कोई तो खैरियत पूछो : यह तस्वीर है MP के सबसे साफ-सुथरे रतलाम के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय की जहां नवजात और प्रषूताएं अपनी खैर मना रही हैं
यह तस्वीर आपको विचलित कर सकती है। यह मप्र के रतलाम जिले के एमसीएच की है जहां 4 दिन से सफाई नहीं होने से हाल बेहाल हैं।
सौरभ कोठारी
रतलाम । आगर आप संवेदनशील हैं और जागृत हैं तो यह तस्वीर और वीडियो आपको विचलित कर सकते हैं। ये हैं भी विचलित करने वाले लेकिन कुछ लोगों के लिए ये मायने नहीं रखते, खासकर जिम्मेदारों को। इसलिए यहां नवजात बच्चे और नवप्रसूताएं अपनी खैर मनाने को मजबूर हैं। बच्चों और प्रषूताओं के परिजनों का कहना है कि मध्य प्रदेश के सबसे साफ-सुथरे शहर रतलाम के इस सरकारी अस्पताल की ऐसी तस्वीर इससे पहले नहीं देखी।
दान का एक-एक रुपए जोड़कर बनाया गया सरकारी बाल चिकित्सालय अब मातृ एवं शिशु चिकित्सालय (MCH) का हिस्सा बन चुका है। कभी भी पृथक अस्पताल का दर्जा प्राप्त नहीं कर सके बाल चिकित्सालय की ही तरह अब इससे सटा मातृ एवं शिशु चिकित्सालय भी लावारिस है। यहां चार-पांच दिन से सफाई नहीं हो रही है। तल मंजिल की स्थिति तो फिर भी ठीक है लेकिन ऊपरी मंजिल की स्थिति भयावह है।
यहां सुविधाघर से लेकर बरामदे तक कचरा फैला है और सड़ रहा है। कचरे से पटी बोरियां वहां तक पहुंच गई हैं जहां मरीज और परिजन हैं। दुर्गंध के कारण नवजात बच्चों और नवप्रसूताओं का सांस लेने दुश्वार हो गया है। मरीजों के परिजन लगभग सभी जिम्मेदारों को गंदगी के फोटो और वीडियो भेजकर सफाई की गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।
कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बिगड़े हालात
एमसीएच की हालत बदतर होने की वजह सफाई व्यवस्था में लगे कर्मचारियों की हड़ताल है। बताया जा रहा है कि कर्मचारी विगत कई महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण हड़ताल पर हैं। ऐसे में एमसीएच सहित अन्य स्थानों की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है।
रोज सैकड़ों महिलाएं और मरीज आते हैं यहां
एमसीएच में रोज दिनभर में सैकड़ों मरीज आते हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं के अलावा नवजात शिशु व नवप्रसूताएं शामिल हैं। 70 के करीब नवजात और प्रषूताएं तो अभी भी भर्ती रह कर इलाज करा रही हैं। इनमें कुछ घंटे पहले शिशुओं से लेकर 10 से 12 दिन की उम्र के बच्चे भी शामिल हैं। सफाई नहीं होने से यहां इन्हें संक्रामक बीमारी होने का खतरा बढ़ गया है जिसे लेकर परिजन चिंतित हैं।
निगम आयुक्त ने भी जता दी असमर्थता
एक मरीज के अटेंडर ने परेशान होकर नगर निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट को मैसेज भेजा। भयावह समस्या के बारे में बताया लेकिन उन्होंने असमर्थता जाहिर कर दी। जब अटेंडर ने बताया कि यह तो प्रसानिक व्यवस्था का हिस्सा है तो आयुक्त ने कहा कि उनकी बात स्वास्थ्य अधिकारी से हुई है। वहां अन्य स्टाफ नहीं जा सकता, पुलिस को भेजना पड़ेगा।
8 माह से नहीं हुआ बिल का भुगतान
एमसीएच और जिला अस्पताल में सफाई व्यवस्था का ठेका शिवम् बुंदेलखंड नामक की एक कंपनी के पास है। एमसीएच में सफाई का जिम्मा संभालने वाले कर्मचारी भी इसी कंपनी के हैं। कंपनी के सुपरवाइजर कैलाश चौहान ने बताया कि कंपनी का अप्रैल से अब तक का भुगतान स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं किया गया है। बिल भुगतान को लेकर जब भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों से बात की जाती है वह बजट आ रहा है, कह कर टाल देते हैं। बावजूद कंपनी हर माह कर्मचारियों को वेतन उपलब्ध करा रहे हैं। उनका नवंबर का वेतन शेष है। वह भी कंपनी उनके खातों में डाल रही है। जल्दी ही सफाई व्यवस्था में सुधार हो जाएगा।
सिविल सर्जन के पास नहीं बात करने की पुर्सत
समस्या दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं, यह जानने के लिए सिविल सर्जन डॉ. अनिल चंदेलकर को कॉल किया गया जो नो रिप्लाई मिला। उन्होंने कोई प्रत्युत्तर देना भी जरूरी नहीं समझा।
स्वास्थ्य अधिकारी को बोला है
मैं अवकाश पर हूं और जिले से बाहर हूं। जानकारी मिली है। स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है। वे व्यवस्था करवा रहे हैं।
हिमांशु भट्ट, आयुक्त- नगर निगम, रतलाम
(सौरभ कोठारी वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र लेखक हैं)