व्याख्यानमाला : महर्षि अरविंद का जीवन आदर्श जीवन है, वे एक व्यक्ति न होकर प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति थे- विवेक चौधरी

महर्षि श्री अरविंद की 151वीं जन्म जयंती पर जन अभियान परिषद के तत्वावधान में जिला स्तरीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।

व्याख्यानमाला : महर्षि अरविंद का जीवन आदर्श जीवन है, वे एक व्यक्ति न होकर प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति थे- विवेक चौधरी
महर्षि श्री अरविंद घोष की जन्म जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित करते विवेक चौधरी।

महर्षि  श्री अरविंद की 150वीं जन्म जयंती (सार्धसती) वर्ष पर व्याख्यानमाला आयोजित

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महर्षि अरविंद का जीवन आदर्श जीवन है। वे एक व्यक्ति न होकर प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति थे। ईश्वरीय चेतना के अंश थे जिन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्र और मानव उत्थान को समर्पित कर दिया। बंग भंग के बाद स्वतंत्रता आंदोलन की भूमिका इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। स्वाधीनता आंदोलन के पश्चात उनका पूरा जीवन मानवीय चेतना के पुनरुत्थान में बीता। 14 अगस्त 1947 को ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारित उनके भाषण के स्वप्न आज साकार होते नज़र आ रहे हैं।

यह बात गायत्री परिवार के युवा प्रकोष्ठ के प्रांतीय समन्वयक विवेक चौधरी रहे। चौधरी ने कही। वे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत महान क्रांतिकारी महर्षि श्री अरविन्द  के 150वें जन्म जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित जिला स्तरीय व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। व्याख्यानमाला का आयोजन मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के तत्वावधान में जन चेतना विघालय परिसर में हुआ। इससे पूर्व सर्वप्रथम अतिथियों ने श्री मां एवं महर्षि श्री अरविंद घोष की प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित की। इसके बाद स्वागत गीत हुआ। इस दौरान महामण्डलेश्वर 1008 श्री आत्मानंद, पं. संजय शिवशंकर दवे, राष्‍ट्रपति पुरस्‍कार से सम्‍मानित सीमा अग्निहोत्री, जनचेतना विघालय के ट्रस्‍टी एम. एल. दुबे, श्री अरविंद सोसायटी के वरिष्‍ठ कार्यकारिणी सदस्‍य सतीश पांड्या, विनीता ओझा, परिषद के जिला समन्‍वयक रत्‍नेश विजयवर्गीय रहे मंचासीन रहे।

श्री अरविंद की तरह आत्म और राष्ट्र चिंतन करना चाहिए- श्री आत्मानंद जी

महर्षि अरविंद की 151वीं जन्म जयंती के अवसर पर व्याख्यानमाला में महामण्डलेश्वर 1008 श्री आत्मानंदजी ने कहा कि जैसे भगवान कृष्ण के गीता उपदेश को ईश्वरीय चयनित लोगों ने सुना, उसी तरह आज उपस्थितजन श्री अरविंद की जीवन गाथा को सुन रहें हैं। श्री अरविंद की भांति हर व्यक्ति को अपने जीवन में नियमित आत्म चिंतन और राष्ट्र चिंतन करना चाहिए। सभा को संबोधित करते हुए पंडित संजय शिवशंकर दवे ने कहा कि श्री अरविंद की जीवन एवं साहित्य की शिक्षाओं को जीवन में उतारने से जीवन सार्थक हो जाएगा।

राष्ट्रपति से मिला साहित्य श्री अरविंद सोसायटी को समर्पित की

इससे पहले श्री अरविंद सोसाइटी के सतीश पंड्या ने दुर्गा स्त्रोत का पाठ किया। शिक्षिक विनीता ओझा ने श्री अरविंद का जीवन परिचय दिया। स्‍वागत भाषण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा परिषद के जिला समन्‍वयक रत्‍नेश विजयवर्गीय ने प्रस्तुत की। सीमा अग्निहोत्री को राष्‍ट्रपति पुरस्‍कार प्राप्‍त होने पर परिषद ने सम्मान किया। उन्होंने राष्ट्रपति से प्राप्त श्री अरविंद का साहित्य श्री अरविंद सोसाइटी की रतलाम शाखा को समर्पित किया। साहित्य सोसाइटी के लोकेन्‍द्र सिंह सिसौदिया,  विनीता ओझा, सतीश पांड्या, किशोर पाठक, संध्‍या पाठक, अमि‍त श्रीवास्‍तव को भेंट किया।

ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम के अंत में स्मृति चिन्ह भेंट कर सभी को सम्मानित, अभिवादन  किया। इसके पश्चात अंत में सभी अतिथियों का आभार विकासखण्‍ड समन्वयक शैलेन्द्रसिंह सोंलकी ने माना। संचालन महावीरदास बैरागी ने किया। सामूहिक वंदेमातरम का गायन हुआ। शिवशंकर शर्मा, निर्मल अमलियार, रतनलाल चरपोटा, परामर्शदाता, प्रस्फुटन समिति सदस्य, नवांकुर संस्था सदस्य, सीएमसीएलडीपी, छात्र/छात्राएं, जनचेतना विधालय परिवार के सतीश तिवारी त‍था समाजसेवी आदि उपस्थित रहे।