रण्डी का दण्ड फकीर को ! जहां कचरा डालने पर पार्षद पति पर हुआ जुर्माना, जिम्मेदारों ने अब तक वहां सफाई करवाना जरूरी नहीं समझा
रतलाम नगर निगम का प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग का अमला शहर को स्वच्छ रखने के प्रयासों को पलीता लगाने पर तुला है। विभाग की निष्क्रियता से बने ओघोषित ट्रेंचिंग ग्राउंड लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं। ऐसे ही एक अघोषित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरा डालने पर पार्षद पति को जुर्माना भरना पड़ा।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । स्वच्छता के मामले में नगर निगम की तमाम दलीलें हवा भरे गुब्बारे से कम नहीं है। इसकी बानगी शहर में जगह-जगह देखने को मिल रही है। सिस्टम के नाकारापन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सत्ता पक्ष की पार्षद के पति पर जिस जगह कचरा डालने पर जुर्माना हुआ था वह जिम्मेदारों ने साफ कराना जरूरी नहीं समझा। शहर में ऐसे अघोषित ट्रेंचिंग ग्राउंड जगह-जगह हैं जो नगर निगम के नाकारा सिस्टम की गवाही दे रहे हैं।
भाजपा पार्षद के घर से कुछ ही दूरी पर नाले के ऐसे हैं हाल।
पिछले दिनों कचरा फेंकते हुए भाजपा पार्षद प्रीति कसेरा के पति संजय ट्रैप हो गए और उन्हें जुर्माना भरना पड़ा। इस मामले में अच्छी बात यह रही कि पार्षद पति कसेरा पर जुर्माना खुद महापौर प्रहलाद पटेल ने किया। इसे नकारात्मक रूप से प्रचार मिला जबकि हकीकत यह है कि महापौर पटेल ने अपनी ही पार्टी की पार्षद के पति पर स्वयं जुर्माना कर आमजन में यह संदेश देने का प्रयास किया कि स्वच्छता के मामले में किसी तरह का समझौता नहीं होगा। जुर्माना हर हाल में किया जाएगा भले ही उनके पार्षद हों, पार्षद के पति या अन्य रिश्तेदार हों अथवा खुद महापौर के परिवार का सदस्य ही क्यों न हो। इसी तरह बिना कोई विरोध जताए पार्षद पति ने भी जुर्माना चुका कर रसीद कटवा ली। पार्षद पति कसेरा के अनुसार वे भी शहर के एक नागरिक हैं इस नाते नियम-कानून उन पर भी लागू होते हैं। इसलिए विरोध का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
यह तो 'रण्डी का दंड फकीर को’ है
महापौर पटेल द्वारा पार्षद पति कसेर पर जुर्माना किए जाने को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। कोई दोनों के बीच राजनीतिक खींचतान होने की बात कह रहा है तो कोई पार्षद पदि द्वारा जुर्माना करने पर विरोध नहीं जताने को उनकी कमजोरी बता रहा है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें यह ‘रण्डी का दण्ड फकीर को’ कहावत का प्रत्यक्ष उदाहरण लग रहा है। ऐसा इसलिए कि पार्षद पति द्वारा ऐसे स्थान पर कचरा फेंका गया जहां नगर निगम के अमले की उदासनीता के कारण अघोषित ट्रेंचिंग ग्राउंड बन चुका है। शहर में ऐसे अघोषित ट्रेंचिंग ग्राउंड जगह-जगह हैं जिन्हें साफ करने / रखने में न तो नगर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अमले को रुचि है और न ही अफसर को। कहने का आशय यह है कि ऐसे स्थानों पर तो कोई भी कचरा फेंकेगा जहां पहले से ही कचरे का ढेर लगा हो। ऐसी जगह कचरा फेंकने पर जुर्माना होना भी रण्डी का दण्ड फकीर को जैसा ही है।
स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन की पकड़ पर उठे सवाल
यह घटना स्वच्छता को लेकर आमजन को जागरूक करने के महापौर के प्रयास के साथ ही पार्षद पति की सकारात्मकता साबित करती है वहीं नगर निगम प्रशासन की नाकामी भी उजागर करती है। नगर निगम की नाकामी इस लिहाज से साबित होती है क्योंकि जिस जगह पर कचरा फेंकने पर पार्षद पति को जुर्माना चुकाना पड़ा, वहां अब तक सफाई नहीं हुई है। जुर्माने के बाद तत्काल यदि वहां से कचरा भी हट गया होता तो नगर निगम प्रशासन का स्वच्छता के प्रति गंभीर होने की पुष्टि हो जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कहा तो यह तक जा रहा है कि नगर निगम की स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन की पकड़ अपने विभाग पर नहीं होने का खामियाजा शहर की जनता को बिमारियों के रूप में भुगतान पड़ रहा है।