वेलडन डॉक्टर्स ! एक्सीडेंट में कट गया था 30 वर्षीय युवक का गला, रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने 3 घंटे सर्जरी कर जोड़ दी श्वांस नली
रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने श्वास की नली की जटिल सर्जरी कर हादसे में गंभीर घायल एक युवक की सांसें लौटा दी।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भीषण हादसे में महज 30 साल की उम्र में ही गला ऐसा कटा कि सांस लेना दुश्वार हो गया। परिजन सहित सभी उम्मीद हार चुके थे लेकिन ऊपर वाले के बहीखाते के अनुसार उसकी सांसें तो अभी बाकी थीं। इसे ईश्वर की कृपा ही कहेंगे कि युवक को रतलाम के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय शासकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के हाथों तक पहुंचा दिया जिन्होंने 3 घंटे जटिल सर्जरी कर ना सिर्फ नई सांस नली डाल दी, बल्कि उसकी सांसें भी लौटा दीं।
कुप्रबंधन और समस्याओं की शिकायतों से घिरे और उच्चाधिकारियों की नारजगी के बीच रतलाम के शासकीय मेडिकल कॉलेज से एक अच्छी खबर भी आई। यहां के डॉक्टरों ने 30 वर्षीय कमल पिता राधेश्याम निवासी बरड़िया ऊंचा, तहसील शामगढ़ जिला मंदसौर को सांसें लौटा कर नया जीवन दिया है। मामला यूं है कि कमल का गत 28 मार्च 2024 को रात करीब 10 बजे मंदसौर जिले के ग्राम सलवासा के पास एक्सीडेंट हो गया था। हादसे में युवक का गला कट गया जिससे उसकी श्वांस नली भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
बह गया था काफी खून
गंभीर घायल कमल को पहले शामगढ़ के सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर ने प्रारंभिक उपचार कर मंदसौर जिला अस्पताल भेज दिया। चूंकि खून काफी बह चुका था और वहां उपचार के साधन-संसाधन सीमित होने से डॉक्टर ने उसे डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम रैफर कर दिया। परिजन युवक को लेकर 29 अप्रैल की सुबह करीब 9 बजे रतलाम में मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। यहां ईएनटी विभाग के विभाग्ध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार मौर्य ने बिना समय गंवाए उसे ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया और अपनी टीम के साथ सर्जरी शुरू कर दी।
3 घंटे चली सर्जरी, जारी है इलाज
मेडिकल कॉलेज से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार युवक की सर्जरी करीब 3 घंटे तक चली। इस दौरान उसकी श्वांस नहीं को जोड़कर सांस लेने के लिए नया रास्ता बनाते हुए एक ट्यूब डाली गई। डॉक्टरों के अनुसार कमल पहले से काफी बेहतर है और उसका इलाज अभी भी चल रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार रतलाम के चिकित्सा इतिहास में यह पहला मामला है जब किसी की श्वांस नली को जोड़ने जैसी जटिल सर्जरी हुई है। यह कॉलेज के ईएनटी विभाग की उल्लेखनीय उपलब्धि है।
इन्होंने कर दिखाया
गंभीर घायल कमल की सांसें लौटाने में ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मौर्य और उनकी टीम का तो उल्लेखनीय कार्य रहा ही, अन्य डॉक्टरों ने भी अपना 100 फीसदी दिया। इनमें सर्जन डॉ. पवन कुमार शर्मा, डॉ. लोकेश भालोट, डॉ. हिमानी सिंह एवं डॉ. राजेंद्र सिंह विशेष योगदान रहा। तीन घंटे तक चली सर्जरी के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य था मरीज को इतने समय तक बेहोश रखना। यह एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. शैलेन्द्र डावर, डॉ. सचिन और डॉ. अंशुमन के सहयोग के बिना संभव नहीं था। यहां पैरामेडिकल और अन्य सहायक स्टाफ के सहयोग का जिक्र नहीं करना तो सरासर बेमानी ही होगी।