ये है ‘द रतलाम स्टोरी’ ! न्याय की आस से निराश ब्लैकमेलिंग और ज्यादती की शिकार 12 वर्षीय बेटी ने किया आत्महत्या का प्रयास
यह कहानी है ‘द केरल स्टोरी’ के जैसे हालातों का शिकार हुई 12 वर्षीय बेटी की कहानी जो स्थानीय पुलिस और प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक से न्याय की आस लगाए हुए है। जानिए, इसकी कहानी को ‘द रतलाम स्टोरी’ का नाम देने की वजह।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । आप सभी ने ‘द केरला स्टोरी’ देख ली, अब बारी है ‘द रतलाम स्टोरी’ के बारे में जानने की। यह स्टोरी है 12 वर्षीय एक बेटी की जिसे ना सिर्फ ब्लैकमेल कर उसके साथ ज्यादती की गई बल्कि उससे हजारों रुपए भी ऐंठ लिए गए। न्याय की आस में पिता और माता पुलिस विभाग के अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। शायद मामा ही कुछ कर पाएं इसलिए सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत के निराकरण की बाट जो रहे हैं।
रतलाम शहर के निवासी एक व्यक्ति ने कलेक्टर, एसपी, महिला एवं बाल विकास विभाग, सीएम हेल्प लाइन, राष्ट्रीय महिला अधिकार आयोग, जिला न्यायालय, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के नाम 30 मई, 2023 को शिकायती पत्र भेजे हैं। पत्र में बताया गया है कि उनकी 12 वर्षीय बेटी द्वारा अपने साथ हुई ज्यादती की रिपोर्ट रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र थाने में गत 03.04.2023 को दर्ज करवाई थी। पीड़िता के पिता का आरोप है कि मामले में अनुसंधान कानूनी रूप से नहीं किया जा कर आरोपियों को लाभ पहुंचाने और फरियादी को न्याय न मिल पाए, इस प्रकार से किया जा रहा है।
शिकायत में पिता द्वारा बताया गया है कि दो युवकों ने षड्यंत्र रचते हुए एक अन्य युवती की के सहयोग से उनकी कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली 12 वर्षीय बालिका को अपने जाल में फंसाया। इसके बाद उसे ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठे और उसके साथ ज्यादती भी की। दोनों आरोपियों को पुलिस अपचारी बता रही है जबकि सच यह है कि उनकी सोचने, समझने और कार्य करने की प्रवृत्ति वयस्कों के समान है। इसलिए उनकी उम्र संबंधी मेडिकल जांच होनी चाहिए जो कि पुलिस द्वारा नहीं कराई जा रही है।
बालिका का माइंडवाश करती थी आरोपियों की सहयोगी
पीड़ित पिता ने बताया है कि आरोपी उनकी बेटी के ही स्कूल में पढ़ते थे। उनकी सहयोगी छात्रा अन्य कक्षा में पढ़ती थी फिर भी उसने उनकी बेटी के साथ बातचीत बढ़ाकर उसका ब्रेनवाश करना शुरू किया और आरोपियों की तारीफ कर उन्हें अच्छा बताकर उनसे मिलवाया। इतना ही नहीं उक्त आरोपी छात्रा ने उनकी बेटी से युवकों को रुपए भी दिलवाए और यह कहा की जरूरत पड़ने पर वह भी उन्हें रुपए देती रहती है। उनकी बेटी ने जब उक्त छात्रा से युवकों से उसे रुपए लौटाने के लिए कहा तो उसने यह कहकर टाल दिया कि तेरे रुपए मिल जाएंगे।
ज्यादती के बाद मिलने लगी धमकियां
शिकायत में बताया गया है कि आरोपी युवकों ने रुपए नहीं लौटाए और डरा-धमकाकर उनकी बेटी के साथ ज्यादती भी की। इतना ही नहीं आरोपी की सहयोगी उक्त छात्रा एक अन्य युवती को लेकर उनके घर आ गई। उन्होंने उनकी बेटी को युवकों को रुपए और ज्वैलरी देने की बात किसी को नहीं बताने के लिए धमकाया भी। यह भी कहा कि इस बारे में किसी तरह का मैसेज भी उन्हें नहीं। उन्होंने बेटी के वीडियो और फोटो वायरल करने की धमकी भी दी। शिकायकर्ता के अनुसार उनके द्वारा उपरोक्त संबंध में उनकी बेटी और आरोपियों के बीच की चैटिंग के रिकॉर्ड का रिकॉर्ड भी पुलिस अधिकारियों को दिखाया गया जा चुका है। बावजूद अभी तक मामले में आरोपियों की सहयोगी छात्रा को आरोपी नहीं बनाया गया है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार इसी से परेशान होकर पीड़िता ने बुधवार को हाथ की नस काटकर आत्महत्या का प्रयास किया। समय रहते परिजन को पता चलने पर उन्होंने तत्काल उसकी मरहम पट्टी। उन्हें डर है कि उनकी बेटी पुनः ऐसा कोई कदम न उठा ले।
इसलिए इसे कहा जा रहा ‘द रतलाम स्टोरी’
बता दें कि पुलिस को दर्ज कराई गई रिपोर्ट में दो छात्र और उनकी एक सहयोगी छात्रा का जिक्र है। आरोपियों में से एक छात्र हिंदू जबकि दूसरा मुस्लिम समुदाय से है। द केरल स्टोरी और रतलाम की इस बालिका द्वारा की गई शिकायत में बताये गए घटनाक्रम में काफी हद तक समानता नजर आती है। वरिष्ठ एडवोकेट राकेश शर्मा ने एसीएन टाइम्स को बताया कि द केरल स्टोरी की ही तरह इस मामले में भी एक छात्रा द्वारा अपने मित्रों (छात्रों) को साफ-सुथरी छवि बाला बता कर 12 वर्षीय बालिका मिलवाया मिलवाया। बालिका के ब्रेनवाश करने का तरीका भी काफी हद तक फिल्म जैसा ही है। फिल्म में युवती के साथ सहपाठी छात्रा के सहयोग से उसके परिचित युवक ज्यादती करते हैं और यहां भी शिकायकर्ता ने ऐसी ही घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया है। फिल्म में ऐसे ही षड्यंत्र का शिकार एक अन्य छात्रा आत्महत्या कर लेती है और उसी तरह इस मामले में भी छात्रा ने एक दिन पूर्व आत्महत्या का प्रयास किया।
आरोपियों का सहयोगी भी बने आरोपी
प्रकरण दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों आरोपी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार दोनों अपचारी होने से उन्हें बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया है। एडवोकेट शर्मा का कहना है कि दोनों आरोपी छात्रों की सोचने-समझने की प्रवृत्ति वयस्कों जैसी है, अतः उनकी उम्र को लेकर मेडिकल करवाया जाना चाहिए। पूर्व में दिल्ली में हुई ज्यादती के मामले में भी परिजन आरोपी के अपचारी मान कर कार्रवाई करने को लेकर सवाल उठाते रहे थे। शर्मा के अनुसार आरोपियों को सहयोग करने वाला भी आरोपी ही होता है। अतः इस 12 वर्षीय बालिका से ज्यादती के मामले में आरोपियों का सहयोग करने वाली छात्रा को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए।
आखिर कौन बचा रहा आरोपियों को
बताया जा रहा है कि मामले में राजनीति आड़े आ रही है। चर्चा है कि आरोपियों को बचाने में प्रदेश में सत्ताधारी दल के एक स्थानीय बड़े नेता रुचि ले रहे हैं। इसके चलते पुलिस मामले में सिर्फ औपचारिकता ही निभा रही है। यही वजह है कि पीड़िता के पिता द्वारा की गई शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।