चुनावी आरक्षण के बीच उठी ‘सामान्य वर्ग के हित रक्षण’ की आवाज, अनारक्षित वार्ड से आरक्षित को टिकट देने वाली पार्टी के महापौर प्रत्याशी का होगा बहिष्कार
राजनीतिक दलों में आरक्षित वर्ग के प्रति उदार होने को लेकर जोर-आजमाइश जारी है। ऐसे में सामान्य वर्ग भी अपने हित रक्षण के लिए लामबंद होने लगा है। रतलाम में सर्वदलीय सामान्य वर्ग के फोरम से अनारक्षित वार्डों से आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को टिकट नहीं देने की मांग उठी है। इसका उद्देश्य अंडर करंट की तरह तेजी से सामान्य वर्ग में फैल रहा है।

सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति ने उठाई सामान्य वर्ग की बात
एसीएन टाइम्स @ रतलाम। चुनाव में वोट हथियाने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां आरक्षण के मुद्दे पर दूसरी पार्टी से सवा सेर होने की दुहाई दे रही हैं। अनारक्षित सीटों पर भी आरक्षित वर्ग के लोगों को टिकट रूपी रेवड़ी बांटने की होड़ लगती नजर आ रही है। इससे अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे सामान्य वर्ग ने अपने हित रक्षण की आवाज उठाई है। अपनी आवाज बुलंद करने और सभी पार्टियों के जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए ‘सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति’ नाम से फोरम तैयार कर अपने संघर्ष का ऐलान कर दिया है। फोरम का यहां तक कहना है कि जिस भी अनारक्षित वार्ड से कोई पार्टी आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को टिकट देगी, उसके महापौर प्रत्याशी का सामान्य वर्ग द्वारा बहिष्कार किया जाएगा।
चुनाव में आरक्षण ही सर्वोपरि हो गया है। संविधान में इसका प्रावधान आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ वर्षों के लिए किया गया था। बाद में यह राजनीतिक दलों के लिए वोट का जरिया बन गया। आलम यह है कि एक पार्टी किसी आरक्षित वर्ग के लिए कुछ प्रतिशत आरक्षण की मांग करती है तो दूसरी पार्टी उससे ज्यादा आरक्षण दिए जाने की मांग उछाल देती है। हाल के दिनों में ओबीसी आरक्षण को लेकर भी सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से बढ़ कर उदार होने का भरोसा दिलाने में जुटी रहीं। सभी राजनीतिक दलों के ऐसे रवैये से सामान्य वर्ग अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। अभी तक आरक्षण को लेकर उसकी दबी प्रतिक्रिया ही सामने आ रही थी लेकिन अब यह मुखर होने लगी है। रतलाम में सामान्य वर्ग की यह प्रतिक्रिया ‘सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति’ के रूप में उभरी है।
24 घंटे के भीतर 3000 से ज्यादा लोगों तक पहुंची बात
एक छोटा का विचार अब जनआंदोलन बनने की दिशा में अग्रसर दिखाई दे रहा है। ‘सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति’ ने अपनी आवाज का दायरा बढ़ाने के लिए वाट्सएप ग्रुप 'सर्वदलीय सामान्य वर्ग' का सहारा लिया है। इसमें प्रबुद्धजनों से लेकर आमआदमी तक तेजी से जुड़ रहे हैं। इसका दायरा बढ़ने का अंदाजा सिर्फ इसीसे लगाया जा सकता है कि सर्वदलीय सामान्य वर्ग के हित रक्षण की बात महज 24 घंटे के भीतर ही शहर के सामान्य वर्ग से जुड़े वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से 3 हजार से ज्यादा लोगों तक पहुंच चुकी है। इनमें सभी धर्म-संप्रदाय के सामान्य वर्ग के लोग शामिल हैं। इस फोरम के अस्तित्व में आने के उद्देश्य और अपनी बात प्रभावी ढंग से जिम्मेदारों तक पहुंचाने के तरीके से जुड़े मैसेज तेजी से वायरल हो रहे हैं। माना जा रहा है कि 48 घंटे के भीतर-भीतर यह 8 हजार से ज्यादा लोगों तक पहुंच जाएगा।
किसी वर्ग के हितों को प्रभावित करना उद्देश्य नहीं
सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति में किसी भी प्रकार का पद आदि नहीं है। इसमें जुड़े सभी लोग सामान्य सदस्य की तरह हैं। उन्होंने एसीएन टाइम्स को बताया कि उनका उद्देश्य किसी भी वर्ग के हित को नुकसान पहुंचाना नहीं है। संविधान में उन्हें जो हक दिया गया है, वे उसके विरुद्ध नहीं हैं क्योंकि वे सामाजिक समरसता में यकीन रखते हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ यह है कि जिस तरह आरक्षित वर्ग के लिए नियत सुविधाओं पर किसी अन्य वर्ग का व्यक्ति अतिक्रमण नहीं कर सकता है उसी तरह अनारक्षित रखी गई सुविधाओं पर सामान्य वर्ग को ही महत्व मिलना चाहिए।
... तो महापौर पद के प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है नुकसान
प्रायः देखने में आया है कि राजनीतिक दल चुनावों में अनारक्षित सीटों पर आरक्षित वर्ग को टिकट दे देते हैं। ऐसा करते समय काबलियत का ध्यान तक नहीं रखा जाता है। ऐसे में सामान्य वर्ग के काबिल व्यक्ति को भी मौका नहीं मिलता। प्रदेश के साथ रतलाम जिले में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की आदर्श आचार संहित लागू हो चुकी है। राजनीतिक दलों में टिकट वितरण के लिए माथापच्ची जारी है। चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति अपने लिए सुरक्षित सीटें तलाशने के साथ ही पार्टी में टिकट पाने के लिए जोड़-तोड़ में लगे हैं।
जनचर्चा है कि आरक्षित वर्ग के प्रति अपनी-अपनी उदारता दिखाने की होड़ के चलते राजनीतिक पार्टियां अनारक्षित वार्डों से भी आरक्षित वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ाने की कवायद कर रही हैं। इसे देखते हुए ही ‘सर्वदलीय सामान्य वर्ग संघर्ष समिति’ ने अपने तेवर तीखे कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि आगामी चुनाव में जो भी पार्टी अनारक्षित सीट से आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को टिकट देती है तो उसके महापौर प्रत्याशी का सामान्य वर्ग द्वारा पूरी तरह बहिष्कार किया जाएगा।
राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बढ़ी चिंता लेकिन दे रहे पार्टी गाइड लाइन का हवाला
सामान्य वर्ग के हित रक्षण की मांग ‘अंडर करंट’ की तरह फैल रही है। इसका असर इससे राजनीतिक दलों के स्थानीय प्रमुखों की भी चिंता बढ़ गई है। वजह लोगों को साधने की है। हालांकि सार्वजनिक रूप से पार्टी प्रमुख कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अभी वे पार्टी गाइड लाइन के अनुसार ही कोई भी निर्णय होने की बात कह रहे हैं।
केंद्र व प्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा से बात की गई तो उन्होंने कहा- फिलहाल टिकट को लेकर अभी ऊपर से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। जो भी तय होगा वह पार्टी गाइड लाइन अनुसार होगा।
इसी तरह शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया का कहना है कि- हर व्यक्ति अपनी बात और पक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं। पार्टी की कोशिश रहेगी कि आरक्षित वर्ग को आरक्षित वार्ड से ही टिकट दिए जाएं। परस्थिति को देखते हुए पार्टी हित में जो निर्णय लिया जाएगा।