आओ कुछ रचनात्मक करें : जहां कोई देरी से नहीं आता, अपनी रचना भी नहीं सुनाता, ऐसा ही है 'सुनें सुनाएं' का मंच जिसका 19वां सोपान 7 अप्रैल को होगा

रचनात्मक वातावरण बनाने के लिए सुनें सुनाएं का 19वां सोपान 7 अप्रैल को होगा। 10 रचनाप्रेमी प्रस्तुत करेंगे विविधताओं का गुलदस्ता।

आओ कुछ रचनात्मक करें : जहां कोई देरी से नहीं आता, अपनी रचना भी नहीं सुनाता, ऐसा ही है 'सुनें सुनाएं' का मंच जिसका 19वां सोपान 7 अप्रैल को होगा
सुनें सुनाएं का 19वां सोपान 7 अप्रैल को।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जहां कोई देरी से नहीं आता, अपनी रचना भी नहीं पढ़ता, सबको आनंदित हो कर सुनता है और 60 मिनट में अपनी आंतरिक ऊर्जा को 60 गुना अधिक पाता है। ऐसा ही मंच है 'सुनें सुनाएं'। शहर में रचनात्मक वातावरण तैयार करने के लिए डेढ़ बरस से निरंतर जारी इस अनूठे आयोजन में शामिल रचनाप्रेमी अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करते हैं, वह भी बिना किसी भूमिका के।

'सुनें सुनाएं' का 19वां सोपान 7 अप्रैल (रविवार), 2024 को सुबह 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल के प्रथम तल पर आयोजित होगा। इस बार रचनाओं में विविधता का अहसास होगा क्योंकि इस आयोजन में अनीस ख़ान द्वारा प्रिय शायरों के 'चंद अशआर' का पाठ किया जाएगा, वहीं लगन शर्मा चंदन कुमार पांडेय की रचना 'तीन पहर तो बीत गए' का पाठ करेंगे। नंदकिशोर भाटी द्वारा हरिशंकर परसाई के व्यंग्य 'अयोध्या में ख़ाता-बही' का पाठ, दीपक राजपुरोहित द्वारा 'सिरसा के राम बसे निषाद के मन में' का पाठ किया जाएगा।

आशा श्रीवास्तव डॉ. प्रकाश निहलानी की रचना 'तेल कम है फिर भी रोशन हैं दिए', योगिता राजपुरोहित अब्राहम लिंकन का पत्र 'पुत्र के शिक्षक के नाम' पढ़ेंगी तो नीरज कुमार शुक्ला सारा शगुफ़्ता के संस्मरण 'आपबीती' सुनाएंगे। ग्यारह वर्षीय जर्मन निवासी नन्हीं आन्या अभिषेक व्यास द्वारा जर्मनी में कविता पढ़ने के साथ उसका हिन्दी में अनुवाद भी सुनाया जाएगा। विनीता ओझा द्वारा नरेश मेहता की रचना 'मंत्र-गंध और भाषा' एवं सरिता दशोत्तर द्वारा भगतसिंह की बहन द्वारा लिखी गई 'वसीयत' के अंश प्रस्तुत किए जाएंगे। 'सुनें सुनाएं' मंच ने शहर के रचना प्रेमियों से उपस्थिति का आग्रह किया है।