बड़ी क्षति ! भारत के ‘रतन’ ने दुनिया को कहा ‘टाटा’, 86 की उम्र में ली अंतिम सांस, लंबे समय से थे अस्वस्थ
पद्म विभूषण रतन टाटा जी बुधवार को दुनिया को अलाविदा कह गए। वे 86 वर्ष के थे और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे।
एसीएन टाइम्स @ मुंबई । पद्म विभूषण उद्योगपति रतन टाटा जी नहीं रहे। भारतीय उद्योग जगत को नई ऊंचइयां देने वाले भारत के ‘रतन’ ने 86 की उम्र में दुनिया को ‘टाटा’ कह दिया। उन्हें अस्वस्थता के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जानेमाने उद्योगपति टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा लंबे समय से अवस्थ थे। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे ICU में भर्ती थे जहां बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 86 साल के थे। बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों का कारण उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि उन्होंने 7 तारीख को अपने X हैंडल पर लिखा था कि 'मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।' उन्होंने लोगों और मीडिया से अपील की थी कि वे अफवाहें न फैलाएं। बुधवार को रतन टाटा ने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
Thank you for thinking of me ???? pic.twitter.com/MICi6zVH99
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 7, 2024
1937 में जन्मे थे टाटा
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की थी। इसके बाद अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले उन्होंने कुछ समय अमेरिका में भी काम किया था। 1981 में वे टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने। मार्च 1991 में उनके चाचा जेआरडी टाटा सेवानिवृत्त हुए तो रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला। दिसंबर 2012 तक उन्होंने टाटा समूह की अगुवाई की और नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बना कर समूह को नई बुलंदियों पर पहुंचाया।
कई बड़ी कंपनियों का किया अधिग्रहण
रतन टाटा के अपने नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण भी किया। इनमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। उनकी सूझबूझ के चले ही टाटा समूह दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह बन गया। वे सामाजिक कार्य का पर्याय थे। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के रूप में उनके द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काफी काम हुआ।
ये पुरस्कार और सम्मान मिले
भारत के 50वें गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2000 को हुए समारोह में रतन टाटा को देश का तीसरा नागरिक अलंकरण पद्म भूषण प्रदान किया गया था। इसके पश्चात 26 जनवरी 2008 को वे दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से नवाजे गए। इसी साल 14 फरवरी 2008 को उन्हें नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार दिया गया। इससे पहले 2007 में रतन टाटा ने टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक भी प्राप्त किया था। मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा 26वें रॉबर्ट एस. सम्मान से भी सम्मानित हुए थे। फरवरी 2004 में चीन के झोज्यांग प्रांत में हांजो शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से स्मानित किए गए थे।
विभिन्न पदों पर रहे
रतन टाटा अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। इनमें आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, मित्सुबिशी निगम, अमेरिकन इंटरनेशनल समूह, जेपी मॉर्गन चेज़, बूज़ एलन हैमिल्टन के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य रहे। रैंड निगम, और मातृ संस्था आल्मा मैटर, कॉर्नेल विश्वविद्यालय, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्विद्यालय के न्यासी मंडल के सदस्य, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड सदस्य, न्यूयार स्टॉक एक्सचेंज, के एशिया-पैसिफिक सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। एशिया पैसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केन्द्र के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत एड्स इनिशिएटिव बार्ड के सदस्य रहे। कुछ समय पूर्व लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई थी। नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था इसी प्रकार मई 2008 में टाइम पत्रिका ने विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था। उनकी 1 लाख रुपए की नैनो कार के लिए भी काफी प्रशंसा मिली थी।