शोर हुआ तो खैर नहीं : लाउड स्पीकर और डीजे के प्रयोग को लेकर राज्य सरकार का नया फरमान, गाइड लाइन का पालन नहीं हुआ तो अफसर भी होंगे दंडित

मप्र शासन ने धार्मिक और सार्वनिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारकों के उपयोग को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके पालन के लिए अधिकारियों की जवाबदेही नियत की गई है।

शोर हुआ तो खैर नहीं : लाउड स्पीकर और डीजे के प्रयोग को लेकर राज्य सरकार का नया फरमान, गाइड लाइन का पालन नहीं हुआ तो अफसर भी होंगे दंडित
ध्वनि विस्तार यंत्रों के उपयोग को लेकर मप्र शासन ने जारी किया नया आदेश।

एसीएन टाइम्स @ भोपाल । प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव के शपथ लेते ही ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए राज्य शासन ने बुधवार को नया आदेश जारी किया है। मप्र के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लाउड स्पीकर तथा डीजे सहित अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के प्रयोग को लेकर स्पष्ट और सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है गाइड लाइन का उल्लंघन होने पर ध्वनि विस्तारकों को मापदंडों के विपरीत प्रयोग होने पर प्रयोगकर्ता, आयोजनकर्ता तो दंडित होंगे ही, वे अधिकारी भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे जिन्हें अनुपानल कराने की जिम्मेदारी दी गई है।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजोरा द्वारा जारी आदेश प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, सभी संभागायुक्तों, सभी जोनल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों, भोपाल और इंदौर के पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस उपमहानिरीक्षकों, जिला दंडाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को प्रेशित किया गया है। आदेश में धार्मिक स्थलों और अन्य स्थानों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउड स्पीकर / डीजे / संबोधन प्रणाली) के अनियंत्रित और नियम विरुद्ध प्रयोग पर नियंत्रण तथा कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। इसमें शासन द्वारा 9 जनवरी 2020, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 तथा सर्वोच्च न्यायाल द्वारा 18 मई 2005 को पारित आदेशों का हवाला दिया गया है। आदेश में मप्र उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ के 6 जनवरी 2015 के ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के अलावा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष प्रचलित प्रकरण के संबंध में निर्धारित किए गए प्रावधानों का भी जिक्र किया गया है।

इसलिए जरूरी है ध्वनि विस्तारकों के प्रयोग पर नियंत्रण

आदेश में बताया गया है कि शोर से मनुष्य के काम करने की क्षमता, आराम, नींद और संवाद में व्यवधान पड़ता है। कोलाहल पूर्ण वातावरण के कारण उच्च रक्तचाप, बेचैनी, मानसिक तनाव तथा अनिद्रा जैसे प्रभाव भी शरीर पर पड़ते हैं। अधिक शोर होने पर कान के आंतरिक भाग की क्षति भी होती है। इसके चलते ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लाउडस्पीकरों और हॉर्न के इस्तेमाल को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

गठित करने होंगे उड़नदस्ते

आदेश में उपरोक्त दिशा-निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उड़नदस्तों का गठन करने के लिए कहा गया है। इन दस्तों में जिला प्रशासन द्वारा नामित अधिकारी, संबंधित थाने का थाना प्रभारी अथवा उनका प्रतिनिधि तथा मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नामिक व्यक्ति शामिल होंगे। इन दस्तों को नियमित अथवा आकस्मिक रूप से धार्मिक, सार्वजनिक अथवा ऐसे स्थलों का निरीक्षण करना होगा जहां ध्वनि विस्तारकों का उपयोग होता है। यदि कहीं से शिकायत प्राप्त होती है वहां भी तत्काल पहुंच कर जांच करना होगी और जांच कर प्रतिवेदन संपबंधित प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसके आधार पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई होगी। यदि शिकायत गलत पाई जाती है तो उस स्थिति में संक्षित प्रक्रिया का पालन करते हुए शिकायत का निराकरण करना होगा।

अनदेखी करने वाले अफसरों पर ही भी होगी कार्रवाई

गृह विभाग के अनुसार ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के यथा संशोधित नियम 3(1) तथा 4(1) के अनुसार अनुमत्य अधिकतम ध्वनि सीमा (डेसिबल) के अनुसार ही ध्वनि विस्तारक का प्रयोग किया जा सकेगा. इसके लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेना जरूरी है। यदि कोई इसका पालन नहीं करता है तो उनके आयोजकों के विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं यदि कहीं नियम का उल्लंघन पाया जाता है तो उस अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी जिसका उक्त नियम का पालन कराने की जिम्मेदारी थी। आदेश की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के सचिव को भी भेजी गई है।