जनप्रियता ही विक्रमादित्य के होने का प्रमाण, विक्रम संवत को अपनाएं, कार्यप्रणाली में इसे स्थान दें- डॉ. चांदनीवाला

राजा भोज जन कल्याण सेवा समिति ने रतलाम में विक्रमोत्सव का आयोजन किया। इसमें विक्रम संवत को ज्यादा से ज्यादा अपनाने पर जोर दिया गया। विक्रमकालीन वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

जनप्रियता ही विक्रमादित्य के होने का प्रमाण, विक्रम संवत को अपनाएं, कार्यप्रणाली में इसे स्थान दें- डॉ. चांदनीवाला
विक्रमोत्सव को संबोधित करते डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला।

राजा भोज जन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव में आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों ने रखे विचार

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जनता में महाराजा विक्रमादित्य की लोकप्रियता उनके होने का प्रमाण है। यह आज की आवश्यकता है कि विक्रमादित्य के साथ विक्रम संवत को भी हम महत्व दें। विक्रम संवत को अपनाएं। हमारी कार्यप्रणाली में विक्रम संवत को स्थान मिले, यही आज विक्रमोत्सव कार्यक्रम की सार्थकता होगी।

उक्त विचार राजा भोज जन कल्याण सेवा समिति रतलाम द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने व्यक्त किए। वे कैलाशनाथ काटजू महाविद्यालय में आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य न्यायप्रिय और जन-जन का कल्याण करने वाले थे। यही कारण है कि विक्रम संवत उनके नाम से जनता द्वारा मनाना प्रारंभ किया गया। इसे निरंतर बढ़ाने की आवश्यकता है।

सामाजिक बुराइयों को छोड़ कर ही हम आगे बढ़ पाएंगे- चंद्राकुमारी

मुख्य अतिथि सैलाना की महारानी चंद्राकुमारी ने मालवी में उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि जब तक हमारा युवा वर्ग और नई पीढ़ी हमारी संस्कृति से नहीं जुड़ेगी, हमारे पुरातत्व से नहीं जुड़ेगी तब तक हम आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने के लिए उनकी नियमित कक्षाएं सामाजिक स्तर पर लगाई जानी चाहिए। जहां विक्रमादित्य जैसे महापुरुषों के बारे में उन्हें बताया जा सके। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सामाजिक बुराइयों को भी छोड़ना होगा तभी हम आगे बढ़ पाएंगे।

विक्रम संवत को मनाने की पहल होनी चाहिए- डॉ. ठाकुर

सारस्वत अतिथि अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के निदेशक डॉ. आर. सी. ठाकुर ने कहा कि इतिहास को जो याद नहीं रखता उनका भविष्य कभी आकार नहीं ले पाता है। हमारा पुरातत्व वैभव इतना समृद्ध है कि हम उसे समझ ही नहीं पा रहे हैं। हमारी सभ्यता के चिन्ह बार-बार हमारे बीच आते हैं लेकिन हम उनकी उपेक्षा कर देते हैं, यह चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि विक्रम संवत को मनाने की पहल होनी चाहिए।

साहित्य व पुरातत्व दोनों विक्रमादित्य से जुड़े संदर्भ को मजबूती देते हैं- डॉ. जोधा

विशेष अतिथि डॉ. वाकणकर शोध संस्थान भोपाल के शोध अधिकारी डॉ. ध्रुवेद्र सिंह जोधा ने कहा कि साहित्य और संस्कृति दोनों स्तर पर हमें अपने पुरातत्विक वैभव को देखना होगा। जिन तथ्यों को साहित्य में एक तरह से प्रस्तुत किया जाए और सांस्कृतिक वैभव किसी दूसरे तत्व की जानकारी दे, वहां पर अस्पष्टता होती है। विक्रमादित्य से जुड़े संदर्भ को साहित्य और पुरातत्व दोनों ही पक्ष मजबूती प्रदान करते हैं।

संस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पंवार ने स्वागत उद्बोधन देते हुए बताया कि संस्था विगत कई वर्षों से भारतीय संस्कृति, साहित्य, इतिहास एवं पुरातत्व को लेकर कार्य कर रही है। महापुरुषों के जीवन पर संगोष्ठी के आयोजन के साथ महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन भी संस्थान द्वारा किया गया है। हाल ही में परमार पंवार राजवंश पर विशाल ग्रंथ भी समिति के माध्यम से प्रकाशित हुआ है।

प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर एवं महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। संस्थान के पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार धीरेंद्रसिंह सरवन ने व्यक्त किया।

इन्होंने किया अतिथियों का स्वागत

समारोह के प्रारंभ में देवेन्द्रसिंह हतनारा, सुनील शर्मा, नरेंद्रसिंह राठौर, राजेश शर्मा, बहादुरसिंह सोनगरा, राजेन्द्र शर्मा, भवानीप्रतापसिंह सरवन, गजेन्द्रसिंह चौहान, दिग्विजयसिंह बड़छापरा, वीरेन्द्रसिंह मेजा, राजवर्धनसिंह उमरन, उमा पंवार, कविता सक्सेना, नूतन मजावदिया, रक्षा के. कुमार, खूशबू जांगलवा, शोभना तिवारी, कुशपालसिंह पंचेड़ आदि ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और पुष्प मालाओं से किया।

साहित्यकारों का किया सम्मान

समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला एवं आशीष दशोत्तर को मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान से पुरस्कृत किए जाने पर संस्था द्वारा शॉल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह नरेंद्र सिंह पंवार, डॉ. मुनींद्र दुबे, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला आदि ने प्रदान किए गए। 

विक्रम संवत मनाने का संकल्प पारित

समारोह में उपस्थितजन ने एक स्वर में विक्रम संवत को स्वीकारने और राजकीय कार्यों में विक्रम संवत का उपयोग करने संबंधी संकल्प पारित किया। उक्त संकल्प को महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को भेजने का संकल्प भी लिया गया। 

प्रदर्शनी में प्राचीन वैभव दिखा 

समारोह में संस्थान द्वारा अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के निदेशक डॉ. आर. सी. ठाकुर के सहयोग से विक्रमादित्यकालीन सिक्कों, गहनों, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ. सुलोचना शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी एवं पार्षद रत्नदीप सिंह शक्ति बना ने किया। आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में सुधिजन उपस्थित रहे।