कला-साहित्य : 'युगबोध' के ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का समापन 8 जून को, 'तोता' और 'जामुन का पेड़' नाटक का मंचन करेंगे बच्चे
रतलाम में युगबोध द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य प्रशिक्षण शिविर का समापन 8 जून को दो नाटकों के मंचन के साथ होगा।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । नन्हें कलाकारों को मंच से जोड़ने एवं उन्हें रंग कर्म की बारीकियों से अवगत कराने के उद्देश्य से 'युगबोध' नाट्य संस्था द्वारा प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष आयोजित हुए शिविर का समापन 8 जून (रविवार) को रात 8 बजे महाराष्ट्र समाज भवन, स्टेशन रोड रतलाम पर होगा। इसमें बाल कलाकार दो नाटकों का मंचन करेंगे।
यह जानकारी युगबोध के अध्यक्ष एवं शिविर के प्रशिक्षक, वरिष्ठ रंगकर्मी ओम प्रकाश मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि युगबोध द्वारा 2009 से प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। कोरोना काल को छोड़कर यह शिविर प्रतिवर्ष आयोजित होता रहा। इसके माध्यम से शहर के बच्चों को रंगकर्म से जोड़ने की कोशिश की जाती है। शिविर पूर्णतः निःशुल्क होता है। इसमें बच्चों को रंगकर्म के प्रशिक्षण के साथ संवाद अदायगी, भाषा एवं उच्चारण तथा कला के विभिन्न पक्षों की जानकारी प्रदान की जाती है। इस वर्ष शिविर की शुरुआत 5 मई को की गई थी। शिविर में 15 बच्चों ने हिस्सेदारी की।
'तोता' और 'जामुन का पेड़' का होगा मंचन
मिश्रा ने बताया कि शिविर के दौरान बच्चों ने दो नाटक तैयार किए हैं। रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी 'तोता' और कृष्ण चंदर की कहानी 'जामुन का पेड़' का नाट्य रूपांतर साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने किया है। नाटक 'तोता' हमारी शिक्षा पद्धति पर कटाक्ष करता है वहीं दूसरा नाटक 'जामुन का पेड़' व्यवस्था की अव्यवस्था को उजागर करता है। उन्होंने शहर के रंगकर्मियों एवं सुधिजनों से आयोजन में उपस्थित होने का आग्रह किया है।