श्री लीला समारोह के के दूसरे दिन श्री हनुमान लीलाओं का हुआ मंचन, भक्तिमति शबरी लीला

मप्र शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित श्री लीला के तहत रतलाम में हनुमान जी के चरित की लीलाओं का प्रदर्शन किया गया।

श्री लीला समारोह के के दूसरे दिन श्री हनुमान लीलाओं का हुआ मंचन, भक्तिमति शबरी लीला
श्री लीला समारोह के तहत हनुमान जी की लीलाओं का प्रदर्शन किया गया।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम : मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से कालिका माता मंदिर परिसर रतलाम में श्री लीला समारोह का आयोजन हो रहा है। इसमें दूसरे दिन शुक्रवार की शाम श्री राम कथा के विशिष्ट चरित्रों पर आधारित श्री हनुमान लीला की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर समाजसेवी गोविंद काकानी, रतलाम नगर निगम उपायुक्त विकास सोलंकी आदि उपस्थित रहे।

चन्द्रमाधव बारीक के निर्देशन में श्री हनुमान लीला में भगवान हनुमान के जीवन के उपाख्यानों को 15 दृश्यों में प्रस्तुत किया गया। श्री हनुमान लीला को भक्ति की लीला के रूप में देखना चाहिए। भारतीय पौराणिक आख्यानों में सबसे बड़े भक्त के रूप में श्री हनुमान जी का वर्णन अलग-अलग संदर्भों में आता है। अपने बाल्यकाल से ही श्री हनुमानजी एक लीला की संरचना करते हैं, जिसमें वे सूर्य को निगलते हैं और देवता चिंतित हो जाते हैं। तब सभी देवता उपस्थित होकर श्री हनुमान जी से प्रार्थना करते हैं और अपनी-अपनी शक्तियां श्री हनुमान जी को आशीष स्वरूप प्रदान करते हैं।

जानिए हनुमान जी की लीला के बारे में

श्री हनुमान जी का चरित अलग-अलग देव शक्तियों को एक ही चरित में प्रतिस्थापित करने की लीला का आख्यान है। कहा जाता है कि श्री हनुमान भगवान शिव के अवतार हैं और देवी पार्वती उनकी पूंछ हैं। जब भी श्री हनुमान जी से किसी भी तरह का दुर्व्यवहार आख्यान में आता है, जहां-जहां उनकी परीक्षा लेने और दंडित करने का किसी चरित के द्वारा प्रयत्न किया जाता है। तब देवी ही क्रोधित होकर अपने नाथ की रक्षा के लिए आगे आती हैं। पूंछ देवी और शक्ति का प्रतीक है। इन अर्थों में यह आख्यान, बहु भक्ति की अवधारणा को कितनी सहजता से प्रकट करता है। आयोजन के तृतीय दिवस शनिवार को भक्तिमति शबरी लीला की प्रस्तुति दी जाएगी।