गुरु तेग बहादुर शहादत ना देते तो इस देश की संस्कृति व नक्शा कुछ और ही होता- डॉ. उदोके

श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व का आयोजन कर रही है। इसी क्रम में समिति द्वारा व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है।

गुरु तेग बहादुर शहादत ना देते तो इस देश की संस्कृति व नक्शा कुछ और ही होता- डॉ. उदोके
श्री गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित करते अंतरराष्ट्रीय वक्ता डॉ. सुखप्रीत सिंह उदोके। फोटो- राकेश पोरवाल

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । श्री गुरु तेग बहादुर का व्यक्तित्व तप, त्याग और साधना का प्रतीक है। उनकी वाणी एक प्रकार से व्यक्ति निर्माण का प्रयोग है। उन्होंने बताया कि अगर गुरु तेग बहादुर शहादत ना देते तो इस देश की संस्कृति व नक्शा कुछ और ही होता। कुछ विचारक गुरु साहिब की शहादत को कुर्बानी या बलिदान शब्द के साथ संबोधित करते हैं, जो सही नहीं है। गुरु साहिब ने शहादत दी है।

उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय वक्ता डॉ. सुखप्रीत सिंह उदोके ने व्यक्त किए। वे श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर बरबड़ रोड स्थित खालसा सभागार में आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। श्री गुरु तेग बहादुर जी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर केवल त्यागी, बैरागी या निर्मलता की मूरत नहीं हैं। वे बहुत अच्छे तलवारबाज भी थे। उन्होंने 14 साल की आयु में पहली जंग लड़ी थी। गुरु साहिब ने राजनीतिक तौर पर भी इस देश की राजनीति में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।

डॉ. उदोके ने कहा असम के राजा और राजा मानसिंह के बीच संधि करवाने में गुरु साहिब की अहम भूमिका रही। बंगाल के गवर्नर शाहिस्ता खान और पटना के नवाब रहीम खां, करीम खां गुरु साहिब के शिष्य बन गए थे। कश्मीर के पंडित कृपाराम दत्त की अगुवाई में गुरु साहिब की शरण में धर्म की रक्षा के लिए आए तो गुरु साहिब ने अपनी शहादत देकर धर्म की रक्षा की।

कोई विपत्ति आई तो श्री तेग बहादुर फिर लेंगे जन्म- अरोरा

मप्र–छग की केंद्रीय श्री गुरु सिंघ सभा के महासचिव सरदार सुरेंद्रसिंह अरोरा (उज्जैन) ने कहा कि सिख समाज का इतिहास बलिदानों का इतिहास रहा है। मानवता के लिए सर्वोच्च बलिदान गुरु तेग बहादुर जी ने दिया था। ईश्वर ना करें मानवता पर और हमारे समाज पर फिर कोई विपत्ति आई तो फिर तेग बहादुर जी दुनिया में आएंगे और मानवता के लिए फिर जन्म लेंगे और हमारी रक्षा करेंगे।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत समिति अध्यक्ष गुरुनाम सिंह डंग, उपाध्यक्ष हरजीत चावला, कोषाध्यक्ष देवेंद्र वाधवा, सहसचिव हरजीत सलूजा, प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह भांभरा, श्री गुरु तेग बहादुर एकेडमी प्राचार्य डॉ. रेखा शास्त्री और अवनीश पांडे ने किया। इस दौरान वक्ताओं ने उपस्थित श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। कार्यक्रम में डॉ. जयंत सूभेदार, प्रो. प्रकाश उपाध्याय, विम्पी छाबड़ा, राकेश देसाई, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, विष्णु बैरागी, अरुण त्रिपाठी सहित गणमान्य नागरिक मौजूद थे। संचालन सुरेंद्र भांभरा ने किया। आभार देवेंद्र वाधवा ने माना।

21 अप्रैल तक चलेंगे आयोजन, अखंड पाठ साहिब आज

समिति प्रवक्ता सरदार भांभरा ने बताया कार्यक्रम 21 अप्रैल तक चलेंगे। 19 अप्रैल को श्री गुरु तेग बहादुर एकेडमी बरबड़ रोड पर सुबह 9:30 बजे अखंड पाठ साहिब होगा। 20 अप्रैल को एकेडमी में सुबह 9 बजे शबद कीर्तन ज्ञानी मानसिंह द्वारा व 10 बजे भाई जसप्रीतसिंह-मनप्रीतसिंह फतेहगढ़ साहिब करेंगे। सुबह 11:30 बजे जत्थेदार ज्ञानी रणजीतसिंह गोहर जत्थेदार तखत श्री पटना साहिब द्वारा कथा की जाएगी। न्यू रोड श्री गुरु सिंघ सभा पर शाम 7:30 बजे शबद कीर्तन तथा 8:30 बजे कथा होगी।

21 अप्रैल को एकेडमी में सुबह 8:45 बजे अखंड पाठ की समाप्ति के शब्द कीर्तन और कथा होगी। श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति अध्यक्ष गुरनाम सिंह, उपाध्यक्ष हरजीत चावला, कोषाध्यक्ष देवेंद्रसिंह वाधवा, सहसचिव हरजीत सलूजा, समिति सदस्यों व श्री गुरु सिंघ सभा ने नागरिकों से सभी कार्यक्रमों में भाग लेने का निवेदन किया है।