World book day 2025 : आओ 'हम भी किताबों से मिलें !' -अज़हर हाशमी
आपको सच्चे दोस्त की तलाश है तो किताबों से दोस्ती कीजिए। ये हर अच्छे-बुरे वक्त पर आपका साथ ही देंगी। इन्हें कुछ और नहीं चाहिए सिवाय आपके थोड़े से समय के। लिए हम भी प्रोफेसर अज़हर हाशमी की तरह किताबों से मिलें!

किताबों से मिले !
किताबें, कर्म कौशल की कथाएँ
किताबें, अक्षरों की हैं सभाएँ
किताबें, जोश हैं, जज्बात भी हैं
किताबें, इल्म की सौगात भी हैं
दिलों में इल्म की सौगात भर लें।
किताबों से मिलें, कुछ बात कर लें।
किताबें, खुद सफर हैं खोज भी हैं
किताबें, तेज-तप हैं, ओज भी हैं
किताबें, रोशनी की बातियाँ हैं,
किताबें, हर्षदायी पातियाँ हैं,
पढ़ें ये पातियाँ, दुःख से उबर लें।
किताबों से मिलें, कुछ बात कर लें।
किताबें, तत्वखोजी साधनाएँ
किताबें, शब्द की आराधनाएँ
किताबें, सिलसिला रूहानियत का
किताबें, इत्र हैं इन्सानियत का
दिलों में इत्र की सुरभि को धर लें।
किताबों से मिलें, कुछ बात कर लें।
(रचना प्रो. अज़हर हाशमी के काव्य संग्रह 'अपना ही गणतंत्र है बंधु !' से साभार)