प्राण-प्रतिष्ठा : सिर्फ 125 दिन में बन गया मंदिर, विश्वकर्मा जयंती पर मंत्रोच्चार के बीच विराजे भगवान श्री विश्वकर्मा और अन्य देवी-देवता

जिला मुख्यालय के नेमीनाथ नगर में श्री विश्वकर्मा जांगिड़ ब्राह्मण समाज द्वारा विश्वकर्मा धाम की स्थापना की गई है। इसमें भगवान श्री विश्वकर्मा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई।

प्राण-प्रतिष्ठा : सिर्फ 125 दिन में बन गया मंदिर, विश्वकर्मा जयंती पर मंत्रोच्चार के बीच विराजे भगवान श्री विश्वकर्मा और अन्य देवी-देवता
भगवान श्री विश्वकर्म सहित अन्य देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान प्रार्थना करते समाजजन।

 21 हजार पंचदेु आहुति एवं 10 विधि स्नान भी हुआ

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भगवान श्री विश्वकर्मा जयंती सोमवार मनाई गई। इस अवसर पर श्री विश्वकर्मा धाम नेमिनाथ नगर में सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा जी सहित शिव परिवार (भगवान शिव, सीता-राम, राधा-कृष्ण, गायत्री माता एवं हनुमान जी की विधि विधान के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की गई। 21 हजार पंचदेव आहुति एवं 10 विधि स्नान भी सम्पन्न हुआ।
श्री विश्वकर्मा जांगिड़ ब्राह्मण समाज मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष जनक नागल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया तीन दिवसीय कार्यक्रम माध सुदी ग्यारस (12 फरवरी) को हिमाद्रि स्नान के साथ में यज्ञ का आरंभ हुआ था। 13 फरवरी को देव पूजन, यज्ञ, मंत्र जाप अनुष्ठान, प्रतिमा अधिवास संस्कार, तेलांग अभिषेक संपन्न हुआ। माघ सुदी तेरस (14 फरवरी) को प्रदोष एवं सोम पुष्य नक्षत्र पर देव पूजन के साथ भगवान श्री विश्वकर्मा जी सहित अन्य देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में की गई। शाम 4:00 बजे यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। इस मौके पर आरती कर प्रसादी का वितरण किया गया।

सन 2000 में 5400 वर्ग फीट जमीन, पिछले साल जन्माष्टमी पर हुआ था भूमि पूजन

नागल ने बताया कि समाज को धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्य हेतु रतलाम में उचित स्थल की कमी महसूस होती थी। मंदिर ट्रस्ट समिति ने इसके लिए 2000 में नेमीनाथ नगर में 5400 वर्ग फीट का एक भूखंड क्रय किया था। किसी ना किसी वजह से यह कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा था। 30 सितम्बर 2021 को जन्माष्टमी पर उक्त स्थान पर भूमि पूजन किया गया। इसके बाद महज 125 दिन में मंदिर ट्रस्ट समिति के निरन्तर प्रयास से भव्य मंदिर तैयार हो गया।

मंदिर की स्थापना में इऩका रहा योगदान, ये गतिविधियां भी होंगी

मंदिर की स्थापना में रतलाम, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, इंदौर, धार, भोपाल आदि स्थानों के समाज बंधुओं का विशेष सहयोग रहा। मंदिर निर्माण में डॉ. अमृत शर्मा, विष्णु भाणनेचा, दिनेश चूहैल, मुकेश लाडवा, मोहनलाल वंडेला, कृष्णा चूहैल, महेश वंडेला, सुरेश लतारा, महेश बोदलीया, राजेश नागल, राजेश चवला रेड, वीरेंद्र वंडेला, रवि वंडेला, मोहन वायवर, जितेंद्र बामनिया,  शिवराम कुलरिया, रमेश आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा। वहीं शिव परिवार की स्थापना जितेंद्र नागल परिवार एवं गायत्री माता की मूर्ति की स्थापना पंकज नागल द्वारा की गई।

आयोजनों के लिए नहीं करना होगी स्थान की व्यवस्था, रोजगार संबंधी ट्रेनिंग भी होंगी

श्री विश्वकर्मा धाम के निर्माण के बाद अब समाज बंधुओं को श्री विश्वकर्मा जयंती, भागवत जी, यज्ञ, गोठ, सामूहिक विवाह, बैठक एवं अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अन्य स्थान लेने की जरूरत नहीं रहेगी। यहां महिलाओं, नवयुवकों के लिए रोजगार से संबंधित अनेक प्रकार की योजना एवं ट्रेनिंग की व्यवस्था भी हो सकेगी।

ये रहे यजमान, इन्होंने कराी यज्ञ एवं स्थापना

मंदिर ट्रस्ट समिति, नवयुग मंडल समिति एवं महिला मंडल समिति ने सभी समाज बंधुओं और धर्म प्रेमी बंधुओं से आग्रह है कि वे यज्ञ पूर्णाहुति, आरती एवं प्रसादी में पधारकर धर्म लाभ प्राप्त करें। यज्ञ के मुख्य यजमान ज्योति शर्मा दंपती हैं। यज्ञ एवं स्थापना मुख्य यज्ञाचार्य भूपेंद्र जोशी एवं उज्जैन से आए वेद-पंडितों डॉ. पुष्पेन्द्र जोशी, मयंक जोशी, परमेश्वर शास्त्री, धीरेन्द्र द्धिवेदी, चयन पांडेय एवं हर्ष व्यास ने कराई।