रतलाम में 12 साल बाद आए मिट्टी की कला के ये साधक, क्योंकि इनके पास आपके लिए बहुत कुछ खास है

रतलाम शहर के रोटरी हाल में आयोजित हस्तशिल्प मेले में इस बार 50 से अधिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए जुटे हैं क्योंकि यहां के कला पारखियों को कला की कद्र है।

रतलाम में 12 साल बाद आए मिट्टी की कला के ये साधक, क्योंकि इनके पास आपके लिए बहुत कुछ खास है
रतलाम के रोटरी हाल में आयोजित हस्तकला प्रदर्शनी में भोपाल के कलाकार राजेश प्रजापति की मिट्टी की कला निहारते रतलाम के कला पारखी।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रतलाम स्वाद और कला पारखियों का केंद्र है। यही वजह है कि यहां कलाकार अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए लालायित रहते हैं। भोपाल के ऐसे ही एक कलाकार हैं राजेश प्रजापति। इन्हें पक्की मिट्टी (टेराकोटा) से कलाकृतियां बनाने में महारथ हासिल है। वे रतलाम में आपके लिए कुछ खास लेकर आए हैं। राजेश की ही तरह अन्य कलाकार भी यहीं हैं आपके अपने रतलाम शहर में अपनी कोई न कोई कारीगरी और कलाकारी के साथ।

कलाकारों का यह जमावड़ा लगा है मृगनयनीसंत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेडमध्यप्रदेश शासन द्वारा रतलाम शहर के रोटरी हॉल (अजंता टॉकीज रोड) पर आयोजित शिल्प मेले में। यहां एक से बढ़कर एक कारीगरी देखी जा सकती है और पसंद आने पर अपने घर, ऑफिस की शोभा भी बढ़ाई जा सकती है।

50 से ज्यादा हस्तशिल्पियों का जमावड़ा

हस्तशिल्प मेले में 50 से ज्यादा हस्तशिल्पों की कलात्मक हस्तनिर्मित वस्तुओं का प्रदर्शन है। इन्हीं में से एक भोपाल के राजेश प्रजापति अपनी टेराकोटा शिल्प के साथ रतलाम में 12 साल बाद आए हैं। राजेश के खजाने में अखंड ज्योत दीपक है जो कि एक बार तेल डालने पर 12 घंटे तक लगातार रोशन रह सकता है। यह हवा से बुझेगा भी नहीं, क्योंकि इसे हवा से बचाने के लिए कांच लैम्प से कवर किया गया है। मिट्टी से बने बर्तन तो देखते ही आकर्षित कर लेते हैं। इनमें खाना बनाने और सर्व करने वाले बर्तन भी शामिल हैं जो अनूठी कला की बानगी हैं। आप यहां  मिट्टी के लैंप, झरने, स्टूल, गमले, डोर बेल सहित अन्य कलात्मक सामग्री भी देख सकते हैं।

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जल्दी कीजिए, आप कहीं चूक न जाएं अपनी मनपसंद कला देखने और लेने से

रतलाम में कला का यह जमावड़ा साल में एक बार ही लगता है। यही कारण है कि इसका रतलाम के कला पारखियों को काफी इंतजार रहता है। इस बार यह तकरीबन एक महीने की देरी से शुरू हुआ है और तय अवधि के लिए। आप के पहुंचने से पहले ही कला और कलाकारों का यह संगम विसर्जित न हो जाए, इसलिए जल्दी से पहुंच जाहिए कला को सराहने, निहारने और अपने घर लाने के लिए। मेला प्रभारी दिलीप सोनी भी यही कहते हैं कि कलाकारों को रतलाम की कलाप्रेमी जनता से हमेशा बेहतर प्रतिसाद मिलता है। इस बार भी कलाकार यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर काफी उत्साहित हैं। ये दिसंबर तक (रोज सुबह 11 से रात 9 बजे तक) रतलाम के कला पारखियों से प्रोत्साहन पाने के लिए उपलब्ध हैं।