मीटरों से ही सभी को बिजली आपूर्ति की जा रही है। सूत्रों से पता चला है कि संस्था द्वारा किसी सक्षम कार्यालय अनुमति लिए बिना ही एक निजी दूरसंचार कंपनी से सेवाएं ले रखी हैं जिसने 400 पेयर वाली टेलीफोन लाइन डाल रखी है। ये टेलीफोन लाइनें नालियों तक से गुजर रही हैं। इससे ये दोनों ही सेवाएं भी जांच के दायरे में आती हैं। हालांकि अभी तक इस ओर संबंधित विभागों का ध्यान ही नहीं गया है या फिर जानबूझ कर नजरअंदाज किया गया।

इन पर भी आ सकती है जांच की आंच

विगत कुछ वर्षों में घास बाजार क्षेत्र में तेजी से बड़े-बड़े मार्केट का निर्माण हुआ है। एमओएस और कंपाउंडिंग के लिहाज से यहां भी नियमों की अनदेखी होने की बात आ रही है। इसके अलावा क्लॉथ मार्केट और अन्य मार्केट भी हैं जो 2000 वर्गफीट से अधिक के कमर्शियल स्थलों में से शुमार हैं। इनके अलावा सभी मैरिज गार्डन और शॉपिंग मॉल भी निगम द्वारा शुरू की गई जांच की जद में आ रहे हैं। संपत्ति कर स्व-निर्धारण को लेकर जांच की आंच से ये भी प्रभावित होना तय हैं।

जांच जारी है, सहयोग नहीं करने वालों पर होगी वैधानिक कार्रवाई

2000 वर्गफीट से अधिक वाली व्यावसायिक संपत्तियों की जांच कराई जा रही है। इसमें सभी बड़े व्यावसायिक भवन, मैरिज गार्डन आदि शामिल हैं। गड़बड़ी पाए जाने पर नगर निगम एक्ट की धारा 138 के प्रावधान के अनुसार अंतर वाली संपत्ति पर 5 गुना सरचार्ज और 2016 के बाद से 10 फीसदी अतिरिक्त सरचार्ज वसूला जाएगा। यदि कोई इसमें सहयोग नहीं करता है तो संबंधित के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। चेंबर ऑफ कॉमर्स की जांच जल्दी ही पूरी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सोमनाथ झारिया, आयुक्त- नगर निगम, रतलाम