तुम्हारी औकात क्या है... : अभिनेता, गीतकार और गायक पीयूष मिश्रा 7वीं क्लास में महिला रिश्तेदार के यौन उत्पीड़न का हुए थे शिकार

मल्टीटैलेंटेड कलाकार पीयूष मिश्रा की आत्मकथा वाला उपन्यास महज एक सप्ताह में बेस्ट सेलर बन गया है। उन्होंने इसमें अपनी किशोरावस्था के दौरान हुए यौन शोषण का जिक्र किया है।

तुम्हारी औकात क्या है... : अभिनेता, गीतकार और गायक पीयूष मिश्रा 7वीं क्लास में महिला रिश्तेदार के यौन उत्पीड़न का हुए थे शिकार
तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा।

उपन्यास के रूप में लिखी अपनी बायोग्राफी ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ में खुद किया घटना का जिक्र, एक सप्ताह में ही उपन्यास के छप गए तीन संस्करण

एसीएन टाइम्स @ डेस्क । ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा...।’ अरे ! नाराज़ मत होइये, हम पीयूष मिश्रा के लिए कुछ नहीं कह रहे। आप की ही तरह हम भी इस उत्कृष्ट अभिनेता, लेखक, थिएटर आर्टिस्ट के प्रशंसक हैं। दरअसल यहां जो शब्द उपयोग किए गए हैं, वह मिश्रा द्वारा एक उपन्यास के रूप में लिखी गई बायोग्राफी का शीर्षक है। इसमें उन्होंने अपने जीवन की कई बड़ी घटनाओं का जिक्र किया है जिसमें उनके यौन शोषण की घटना भी प्रमुख है। उन्होंने बताया है कि जब वे किशोर थे, तब उनकी एक महिला रिश्तेदार ने उनका यौन शोषण किया था। यह घटना तकरीबन 50 साल पुरानी है।

अपनी बायोग्राफी को लेकर उनके द्वारा पीटीआई को दिए साक्षात्कार में पीयूष मिश्रा ने यौन शोषण की घटना को लेकर कहा कि- ‘इस चीज ने मुझे शॉक कर दिया। मैं हैरान था कि मेरे साथ हुआ क्या? सेक्स हेल्दी चीज़ है। उसके साथ आपका पहला अनुभव अच्छा होना चाहिए। वरना वो चीज़ आपको जिंदगी भर के लिए डरा देती है। परेशान कर के रख देती है। उस सेक्शुअल असॉल्ट ने मुझे जीवनभर के लिए एक कॉम्प्लेक्स दे दिया। जिससे उबरने में मुझे बहुत लंबा समय लगा।‘

पीयूष कहते हैं कि- मैं कुछ लोगों की पहलान छुपाना चाहता था, क्योंकि उनमें से कुछ महिलाएं हैं, कुछ पुरुष हैं, जो फिल्म डस्ट्री में सेट हो चुके हैं। मैं किसी से बदला लेना या किसी को हर्ट नहीं करना चाहता था। मल्टीटैलेंटेड कलाकार पीयूष के अनुसार, वे किसी भी एक काम से बंध कर नहीं रहना चाहते। वे न स्थायी अभिनेता हैं, न ही लेखक, गीतकार, गायक। उनकी ख्वाइश थी उपन्यास लिखने की जो पूरी हो गई है लेकिन वे उपन्यासकार नहीं हैं। अब वे फिल्म निर्देशन की दिशा में कदम बढ़ाने की सोच रहे हैं।

एक सप्ताह में छप गईं 16 हजार से अधिक किताबें

बता दें कि, पीयूष मिश्रा की आत्मकथा वाले इस पहले उपन्यास (Piyush Mishra Book) का चंडीगढ़ में आयोजित हुए राजकमल किताब उत्सव में लोकार्पण हुआ। इसका पहला संस्करण 3300 प्रति, दूसरा 5500 प्रतियां और तीसरा 7700 प्रतियां प्रकाशित हो चुके हैं। अमेजन डॉट इन पर सभी भाषाओं की सभी कैटेगरी की किताबों में यह पहले स्थान पर है।

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पीयूष मिश्रा को जानें

1998 में भारत एक खोज (डिस्कवरी ऑफ इंडिया) और फिल्म तमाशा से करियर की शुरुआत करने वाले पीयूष मिश्रा ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘शौकीन’ जैसी फिल्म से बहुत चर्चा में आए। गुलाल (2009) , रॉकस्टार (2011), रिवॉल्वर रानी ( 2015) जैसी कई चर्चित फिल्मों में उन्होंने अपने हुनर का लोहा मनवाया। उनकी पहली कविता ‘ज़िंदा हो हाँ तुम कोई शक नहीं (हाँ तुम जीवित हो; इसमें कोई संदेह नहीं है) है जो उन्होंने ग्वालियर के जेसी मिल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययन के दौरान लिखी थी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रहते हुए उन्हें एक छात्र नाटक ‘मशरीकी हूर’ के लिए अपना पहला संगीत स्कोर भी बनाया। जर्मन निर्देशक फ्रिट्ज़ बेनेविट्ज़ (1926-95) ने उन्हें हेमलेट नाटक में शीर्षक भूमिका में निर्देशित किया। गीतकार और गायक के रूप में ब्लैक फ्राइडे (2004) में अरे रुक जा रे बंदेह तथा गुलाल (2009) में आरंभ है प्रचंड, गैंग्स ऑफ वासेपुर में इक बगल में चांद होगा एवं उसके गीतों के लिए भी पहचाना जाता है।