संजा पर्व मालवा-निमाड़ का प्रसिद्ध लोक पर्व, नई पीढ़ी को लोक परम्पराओं को सहेजना होगा – डॉ. साधना बलवटे

मालवा व निमाड़ में संजा पर्व मनाने की परंपरा है। इसे लेकर मालवी-निमाड़ी शोध संस्थान द्वारा आयोजन किया गया। इसमें 16 लोगों ने संजा पर्व के गीत प्रस्तुत किए।

संजा पर्व मालवा-निमाड़ का प्रसिद्ध लोक पर्व, नई पीढ़ी को लोक परम्पराओं को सहेजना होगा – डॉ. साधना बलवटे
मालवी-निर्माड़ी शोध संस्थान द्वारा आयोजित संजा पर्व में इन रचनाकारों ने प्रस्तुत किए संजा गीत।

मालवी निमाड़ी शोध संस्थान ने मनाया संजा पर्व, 16 रचनाकारों ने प्रस्तुत किए संजा गीत

एसीएन टाइम्स @ इंदौर । संजा पर्व मालवा-निमाड़ अंचल का प्रसिद्ध लोक पर्व है। यह संजा माता को एक बेटी और सखी के रूप में 16 दिन तक अपने घर में सहेज कर प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। नवीन पीढ़ी लोक परंपराओं को भूलती जा रही हैं, उन्हें सहेजना होगा।

यह विचार मालवी-निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान के संजा गीत कार्यक्रम में निमाड़ी बोली में डॉ. साधना बलवटे (वरिष्ठ साहित्यकार) ने कही। संस्थान अध्यक्ष डॉ. स्वाति तिवारी ने संजा पर्व की प्रासंगिकता पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि गाय का गोबर, गुलदावदी के फूल आदि का उपयोग संजा बनाने में होता है। ये वर्षाकाल के पश्चात उपजे कीटाणुओं से घर को सुरक्षित रखते हैं। कोरोनाकाल से तो इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।

कार्यक्रम का शुभारंभ हेमलता शर्मा (भोली बेन) ने मालवी बोली में स्वरचित सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर किया। सरला मेहता ने गणेश वंदना से गजानन महाराज का आह्वान किया। संजा माता की प्रतिस्थापना के पश्चात कार्यक्रम 16 दिनों तक चलने वाले संजा पर्व के मद्देनजर 16 लोगों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। इनमें विशिष्ट अतिथि विनीता तिवारी, डॉ. शशि निगम, नित्येंद्र आचार्य ने स्वरचित संजा गीतों की मनोहारी प्रस्तुति दी। निरुपमा त्रिवेदी, निरुपमा नागर, राधिका चतुर्वेदी, निर्मला कानूनगो, अर्चना कानूनगो, अर्चना मंडलोई, मणिमाला, शर्मिला दुबे, डॉ. क्षमा शर्मा ने लोक प्रचलित संजा गीतों को प्रस्तुत किया।

मालवी व निमाड़ी बोली में संपन्न हुआ आयोजन

संपूर्ण आयोजन मालवी और निमाड़ी बोली में संपन्न हुआ। सरस एवं शुद्ध देशी कार्यक्रम के दौरान भीमसिंह पंवार, तनूजा शर्मा, राघवेन्द्र तिवारी, महेश हनोतिया, सुधा चौहान एवं अन्य मालवी निमाड़ी प्रेमी उपस्थित रहे और संजा गीतों का आनंद लिया। संचालन संस्था सचिव भोली बेन ने मालवी में किया। आभार डॉ. शशि निगम ने मालवी बोली में व्यक्त किया।