विधानसभा में जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय के सवाल पर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने किया वादा
एसीएन टाइम्स @ जावरा । खामियों के लेबड़-नयागांव फोरेलन का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में गूंजा। जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय ने सदन का ध्यान आकर्षित किया। इस पर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने इसकी जांच विधायकों की समिति से कराने का वादा किया। उन्होंने कहा अगर टोल वसूली इसके निर्माण में आई लागत से ज्यादा होना पाई गई तो फोरलेन को सरकार अपने अधीन ले सकती है।
जावरा विधायक डॉ. पांडेय ने ध्यानाकर्ण प्रस्ताव के रूप में लेबड़ से नयागांव तक बने फोरलेन का मुद्दा उठाया।उन्होंने कहा कि लेबड़ से जावरा एवं जावरा से नयागांव फोरलेन लम्बे समय से क्षतिग्रस्त है। बीते वर्षों में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर विधायकों की समिति ने पूरे मार्ग का निरीक्षण किया था। तब पाई गई कमियों को दूर करने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद सड़क निर्माण कम्पनियों द्वारा पेंचवर्क की खानापूर्ति कर निर्देशो की अवलेहना की गई। इस मामले में उन्होंने निरन्तर विधानसभा व प्रशासकीय बैठकों में बात भी उठाई।
26 ब्लैक स्पॉट हैं फोरलेन पर, 11 वर्षों में हजारों हादसों में सैकड़ों की हुई मौत
डॉ. पांडेय ने बताया मार्ग में लगभग 26 ब्लैक स्पॉट चिन्हित हुए हैं। यहाँ पर विगत 11वर्षों में हजारों की संख्या में दुर्घटनाएं हुईं और दुःखद मौते हुईं। ग्रामीण, आवासीय, नगरीय व अधिक यातायात वाले क्षेत्रों में जहाँ ब्लैक स्पॉट हैं, वहां सुरक्षात्मक उपाय किये जाना चाहिए। डॉ. पांडेय ने बताया कि मार्ग के दोनों ओर एप्रेन नही बनाए जाने के कारण सड़क ऊंची हो गई। ठेकेदारों द्वारा मार्ग में दोनों ओर प्रकाश व्यवस्था, संकेतक, पर्याप्त पौरोपण आदि कार्य मे भी लापरवाही बरती जा रही है।
विधायक पांडेय के अनुसार निर्माण एजेंसियों द्वारा फोरलेन निर्माण में आई लागत से कई गुना अधिक टोल वसूली की जा चुकी है। बावजूद सड़क मार्ग को सुधारने के लिए गंभीरता नहीं बरती जा रही है। अतः पुनः विधायकों की समिति बनाई जाकर परीक्षण किया जाए।
मंत्री भार्गव ने यह किया वादा
विधायक डॉ. पांडेय के आग्रह पर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि- लेबड़-नयागांव प्रदेश का महत्वपूर्ण सड़क मार्ग है। इसके क्षतिग्रस्त होने की शिकायत की जांच कराई जाएगी। आगामी दिनों में विधायकों की समिति बनाई जाकर मार्ग का परीक्षण कराया जाएगा। मार्ग सुधार के लिए निर्माण कंपनी को भी निर्देशित किया जा रहा है। इसके अलावा यह भी परीक्षण कराया जाएगा निर्माण लागत की पूर्ति के बाद अधिक टोल वसूली होने की स्थिति में मार्ग को शासनाधीन लिए जाने की कार्यवाही की जा सकती है।