ऑनलाइन और सोशल मीडिया में भी छपे हुए शब्दों का ऐतिहासिक महत्व है, काव्य संकलन का प्रकाशन बहुत मुश्किल- डॉ. जयकुमार जलज

रतलाम की अनुभूति संस्था द्वारा काव्यानुभूति काव्य संकलन का विमोचन किया गया। इस मौके पर साहित्यकारों और रचनाकारों ने काव्य संकलन और संस्था की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।

ऑनलाइन और सोशल मीडिया में भी छपे हुए शब्दों का ऐतिहासिक महत्व है, काव्य संकलन का प्रकाशन बहुत मुश्किल- डॉ. जयकुमार जलज
अनुभूति संस्था द्वारा प्रकाशित काव्य संकलन काव्यानुभूति का विमोचन करते सहित्यविद व अतिथि।

अनुभूति संस्था द्वारा प्रकाशित 200 रचनाकारों की रचनाओं के संकलन काव्यानुभूति का विमोचन

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ऑनलाइन और सोशल मीडिया के समय में भी छपे हुए शब्दों का विशिष्ट महत्व है। वे इतिहास की धरोहर होकर ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। वोकल फॉर लोकल का नारा देश के साथ ही ग्रामीण अंचलों में भी प्रभावी है। किसी भी काव्य संकलन का प्रकाशन करना बहुत ही मुश्किल कार्य है। यह समय साध्य के साथ ही श्रम साध्य भी है। नये रचनाकारों व प्रतिभाओं को उभारने का काम अनुभूति संस्था लंबे समय से कर रही है।

ये विचार भाषाविद् व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयकुमार जलज ने मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यिक संस्था अनुभूति द्वारा अखिल भारतीय काव्य संकलन काव्यानुभूति के विमोचन समारोह में कही। समारोह का आयोजन एक निजी होटल में किया गया था।

अध्यक्षता शिक्षाविद् डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने की। उन्होंने कहा कि काव्यानुभूति संकलन में रचनाकारों की पीढ़ियों का सुन्दर समन्वय है। संकलन में वैदिक ग्रंथ हैं कमतर नहीं है। इसमें कई खूबियां समाहित हैं। युवा पीढ़ी को वरिष्ठ रचनाकारों की पूजा भाव से पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना अध्ययन और चिंतन के लेखन में निखार नहीं आता है। डॉ. चांदनीवाला ने कालीदास एवं डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन के समय के कवियों को भी उधृत किया।

अनुभूति संस्था ने रतलाम के रचनाकारों का किया रोशन, डॉ. उपाध्याय ने प्रस्तुत किया गीत

संस्था के सरंक्षक अभिभाषक विशेष अतिथि रमणसिंह सोलंकी ने कहा कि साहित्य साधना की डगर कठिन होकर रोचक भी है। रतलाम नगर की माटी का नाम पूरे भारत में अनुभूति संस्था द्वारा रतलाम के रचनाकारों को पूरी निष्ठा के साथ साहित्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध किया है। इस अवसर पर विशेष अतिथि नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश उपाध्याय (क्षितिज) जावरा ने भी संबोधित किया। उन्होंने गीत प्रस्तुत किया। विशेष अतिथि संयुक्त आयुक्त पंचायती राज प्रशिक्षण राउ जिला इंदौर के प्रतीक सोनवलकर ने कहा काव्यानुभूति के प्रकाशन पर संस्था की पूरी टीम समर्पित भावना से कार्य किया। इसकी हम सराहना करते हुए शुभकामनाएं देते हैं। सोनवलकर ने स्व. दिनकर सोनवलकर की रचना का सस्वर संगीत के रूप में प्रस्तुत किया।

अनुभूति संस्था की 46 वर्षों की साहित्यिक विकास यात्रा पर डाला प्रकाश

अनुभूति के अध्यक्ष डॉ. मोहन परमार ने संस्था की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि से लेकर 46 वर्षों की साहित्यिक विकास यात्रा की विशब्द व्याख्या की। सचिव रामचन्द्र गेहलोत अम्बर ने काव्यानुभूति के प्रकाशन के सबंध में विचार व्यक्त किए। संस्था सरंक्षक दिनेश जैन ने आगामी भविष्य की योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। सम्पादक मण्डल के वरिष्ठ सदस्य प्रणयेश जैन ने प्रकाशन में आई बाधाओं का उल्लेख करते हुए संकलन में कवियों, गीतों और गजलों की साहित्यिक पड़ताल कर टिप्पणी प्रस्तुत की।

इस अवसर पर मंत्रणा साहित्य परिषद् नागदा के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी एवं नगर के वयोवृध्द गीतकार मणीलाल पोरवाल का संस्था सदस्यों द्वारा शाल से सम्मानित किया।

अतिथियों और रचनाकारों को किया स्वागत

कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना व दीप प्रज्वलित कर शैलेन्द्र भट्ट एवं सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख कलाकार हेमन्त जोशी ने की। अतिथियों का स्वागत संस्था के वरिष्ठ साथी सुभाष यादव, रामचन्द्र फुहार, सतीश जोशी, सय्यद शौकत अली, श्रेणिक बाफना, अकरम शिरानी, प्रकाश हेमावत, जावरा के वरिष्ठ कहानीकार रमेश मनोहरा, डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया, हास्य कवि वरिष्ठ साहित्यकार धमचक मुल्थानी, डॉ. शोभना तिवारी, आशारानी उपाध्याय, दिनेश उपाध्याय आदि रचनाकारों ने अतिथियों व सम्माननीय सदस्यों का स्वागत किया।

समारोह में ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में राजेश कांठेड़, राजेन्द्र रघुवंशी, डॉ. हरिकृष्ण बड़ौदिया, प्रभुलाल रावल, सुरेश माथुर, राजेश रावल, डॉ. शोभना तिवारी, सोना नागर, आशा उपाध्याय, दिनेश उपाध्याय, मयूर व्यास, रमेश मनोहरा, सिद्धिक रतलामी, फैज रतलामी, अकरण रतलामी, डॉ. राजेश तिवारी, जगदीश चौहान सहित रतलाम जिले के अलावा इंदौर, उज्जैन, सैलाना, जावरा एवं नागदा जंक्शन के साहित्यकार एवं नगर के प्रबुद्ध जन मौजूद थे। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार संस्था उपाध्यक्ष हरिशंकर भटनागर ने माना।