यह माँ’ही है ! माही ही वह नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है, शिव ने प्रलयंकर रूप में इसी के पानी में धोया था अपना त्रिशूल

कर्क रेखा को दो बार काटने वाली एक मात्र नदी माही के बारे में जानने के लिए पढ़े यह विशेष आलेख। इसमें पं. त्रिभुवनेश भारद्वाज बता रहे हैं इस नदी का भौगोलिक, पौराणिक और आध्यात्मक महत्व।

यह माँ’ही है ! माही ही वह नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है, शिव ने प्रलयंकर रूप में इसी के पानी में धोया था अपना त्रिशूल
माही नदी।

पं. त्रिभुवनेश भारद्वाज

हम अपने इतिहास से नावाकीफ़ हैं। क्या हम जानते हैं कि जिस माही नदी के पानी को लाने की कवायद रतलाम के चालीस साल की राजनीति का वादा रहा है, वो माही अपना क्या एतिहासिक गौरव रखती है। माही नदी धार जिले की सरदारपुर तहसील में गुमानपुरा गाँव से निकलती है। इस नदी के बारे में ज्यादा कोई नहीं जानता!

माही को शिवप्रिया नर्मदा की तरह ही प्रतिष्ठा प्राप्त है। यह नदी अपने उद्गम से चलकर पेटलावद ,बाजना से निकलकर बांसवाड़ा राजस्थान जाती है और यहाँ 180 किलो मीटर का फेरा करके गुजरात में प्रवेश करती है। इसके बाद 225 किलोमीटर की अंदरूनी यात्रा करके सागर (खम्बात की खाड़ी) में समा जाती है। माही नदी का बेसिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात राज्यों में फैला हुआ है जिसका कुल क्षेत्रफल 34,842 वर्ग किलोमीटर है। यह उत्तर और उत्तर-पश्चिम में अरावली पहाड़ियों, पूर्व में मालवा पठार, दक्षिण में विंध्य और पश्चिम में खंबात की खाड़ी से घिरा है। माही नर्मदा के साथ एकमात्र नदी हैं जो किसी समंदर में विलीन होती है।

अब वो बात जिसके लिए ये पूरा वृतांत लिखा गया है! आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शिव पुराण के पहले अध्याय में वर्णन है कि भगवान शिव ने प्रलयंकर रूप धारण करके अंधकासुर का वध माही के तट पर ही किया था और इस नदी के जल से अपने त्रिशूल को धोया था। माही स्कन्द पुराण और शिव पुराण में गरिमा के साथ अवतरित हुई है। हमारे लिए इसका महत्त्व तो तब ही बढ़ सकता है जब हम इसे जगत तारिणी शिवंबिका नर्मदा के समान पाप नाशिनी पवित्र सरिता मानें।

सामान्य ज्ञान के प्रश्नों में प्रतियोगिताओं में अक्सर पूछा जाने वाला प्रश्न है कि ‘वो कौन सी भारतीय नदी है जो कर्क रेखा एक नहीं दो बार काटती है ? तो मित्रो, वो माही नदी ही है। यह राजस्थान के दक्षिण पूर्वी हिस्से में प्रवेश करती है, जो वागड़ क्षेत्र है। नदी बांसवाड़ा जिले से होकर बहती है, जो वागड़ क्षेत्र के अंतर्गत आती है। गुजरात में प्रवेश करने से पहले, नदी राजस्थान में एक `U` आकार का लूप बनाती है। यही वो कर्क रेखीय क्षेत्र है जिसे नदी दो बार काटती है। रतलाम जिले के लोग सौभाग्यशाली हैं जो माही के साथ जुड़े हैं। सागर में विलीन होने वाली सरिताएं एक अलग प्रकार का सम्मान पाती हैं। जय शिव प्रिया माही माँ।

(चिंतक एवं मां सरस्वती के अनन्य उपासक पं. त्रिभुवनेश भारद्वाज की फेसबुक वॉल से साभार)