10वें सोपान पर पहुंचा ‘सुनें सुनाएं’, 10 रचनाकार आज सुनाएंगे अपनी प्रिय रचनाएं, आप आएं औरों को भी लाएं ताकि बढ़ता रहे आपसी संवाद का यह सिलसिला
रचनाधर्मिता पर संवाद का सिलसिला सुनें सुनाएं का 10वां सोपान 2 जुलाई को है। इसमें 10 रचनाकार अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाएं प्रस्तुत करेंगे। इसमें आप तो आएं ही, औरों को भी लाएं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और आपसी संवाद की परंपरा को जीवंत करने के उद्देश्य से प्रारंभ किए ‘सुनें सुनाएं’ का सिलसिला जारी है। यह अब 10वें सोपान पर पहुंच चुका है। दसवां सोपान 2 जुलाई (रविवार) को होगा। इस मौके पर 10 रचनाकार अपनी प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ करेंगे।
दसवां सोपान 2 जुलाई को सुबह 11 बजे जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल (एनैक्सी प्रथम तल), रतलाम पर आयोजित होगा। इसमें में शहर के रचनाधर्मी रचना पाठ करेंगे। आयोजन में सिद्दीक़ रतलामी द्वारा साहिर लुधियानवी की नज़्म 'वो सुबह कभी तो आएगी', श्रीमती विभा राठौर द्वारा मणिशंकर आचार्य की हम सभी यात्री हैं', सुभाष यादव द्वारा हुल्लड़ मुरादाबादी की रचना 'ज्योतिष का चमत्कार' , सुशीला भाटी द्वारा माया गोविंद की रचना 'चांद साबुन से मल-मलकर नहाऊंगी' प्रस्तुत की जाएगी।
इनके अलावा ओमप्रकाश ओझा दुष्यंत कुमार की रचना 'कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं', दीपक राजपुरोहित लक्ष्मण पाठक की रचना ‘बूंद बूंद पानी है मोती’, डॉ. दीप व्यास गीतकार गोपाल दास 'नीरज' की रचना ‘अब तो मज़हब कोई ऐसा चलाया जाए’, कीर्ति शर्मा प्राणवल्लभ गुप्त की 'चलो, फिर आ गई बलिदान की बेला', लगन शर्मा अज्ञात रचनाकार की रचना 'उल्टी यात्रा' तथा राकेश पोरवाल कुमार विश्वास की रचना 'है तुम्हें नमन' का पाठ करेंगे।
क्या है खास
इस बार ख़ास यह है कि दसवें सोपान पर दस नए साथी रचना पाठ करेंगे। अब तक रचना पाठ कर चुके सभी साथी इनका अभिनन्दन करने के लिए मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की अवधि एक घंटा प्रातः 11 से 12 तक तय है। इसमें 11 से 11.45 बजे तक रचनाओं का पाठ और 15 मिनट रचनाओं पर सार्थक विमर्श होता है। आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ बगैर किसी भूमिका के करता है। 'सुनें सुनाएं' ने शहर के रचनात्मक रुचि के साथियों से आग्रह किया है कि आयोजन में उपस्थित रहकर शहर को जीवन्त बनाने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।