हादसा या हत्या ? सांड लड़ते हुए बुजुर्ग महिला पर गिरे, परिजन ऑपरेशन के लिए वडोदरा ले जाते उससे पहले ही वृद्धा ने तोड़ दिया दम
रतलाम शहर के टाटानगर क्षेत्र में घर के बाहर बाटी सेंक रही एक बुजुर्ग महिला की सांडों की लड़ाई ने जान ले ली। परिजन इसे शहर के जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में इनसानों के बजाय आवारा मवेशियों का विचरण ज्यादा नजर आता है। सड़कों, गली और मुहल्लों में ये मवेशी लोगों की जान ले रहे हैं। शहर के टाटानगर क्षेत्र में दो सांडों की लड़ाई में एक बुजुर्ग महिला की जान चली गई। लड़ते हुए सांड महिला पर गिरे। परिजन गंभीर घायल वृद्धा को ऑपरेशन के लिए वडोदरा ले जाते उससे पहले ही उनकी जान चली गई। बड़ा सवाल यह है कि इसे हादसा कहें या जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से हुई हत्या ?
मामला टाटानगर क्षेत्र का है। यहां गली नंबर चार में के निवासी मदनलाल चौहान की 60 वर्षीय पत्नी शांताबाई शुक्रवार शाम को घर के बाहर बाटी सेंक रहीं थी। तभी गली में दो सांड लड़ते हुए और शांताबाई पर गिर पड़े। सांड की चपेट में आने से बुजुर्ग पास के नाले में जा गिरीं। इससे वे गंभीर घायल हो गईं। परिजन ने बमुश्किल सांडों को हटाया और बुजुर्ग को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टर ने चैक किया और उनके शरीर में फ्रैक्चर होने की जानकारी दी। डॉक्टर ने कहा कि उनका ऑपरेशन करना होगा जिसमें तकरीबन 25 हजार रुपए खर्च आने की संभावना व्यक्त की। इसलिए परिजन ने शांतिबाई को वडोदरा ले जाने का निर्णय लिया।
11.30 बजे वडोदरा जाने वाले थे, 11 बजे तबीयत बिगड़ गई
परिजन शांतिबाई को शनिवार सुबह 11.30 बजे वडोदरा के लिए रवाना होने वाले थे। इससे पहले ही करीब 11 बजे बुजुर्ग की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। परिजन तत्काल उन्हें जिला अस्पताल ले गए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। डॉक्टर ने परीक्षण के बाद शांतिबाई को मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद से परिवार में मातम पसरा है। बुजुर्ग मदनलाल पत्नी की मौत से व्यथित हैं। उनके आंसू ही नहीं थम रहे। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि इसे हादसा कहें या शहर के जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण ही हत्या कहें।
हादसा नहीं, यह गैर-इरादतन हत्या है
शांतिबाई की मौत को सामान्य हादसा कहना गलत होगा। यह सीधे तौर पर रतलाम नगर सरकार के लापरवाह जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है और इसे गैर-इरादतन हत्या ही माना जाना चाहिए। शहर में हर जगह कुत्तों और आवारा मवेशियों का बसेरा है जो आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। जब तक इस जानलेवा लापरवाही के लिए शहर के जिम्मेदारों की जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक इसी तरह लोगों की जान पर बनती रहेगी।