गीता जयंती विशेष : श्रीकृष्ण की वाणी ही, है गीता का ग्रंथ- अज़हर हाशमी

गीता जयंती के अवसर पर गीता की संक्षिप्त व्याख्या यह पद्य रचना आपके लिए है। आप भी पढ़िए और दूसरों को भी पढ़ाइए।

गीता जयंती विशेष : श्रीकृष्ण की वाणी ही, है गीता का ग्रंथ- अज़हर हाशमी
गीता जयंती विशेष।

अगहन-शुक्ल-एकादश, तिथि मोक्षदा जान।

कुरुक्षेत्र में उदित हुआ, गीता का दिनमान।।

 

भगवद् गीता दरअसल, कर्म-ज्ञान का गीत।

इसी ग्रंथ में भक्ति का, है पावन संगीत।।

 

बिन फल की चिंता किये, करें सदा सत्कर्म।

आशय यह, सत्कर्म ही, है गीता का मर्म।।

 

श्रीकृष्ण की वाणी ही, है गीता का ग्रंथ।

अठारह अध्यायों में, निहित सत्य का पंथ।।

 

मोह, काम, क्रोध, लालच, दुर्गुण की है खान।

श्रीकृष्ण यह अर्जुन को, देते हैं सज्ञान।।

 

भगवद् गीता ग्रंथ में, निहित सात सौ श्लोक।

पढ़ें, दूर अवसाद हो, मिटे फ़िक्र-दुःख-शोक।।

अज़हर हाशमी

 

(दैनिक हिंदी समाचार पत्र ‘पत्रिका’ से साभार)