प्रशासन की बड़ी कार्रवाई लेकिन...? जावरा और पिपलौदा के 48 कॉलोनाइजरों के खिलाफ FIR दर्ज, रतलाम के कॉलोनाइजर दूध के धुले, इसलिए अभयदान, देखें सूची...
जावरा और पिपलौदा पुलिस थानों में कुल 48 कॉलोनाइजरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी कॉलोनइजरों पर नियमों की अवहेलना कर अवैध कॉलोनी काटने के आरोप हैं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिला प्रशासन ने जावरा शहर और पिपलौदा के अवैध कॉलोनी के मामले में 48 कॉलोनाइजरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाई है। इनमें प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री सहित अन्य नाम शामिल हैं। इधर, दूसरी ओर रतलाम के कॉलोनाइजरों के विरुद्ध ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होने पर जिम्मेदारों की मंशा पर सवाल भी उठ रहे हैं।
सर्वसुविधा युक्त कॉलोनी काटने का ख्वाब दिखाकर विकास कार्य नहीं करने वाले भूमाफिया रतलाम जिले में काफी हैं। इन पर नकेल कसने को लेकर बीते 13 वर्षों में कई बार कॉलोनी सेल सक्रिय हुई और ऐसे कॉलोनाइजरों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर जिम्मेदारों के बयान भी आए। हालांकि एक-दो मामलों को छोड़ कर बहुत ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली। पिछले कुछ समय से नियमों को ताक पर कॉलोनियां काटने वालों पर सख्ती बढ़ी है। जावरा, आलोट, पिपलौदा आदि स्थानों पर अवैध कॉलोनियों के मामले में कार्रवाई हुई हैं। एक बड़ी कार्रवाई बुधवार को जावरा और पिपलौदा के कॉलोनाइजरों के विरुद्ध हुई। जावरा में 14 स्थानों पर काटी गई कॉलोनियों के मामले में 41 कॉलोनाइजरों के विरुद्ध केस दर्ज हुआ है। इसी प्रकार पिपलौदा में 7 लोगों के विरुद्ध केस दर्ज हुआ।
बता दें कि पिछले दिनों कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने अवैध कॉलोनियों का सर्वे करवा कर उसके कॉलोनाइजर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे। इसके चलते ही सीएमओ के प्रतिवेदन पर जावरा और पिपलौदा थानों में केस दर्ज किए गए।
इन स्थानों पर कटी अवैध कॉलोनियां
जावरा के ईदगाह रोड, नरसिंह कॉलोनी, जैन कॉलोनी नया मालीपुरा, अरब साहब कॉलोनी, सांवरिया एक्सटेंशन, फूलशाह दातार कॉलोनी, महावीर कॉलोनी, कृष्णा कॉलोनी आदि क्षेत्र शामिल हैं। पिपलौदा की नांदलेटा रोड स्थित कॉलोनी पर भी कार्रवाई की गई है। सभी के विरुद्ध मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339ग के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
...और यहां के कॉलोनाइजरों को कौन बचा रहा है
अवैध कॉलोनियों के मामले में रतलाम शहर की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यहां 2010 में तकरीबन 40 मामलों की जांच तत्कालीन कॉलोनी सेल द्वारा शुरू की गई थी। इन मामलों की जांच थोड़े-थोड़े अंतराल पर पुनः शुरू होने के दावे होते हैं लेकिन कुछ दिन बाद मामला शांत हो जाता है। इसके पीछे की वजह कॉलोनाइजर और अफसर ही ज्यादा जानते हैं, खून-पसीने की कमाई लगाने वाले लोगों को हमेशा कार्रवाई का इंतजार ही बना रहता है।
अभी भी रतलाम शहर को छोड़कर जिले के अन्य कॉलोनाइजरों के विरुद्ध ही केस दर्ज हुए हैं। रतलाम शहर के कॉलोनाइजरों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कार्रवाई का इंतजार कर रहे लोग तो अब यह कहते सुने जा सकते हैं कि रतलाम के कॉलोनाइजर दूध के धुले हैं, इसलिए उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। रतलाम शहर के अलावा जिन भी स्थानों पर एफआईआर हुई है वहां भी कार्रवाई किसी अंजाम तक पहुंचेगी और आरोपी सजा पाएंगे, इस बारे में दावा नहीं किया जा सकता है।