अजब-गजब : अतिथि विद्वान ने बुक लिफ्टर को 7 हजार में दिया कॉपियां जांचने का ठेका, उसने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से 5 हजार में मूल्यांकन करवा लिया, तीनों बर्खास्त, प्राचार्य सहित 2 निलंबित

मप्र में कॉलेज की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा किए जाने का मामला सामने आया है। अतिथि विद्वान के हिस्से की ये उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए एक बुक लिफ्टर ने उपलब्ध करवाईं थी। उच्च शिक्षा विभाग ने मामले में प्राचार्य और एक प्राध्यापक को निलंबित किया है जबकि तीन अन्य कर्मचारियों की सेवाएं ही समाप्त कर दी हैं।

अजब-गजब : अतिथि विद्वान ने बुक लिफ्टर को 7 हजार में दिया कॉपियां जांचने का ठेका, उसने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से 5 हजार में मूल्यांकन करवा लिया, तीनों बर्खास्त, प्राचार्य सहित 2 निलंबित
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में अनियमितता।

एसीएन टाइम्स @ भोपाल । बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के अधीन संचालित पिपरिया के शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। यहां पदस्थ एक अतिथि विद्वान ने अपने हिस्से की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने का 7 हजार रुपए में ठेका एक बुक लिफ्टर को दे दिया। हद तो तब हो गई जब बुक लिफ्टार ने वह काम 5 हजार रुपए में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से करवा लिया। सोशल मीडिया में मामला उजागर होने के बाद विश्वविद्यालय ने तीनों ही कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।

विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पिपरिया में विश्वविद्यालयीन उत्तर पुस्तिकाओं की जाचं में अनियमितता को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था। इसकी सच्चाई का पता लगाने के लिए एक जांच समिति गठित की गई थी। समिति ने जांच के बाद 3 अप्रैल को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया। समिति में जांच में पाया कि महाविद्यालय में पदस्थ अतिथि विद्वान खुशबू पगारे को हिन्दी की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के लिए आवंटित की गई थीं। इन उत्तर पुस्तकाओं का मूल्यांकन अतिथि विद्वान पगारिया के बजाय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी प्रयोगशाला परिचारक पन्नालाल पठारिया द्वारा किया गया। पठारिया ने जांच के दौरान लिए गए लिखित कथन में इसकी पुष्टि भी की। उसने बताया कि उसे उक्त उत्तर पुस्तिकाएँ बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर से मिली थीं। उसने मूल्यांकन के एवज में 5 हजार रुपए भी दिए थे।

स्वास्थ्य खराब होने के कारण दूसरे को दिया ठेका

जांच के दौरान अतिथि विद्वान खुशबू पगारे ने भी लिखित कथन प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उनका स्वास्थ्य खराब होने से उन्होंने बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर (जनभागीदारी समिति) के माध्यम से कार्य कराया गया है। इसके लिए उन्होंने मेहर को 7 हजार रुपए का नकद भुगतान भी किया था। मेहर ने इसी राशि में से मूल्यांकन करने वाले पन्नालाल पठारिया को 5 हजार रुपए दिए थे। अतिथि विद्वान के बयान के आधार पर समिति ने बुक लिफ्टर मेहर का भी बयान लिया जिसमें उसने भी पठारिया से मूल्यांकन करवाए जाने की पुष्टि की।

समिति ने प्राचार्य व नोडल अधिकारी को पाया दोषी

जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में मूल्यांकन कार्य में हुई इस गंभीर लापरवाही, अव्यवस्था एवं अनियमितता के लिए महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार वर्मा (प्राध्यापक- वाणिज्य एवं मूल्यांकन नोडल अधिकारी) तथा डॉ. रामगुलाम पटेल (प्राध्यापक- राजनीति शास्त्र) को प्रथमदृष्टया जिम्मेदार पाया है। उनका यह कृत्य कदाचरण एवं घोर लापरवाही की श्रेणी माना गया है। इसके लिए म. प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम-9 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में दोनों अधिकारियों का मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम् संभाग, भोपाल रहेगा। दोनों को निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। 

इन तीनों की सेवाएं समाप्त

मामले में जनभागीदारी मद से कार्य कर रही अतिथि विद्वान खुशबू पगारे, प्रयोगशाला परिचारक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) पन्नालाल पठारिया तथा बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। जारी आदेश में बताया गया है कि अतिथि विद्वान, कुशल एवं अकुशल श्रमिक द्वारा विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाना गंभीर लापरवाही एवं अव्यवस्था का उदाहरण है।