Social Concerns of RSS : 1 लाख गांव में 3.50 लाख स्वास्थ्य सैनिकों की मदद से कोरोना की तीसरी लहर से मानवता को बचाएगा RSS
कोरोना की तीसरी लहर से मानवता को बचाने के लिए आरएसएस ने देश के 1 लाख गांवों में 3.50 लाख लोगों को प्रशिक्षत किया है। इन्हें जांच के संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं।
देश में 1 लाख 30 हजार से अधिक सेवा कार्यों का संचालन कर रहा है आरएसएस, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ एक संगठन नहीं बल्कि सेवा का पर्याय है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मानवता की रक्षा में महती भूमिका निभाने वाले इस संगठन ने तीसरी लहर से लड़ने के लिए भी तैयार है। आरएसएस ने ऐसी किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में नरनारायण की सेवा के लिए एक लाख गांवों में करीब 3.50 लाख लोगों को स्वास्थ्य परीक्षण संबंधी प्रशिक्षण दिया है। इन्हें टेस्टिंग किट भी उपलब्ध करवाई गई है।
अनौपचारिक चर्चा के दौरान यह महत्वपूर्ण जानकारी आरएसएस के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख पराग अभ्यंकर ने दी। उन्होंने बताया प्रशिक्षण का काम तीन महीने पूर्व ही पूरा हो चुका है। प्रशिक्षित टीम के सदस्य गांवों में एएनएम, आशा कार्यकर्ता और कोटवार आदि की मदद से सर्वे कर संक्रमितों का पता लगाने का काम करेंगे। इसके लिए टीमों को किट भी प्रदान की गई हैैं जिनमें थर्मल गन, पीपीई किट, पल्स ऑक्सीमीटर, 10-10 सर्जिन हैंड ग्लब्ज और मास्क शामिल हैं।संक्रमण के लक्षण पाए जाने पर गांव में होम आइसोलेट किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर गांवों में ही आइसोलेशन केंद्र भी बनाए जाएंगे।
दूसरी लहर के दौरान 10 हजार ऑक्सीजन कॉन्सट्रेटर व 500 वेंटीलेटर भी दिए
सेवा प्रमुख अभ्यंकर के अनुसार दूसरी लहर के दौरान भी आरएसएस के स्वयं सेवकों ने महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी। देशभर में करीब 10 हजार ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर भी उपलब्ध करवाए गए थे। इसके अलावा 500 वेंटीलेटर भी विभिन्न अस्पतालों को उपलब्ध करवाए गए थे। इंदौर व अन्य स्थानों पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भी स्थापित किए गए। यह सब सेवा इंटरनेशनल संस्था की मदद से संभव हो सका।
आरएसएस के सेवा कार्य एक नजर में
स्वास्थ्य के क्षेत्र के कार्य...
- देशभर में संघ के शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन तथा सामाजिक क्षेत्र से जुड़े 1 लाख 30 हजार से अधिक सेवा कार्य संचालित हैं। इनका 2019 में भौतिक सत्यापन कराया गया था।
- देश में 336 छात्रावासों का संचालन होता है जिनमें गरीब और निर्धन बच्चे रहते और पढ़ाई करते हैं।
- नॉर्थ-ईस्ट के गरीब और निर्धन बच्चों के लिए भी 75 छात्रावास हैं जहां 12वीं तक की पढ़ाई करवाई जाती है। ऐसे छात्रावास बैंगलुरु, मुंबई, अमरावती, कानपुर, अहमदाबाद सहित अन्य शहरों में स्थित हैं।
- 156 सर्व सुविधायुक्त ओपीडी (डिस्पेंसरी संचालित हैं जहां सभी प्रकार का इलाज होता है।
- 18 से 19 बड़े चिकित्सालय हैं। यहां हर तरह की गंभीर बीमारी का इलाज होता है। गुरुग्राम, नेल्लोर, औरंगाबाद, ग्वालियर के अस्पताल प्रमुख हैं।
- आरोग्य पैथी के 3500 केंद्र गुजरात और 3500 आसाम में संचालित हैं। इससे जुड़े लोगों को आयुर्वेद की दवाई उपलब्ध कराई जाती है और उसके उपयोग के बारे में प्रशिक्षत किया जाता है। केरल में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए एक प्रयोग भी किया गया है।
- इंदौर में गुरुजी सेवा न्यास अस्पताल संचालित है। यहां सभी प्रकार की जांचों न्यूनतम शुल्क पर होती है। इसके अलावा कई डायलिसिस सेंटर भी हैं। बाजार में यदि डायलिसिस में 2 से ढाई हजार रुपए तक लगते हैं तो संघ द्वारा संचालित केंद्रों में वही 600-700 रुपए में हो जाती है।
स्वावलंबन के क्षेत्र के कार्य...
- कन्याकुमारी के 1200 गांवों में 3500 महिला स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं। इनसे करीब 20 हजार महिलाएं जुड़ी हैं।
- 990 सिलाई-कड़ाई और बुनाई केंद्रों का संचालन भी किया जा रहा है। स्टार्ट अप वाले भी सहयोग कर रहे हैं। वे ऐसे संस्थानों की महिलाओं से अन्य कंपनियां भी काम करवा रही हैं।
- दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु सहित देशभर में ब्यूटीपार्लर की ट्रेनिंग के सेंटर भी संचालित हैं। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भ बनाने में मदद मिली है।
- सोलापुर में पापड़-बड़ी जैसी चीजें बनाने का काम महिलाएं करती हैं। पिछले कोरोना काल में इन समूहों को सरकार ने काम उपलब्ध करवाया। इन्होंने मरीजों को प्रभावितों को भोजन उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी दी थी।
सामाजिक क्षेत्र के कार्य...
- 70 के करीब मातृछाया केंद्र संचालित हैं। यहां अनाथ नवजात बच्चों के पालन-पोषण की व्यवस्था की जाती है।
- विधवा आश्रम और अनाथ बालिका आश्रमों का संचालन भी हो रहा है। यहां पढ़ाई करवाने के साथ ही उनकी शादी भी करवाई जाती है।
सेवादाता एप से जुड़ा 650 कामगारों को
अभ्यंकर ने बताया कि सेवा प्रकल्पों के तहत रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऑनलाइन सुविधा भी मुहैया करवाई जा रही है। इससे पर अभी तक 650 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। 60 प्रकार के कार्य से जुड़े लोग शामिल हैं। इसके अलावा एक सेवागाथा एप भी है ज सेवा कार्यों के प्रचार-प्रसार होता है। वर्तमान में यह एप हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और कन्नड़ भाषा में उपलब्ध है। 19 दिसंबर को यह गुजराती भाषा में भी उपलब्ध हो जाएगा।