रतलाम में जमीन घोटाला ! धोखेबाज पीयूष गोयल ने फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दी 125 बीघा जमीन, न्यायालय ने खारिज कर दी घोटालेबाज की अग्रिम जमानत याचिका

एक कथित समाजसेवी द्वारा फर्जी डॉक्यूमेंट बना कर 125 बीघा जमीन का 9 करोड़ रुपए में सौदा करने का मामला सामने आया है जबकि आरोपी की खुद की जमीन सिर्फ 23 बीघा ही है।

रतलाम में जमीन घोटाला ! धोखेबाज पीयूष गोयल ने फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दी 125 बीघा जमीन, न्यायालय ने खारिज कर दी घोटालेबाज की अग्रिम जमानत याचिका
सैलाना में फर्जी डॉक्यूमेंट बना कर 125 बीघा जमीन का सौदा करने वाला कथित समाजसेवी पीयूष गोयल।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जमीनों की जादूगरी के खेल में रतलाम के जमीनखोरों को महारथ हासिल है। इसका फायदा अब आसपास के जिले के लोग भी उठा रहे हैं। सैलाना में करोड़ों रुपए के जमीन घोटाले के मामले में इंदौर निवासी तथाकथित समाजसेवी को कोर्ट से झटका लगा है। फर्जीवाड़े और घोटाले के आरोपी की अग्रिम जनामत याचिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दी है। इससे अब आरोपी की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।

यह घोटालेबाज तथाकथि समाजसेवी पीयूष पिता प्रेमसुख गोयल, निवासी चितावद रोड, इंदौर है। आरोप है कि धोखेबाज पीयूष गोयल ने जिले के सैलाना में 125 बीघा जमीन के फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार कर 9 करोड़ रुपए में उसका सौदा कर दिया। उसने 2.70 रुपए भी प्राप्त कर लिए। यहां बता दें कि आरोपी गोयल की खुद की जमीन महज 23 बीघा ही है जबकि उसके द्वारा जिस जमीन का सौदा किया गया वह उसकी मालिकी की जमीन से पांच गुने से ज्यादा है।

जमीन के वास्तविक मालिकों ने दर्ज कराई रिपोर्ट

मामला तब उजागर हुआ जब जमीन के मालिकों को इस फर्जीवाड़े की भनक लगी। जमीन के वास्तविक मालिक, निकेत मंगल, डॉ. अनिल बक्सी, दिलशुख कटारिया (HUF0, विमलेश चौरड़िया, ओमप्रकाश गुप्ता, आशीष शाह आदि हैं। भनक लगते जमीन मालिकों ने उन्होंने मामले की शिकायत सैलाना पुलिस थाने पर की। मामले में पुलिस ने अपराध क्रमांक 0176/2025 दर्ज कर विवेचना शुरू की। इसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी पीयूष गोयल ने रतलाम के जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की याचिका प्रस्तुत की थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। बताया जा रहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी गोयल के विरुद्ध एक अन्य भूमि सौदे को लेकर भी FIR दर्ज करने के आदेश दिए जा चुके हैं।

जमीन मालिकों का तर्क

शिकायतकर्ता जमीन मालिक निकेत मंगल और डॉ. अनिल बक्सी ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने गोयल के पक्ष में न तो कभी कोई अधिकार-पत्र हस्ताक्षरित किया और न ही कोई मौखिक अनुमति ही दी। अन्य जमीन मालिक दिलीशुख कटारिया, आशीष शाह, विमलेश चौरड़िया और ओमप्रकाश गुप्ता के अनुसार आरोपी द्वारा तीन साल पुराने एक सौदे के बाद उन्हें सादे कागज़ पर हस्ताक्षर के लिए कहा गया था। तब उनसे कहा गया था कि यह केवल राजस्व विभाग की औपचारिकताओं के लिए है।

सुनियोजित आपराधिक साज़िश का उदाहरण

बाद में उन दस्तावेज़ों का भूमि सौदे के ‘अधिकार पत्र’ के रूप में प्रस्तुत कर दुरुपयोग किया गया। आरोपी ने जो झूठे ‘अधिकार पत्र’ प्रस्तुत किए, वे अब सामने आए हैं। ये बयानों व शपथ-पत्रों के अनुसार 2024 में हस्ताक्षरित कराए गए थे लेकिन इन पर 2021 की तारीख दर्शाई गई है। इससे साफ है कि सौदे के समय दिखाए गए दस्तावेज़ कूटरचित थे, क्योंकि वे तब अस्तित्व में ही नहीं थे। जानकारी के अनुसार साल 2021–22 में सैलाना तहसील में करीब 6 फर्जी आवेदन प्रस्तुत किए गए थे। इन पर आदेश पारित करवाकर सीमांकन जैसी गंभीर प्रक्रिया को अंजाम भी दिया गया था। यानी यह प्रशासनिक लापरवाही तो है ही, गहरी सुनियोजित आपराधिक साज़िश भी नज़र आ रही है। 

ये चाहते हैं शिकायकर्ता

कहा जा रहा है कि आरोपी की ओर से सादे कागज़ पर बना एक नया दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया है। इसकी भी प्रमाणिकता सिद्ध नहीं हुई है। अभी तक पुलिस को मूल दस्तावेज़ भी नहीं सौंपे गए हैं। ऐसे में मूल दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ होने और जालसाज़ी की प्रबल आशंका है। यही कारण है कि शिकायकर्ता मामले में फॉरेंसिक जांच कराए जाने की आवश्यकता जाहिर कर रहे हैं। चूंकि न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो गई है, अतः वे आरोपी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी करने की मांग भी कर रहे हैं।