क्या आप बच्चा गोद लेने के बारे में सोच रहे हैं ? यदि आपका जवाब 'हां' है तो पहले यह खबर पढ़ लें ताकि बाद में आपको कोई परेशानी न हो
निःसंतान दंपती बच्चों को गोद लेकर मातृत्व और पितृत्व सुख का अनुभव ले सकते हैं। भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया है जिसका पालन करना जरूरी है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की शाखा कारा से मिलेगी बच्चा गोद लेने की संपूर्ण जानकारी
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । संतान सुख के बिना किसी का भी दांपत्य जीवन अधूरा है। यही वजह है कि लोग संतान प्राप्त के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने से पीछे नहीं हटते। ऐसे लोग बच्चे को गोद लेकर अपने जीवन की इस कमी को पूरा कर सकते हैं। चूंकि बच्चा गोद लेना आसान नहीं है, इसके लिए कानूनी प्रक्रिया पर अमल करना होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने लोगों को इससे अवगत कराने के लिए अभियान शुरू किया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास रजनीश सिन्हा ने बताया किसी व्यक्ति या दंपत्ति को बच्चा गोद लेने के लिए संपूर्ण जानकारी ऑनलाइन वेबसाइट www.cara.nic.in से मिल सकती है। कारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ही एक शाखा है। सिन्हा ने बताया पेरेंट्स को सबसे पहले वेबसाइट carings.nic.in पर गोद लेने के इच्छुक आवेदक के तौर पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके अलावा भावी माता-पिता को कारा द्वारा प्रमाणित नजदीकी स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी का चयन एचएसआर हेतु कराना होगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म सफलतापूर्वक जमा करने के लिए जरूरी दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे। इनमें उनकी आर्थिक स्थिति, बीमारी, शादी का स्टेटस, एड्रेस प्रूफ, आयु के प्रमाण-पत्र आदि भी वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे। सभी दस्तावेज अपलोड होने के बाद ही आवेदन पर विचार किया जा सकेगा।
दंपती की जानकारी तीन साल के लिए होती है वैध
ऑनलाइन आवेदन के बाद गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति या दंपत्ति की काउंसलिंग और इंटरव्यू एचएसआर तैयार करने के लिए लिया जाता है। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दत्तक माता-पिता के बारे में पूरी जानकारी एकत्र की जाती है। यह जानकारी जरूरी दस्तावेज जमा करने के 30 दिन के भीतर इकट्ठा कर ली जाती है। यह जानकारी 3 साल की अवधि के लिए वैध होती है। यदि इस समय तक सब कुछ नियम के मुताबिक सही पाया जाता है तो फिर प्रतीक्षाकाल शुरू होता है।
न्यायालय दायर होती है याचिका, जन्म प्रमाण-पत्र के लिए करना होता है आवेदन
वरिष्ठता क्रम अनुसार ऑनलाइन पोर्टल पर ही उपयुक्त बच्चा भावी माता-पिता को रैफर किया जाता है। यदि दंपत्ति बच्चे को गोद लेने के लिए सहमति देते हैं तो उनको कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बाद बच्चे को माता-पिता को सौंप दिया जाता है। इसके बाद एजेंसी का वकील दत्तक माता-पिता की ओर से कुटुंब न्यायालय अथवा न्यायालय में याचिका दाखिल करता है। इसके तहत बच्चा गोद लेने की मंजूरी मिल जाती है। दत्तक माता-पिता रजिस्टर ऑफिस में गोद लेने के प्रमाण-पत्र को रजिस्टर करवाते हैं। उन्हें जन्म प्रमाण-पत्र के लिए भी आवेदन करना पड़ता है।
भारत में बच्चे को गोद लेने का नियम
- आप पूरे भारत के किसी भी हिस्से में बच्चा गोद ले सकते हैं लेकिन दत्तक माता-पिता के बारे में इंक्वायरी उसी राज्य की एजेंसी करती है जहां वे रह रहे हैं।
- दत्तक माता-पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना चाहिए।
- भावी माता-पिता की अधिकतम संयुक्त आयु अनुरूप निर्धारित उम्र का बच्चा ही गोद लिया जा सकता है।
- गोद लेने से पहले शादीशुदा जोड़े के लिए जरूरी है कि उनकी शादी के कम से कम 2 साल हो चुके हों। यानी उन्होंने स्थायी वैवाहिक संबंधों के कम से कम 2 साल पूरे कर लिए हों।
- अकेली महिला लड़का या लड़की ले सकती है लेकिन अकेला पुरुष किसी लड़की को गोद नहीं ले सकता।
- किसी भी धर्म या जाति के अनिवासी भारतीय दंपती बच्चा गोद ले सकते हैं।
- भारत के बाहर रहने वाले गैरभारतीय भी गोद लेने के पात्र हैं।
- सभी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट केयर एंड प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन 2015 तथा दत्तक ग्रहण नियम 2017 के तहत एक बच्चा अपनाने के पात्र हैं।
- दिव्यांग भी अपनी अक्षमता की प्रकृति और सीमा के आधार पर बच्चा गोद ले सकते हैं।
- जिन लोगों के पहले से ही 3 या इससे अधिक बच्चे हैं, वे लोग गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं। विशेष स्थिति में वे भी गोद ले सकते हैं।
गोद लेने के लिए ये दस्तावेज प्रस्तुत करना जरूरी दस्तावेज
- आधार कार्ड
- मतदाता कार्ड
- पैन कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- माता-पिता के जन्म प्रमाण-पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- माता-पिता की फिटनेस का प्रमाण
- निवास का प्रमाण
- पारिवारिक फोटोग्राफ
- शादी का प्रमाण-पत्र
नोट : अगर गोद लेने वाला सिंगल पेरंट है तो कोई दुर्घटना हो जाने की स्थिति में बच्चे की देखभाल के लिए एक रिश्तेदार की सहमति तथा ऐसे दो व्यक्तियों के सिफारिश-पत्र जो परिवार को अच्छी तरह से जानते हों। सिफारिश-पत्र देने वाले करीबी रिश्तेदार नहीं होने चाहिए।