य़ह कभी मत सोचो कि मैं यह नहीं कर सकता, ‘आय केन’, ‘आय मस्ट’ और ‘आय विल’ की सोच बदलेगी जीवन- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी
रतलाम में आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी के प्रवचन जारी हैं। रविवार को विशेष प्रवचन के तहत आचार्य श्री माय 5 टारगेट विषय पर संबोधित करेंगे।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जीवन में यह कभी मत सोचों कf मैं नहीं कर सकता हूं या ये मुझसे नहीं होगा। यदि सोचना है तो ‘आय केन’, ‘आय मस्ट’ और ‘आय विल’ सोचो। आय केन (मैं कर सकता हूं), आय मस्ट (मुझे करना चाहिए) और आय विल (मैं करूंगा) चाहे कुछ भी हो जाए। प्रभु की भक्ति अशुभ कर्म को शुभ में बदल देती है। बस प्रभु भक्ति पर विश्वास रखो।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने कही। वे श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज में प्रवचन दे रहे थे। आचार्यश्री ने कर्म और भक्ति को परिभाषित कर जीवन में चरितार्थ करने के महत्वपूर्ण सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि परिस्थिति चाहे जितनी भी विपरित क्यों न हो, दुःख हो या तकलीफ हो लेकिन प्रभु पर भरोसा रखो, उनके पास जाओ, उनकी भक्ति करो। आप यही सोचो की प्रभु ने जो किया अच्छा किया और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। कुदरत की भक्ति और ईश्वर पर भरोसा करोगे तो किसी का भय नहीं रहेगा।
भक्ति से मुक्ति भी मिलती है
आचार्यश्री ने भक्ति और शक्ति को परिभाषित करते हुए कहा कि प्रभु से जुड़ना है तो पहले संसार की मोह माय को छोड़ना पड़ेगा। संबंध, स्नेह, अपनत्व का भाव जब तक नहीं छूटेगा तब तक भगवान से नहीं जुड़ पाओंगे। इसलिए पहले सब कुछ छोड़ो और फिर स्वयं को प्रभु से जोड़ो। यदि प्रभु की भक्ति करोगे तो सुख, शांति, समृद्धि और संपन्नता आएगी। आचार्यश्री ने बताया कि सुख पैसे से, पैसा पुण्य से, पुण्य धर्म से और धर्म प्रभु की भक्ति से मिलता है। धर्म की जड़ प्रभु है, जिसे भक्ति पर विश्वास है, उसे किसी प्रकार की शक्ति की जरूरत नहीं है। भक्ति को शक्ति नहीं चाहिए। भक्ति से मुक्ति भी मिलती है। संसार को छोड़कर ही इंसान, प्रभु से जुड़ सकता है।
रविवार को होंगे विशेष प्रवचन
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के मुखारविंद से रविवार, 2 जुलाई को प्रातः 9.00 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगे। प्रवचन का विषय माय 5 टारगेट रहेगा। श्रीसंघ ने विशेष प्रवचन का अधिक से अधिक लाभ लेने की अपील की है।