एकमात्र सनातन धर्म है,जो मौत के भय से निर्भय बनाकर अभय बनाता है- स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती

महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती जी ने यहां आयोजित धर्मसभा में सनातन धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा एक यही धर्म है जो निर्भय बनाता है।

एकमात्र सनातन धर्म है,जो मौत के भय से निर्भय बनाकर अभय बनाता है- स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती
स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती जी का अभिनंदन करते नित्येंद्र आचार्य एवं अन्य।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज का कहना है कि कि दुनिया के जितने भी धर्म और मजहब हैं वे सभी भयभीत करने का काम करते हैं। एकमात्र सनातन धर्म ही है,जो मौत के भय से निर्भय बनाकर अभय बनाता है।
अखंड ज्ञान आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वें पुण्य स्मृति महोत्सव के मौके पर स्वामी चिदम्बरानंद जी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि- मौत सामने खड़ी है लेकिन फिर भी सात दिन में शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को मुक्ति प्रदाता श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करवाकर अभय पद में प्रतिष्ठित कर दिया। जीते जी जीवन मुक्ति प्रदान करने का मार्ग सनातन धर्म और ग्रन्थ श्रीमद भागवत है। इसलिए जब भी अवसर मिले कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए इससे ने केवल कलियुग के दोषों से रक्षा होती है बल्कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य भी जीवन में प्रकट होते हैं।

संत और ग्रंथ हमें सत्य के मार्ग पर उत्साह के साथ आगे बढ़ना सिखाते हैं

स्वामीजी ने कहा की धर्म की सदैव जय होती है। समय और परिस्थितिवश कभी अधर्म-असत्य समाज में लोगों को प्रभावित और भ्रमित करता नजर आता हैं। उसका प्रभाव स्थायी नहीं होता है। विश्वास कीजिए सत्य की नाव हिलेगी और डुलेगी भी, मगर डूबेगी नहीं। सत्य के पक्ष में जो खड़ा है उसकी विजय सुनिश्चित है। हमारे संत और ग्रन्थ हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर नित नवीन उत्साह के साथ आगे बढ़ना ही सिखाते हैं

बुराई और गलत करने वाले का अवश्य विरोध करें

स्वामी जी ने कहा कि हमारी संस्कृति में गलत व्यक्ति और विचार का हमेशा से विरोध किया गया है। हम जब अपने कपड़े पर दाग स्वीकार्य नहीं करते हैं तो समाज / धर्म पर कोई दाग कैसे सहन कर सकते हैं।कथा हमें प्रेरित करती है कि सत्य के पक्ष में रहिए। यदि समाज में कही कोई गलत हो रहा है तो उसका विरोध अवश्य होना चाहिए। हमारी आंखों के सामने यदि गलत होने पर उसका विरोध अवश्य करें। 

कथा श्रवण से विचार दूषित नहीं होते

चिदम्बरानंद जी ने बताया कि श्रीमद् भागवत जी में स्पष्ट रूप से कलियुग का प्रभाव है बुराई  से बचने का यदि कोई उपाय है तो वह है कथा श्रवण और संतों का सत्संग। कथा श्रवण से आपके विचार दूषित नहीं होंगे और जब आपके विचारों में पवित्रता होगी तो आचरण स्वत:ही श्रेष्ठ हो जाएगा। इसी मनोविज्ञान को समझते हुए हमारे ऋषियों ने कथा को सत्संग की व्यवस्था की थी।

महामंडलेश्वर का किया अभिनंदन, लिया आशीर्वाद

पतंजलि भारत स्वभिमान के महामंत्री एवं सोशल मीडिया प्रभारी नित्येंद्र आचार्य, जिला प्रभारी विशाल वर्मा एवं विजय उपाध्याय ने शुगर व गिलोय प्लांट देकर एवं पतंजलि के दुप्पटे से स्वामी जी का अभिनन्दन किया। सभी ने स्वामी जी को प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त किया। धार्मिक आयोजन का संचालन एडवोकेट कैलाश व्यास ने किया।