बड़ा फैसला : खौफ कायम करने के लिए दो भाइयों सहित तीन लोगों की कर दी थी हत्या, एक पुलिसकर्मी सहित सात अभियुक्तों को हुई उम्र कैद की सजा

रतलाम के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विशेष न्यायालय ने तीहरे हत्याकांड में एक पुलिसकर्मी सहित सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

बड़ा फैसला : खौफ कायम करने के लिए दो भाइयों सहित तीन लोगों की कर दी थी हत्या, एक पुलिसकर्मी सहित सात अभियुक्तों को हुई उम्र कैद की सजा
रतलाम में तिहरे हत्याकांड के सात अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा।

एसीएम टाइम्स @ रतलाम । शहर में करीब पौने आठ वर्ष पूर्व जवाहरनगर मुक्तिधाम के पास हुए तिहरे हत्याकांड के सात अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। अभियुक्तों में एक पुलिसकर्मी भी शामिल है। अभियुक्तों ने शहर में अपना खौफ कायम करने के लिए दो भाइयों सहित तीन लोगों की हत्या कर दी थी। फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विशेष न्यायालय (न्यायाधीश प्रयागलाल दिनकर) ने सुनाया।

अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजयकुमार पारस ने बताया कि 27 वर्षीय दौलत पिता खेमचंद्र चावड़ा निवासी राजीवनगर, उसका छोटा भाई 24 वर्षीय आनंद, साथी 25 वर्षीय धर्मेश राठौर उर्फ कालू उर्फ अंडा पुत्र रतनलाल राठौर निवासी इंद्रलोक, धर्मेंद्र चावड़ा व दुर्गेश 7 नवंबर 2016 की रात करीब 10.30 बजे मुक्तिधाम के सामने स्थित मंदिर के पास बैठकर सिगरेट पी रहे थे। तभी अभियुक्त अंकित उर्फ जटा, राहुल उर्फ ताई दो अन्य साथियों के साथ दो बाइक से पहुंचे और गाली-गलोच करते हुए उनसे कहा था कि यहां कैसे बैठे हो, बड़े तीस मार खां बनते हो। आनंद ने गाली-गलोच करने से मना किया तो अभियुक्त राहुल ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी थी। इसी दौरान राहुल के साथी ने आनंद को पकड़ लिया था तथा अंकित उर्फ जटा ने उस पर चाकू से हमला कर दिया।

जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था

दौलत चावड़ा बीच-बचाव करने गया तो उस पर भी चाकू से वार किए। अभियुक्त धर्मेश राठौर व दुर्गेश को भी मारने दौड़े तो वे वहां से भागने लगे। चारों अभियुक्तों ने धर्मेश को पकड़ लिया और उसके साथ मारपीट की थी। चाकू के वार व मारपीट से दौलत चावड़ा, आनंद व धर्मेश गंभीर घायल हो गए थे। इसके बाद अभियुक्त वहां से बाइक पर सवार होकर भाग गए थे। घायलों को जिला अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर ने तीनों को मृत घोषित कर दिया था। औद्योगिक क्षेत्र पुलिस ने धर्मेद्र चावड़ा की रिपोर्ट पर अंकित, राहुल व उनके साथियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर विवेचना के बाद न्यायालय में चालान पेश किया था। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी गोविंदप्रसाद घाटिया, अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक विजयकुमार पारस व तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक नीरज सक्सेना ने की।

नागदा रेलवे स्टेशन से किया था गिरफ्तार

वारदात के करीब एक सप्ताह बाद पुलिस ने अभियुक्त अंकित उर्फ जटा पिता राजेश सोलंकी निवासी सज्जन मिल रोड, राहुल उर्फ ताई पिता रमेशचंद्र, अंकित राठौर पिता मनोहरलाल राठौर, सुमेरसिंह उर्फ नाना पिता लालसिंह, गोविंदा उर्फ नरेंद्र पिता बहादुर सिंह व उज्जैन जिले के खाचरौद थाने पर पदस्थ तत्कालीन आरक्षक कुलदीप कुलदीप पिता ओमप्रकाश पांचों निवासी जवाहर नगर तथा मनोज उर्फ नेपाल पिता सत्यनायारण निवासी काला पत्थर उज्जैन को नागदा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। सभी जयपुर-इंदौर इंटरसिटी एक्सप्रेस से कहीं जा रहे थे। पूछताछ में उन्होंने पुलिस को बताया था कि वे वारदात के बाद फोरलेन पर सालाखेड़ी के आगे पहुंचे थे। कुलदीप उन्हें कार में बैठाकर काला पत्थर क्षेत्र उज्जैन में अपने रिश्तेदार मनोज उर्फ नेपाल पुत्र सत्यानारायण के घर ले गया था। अभियुक्तों में एक नाबालिग लड़का भी था जिसे 10 फरवरी 2023 को बाल न्यायालय द्वारा तिहरे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया जा चुका है।

किसे-क्या सजा मिली

अभियुक्त गोविंदा उर्फ नरेंद्र, राहुल उर्फ ताई व अंकित उर्फ जटा को भारतीय दंड विधान की धारा 302 (तीन शीर्ष में) सहपठित धारा 34 के तहत प्रत्येक शीर्ष के लिए आजीवन कारावास और पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना। धारा 120ख में भी तीनों को आजीवन कारावास व पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना किया गया। धारा 323 सहपठित धारा 34 में छह-छह माह का कारावास एक-एक हजार रुपए का जुर्माना। कुलदीप चावंड व मनोज उर्फ नेपाल को धारा 120ख में आजीवन कारावास व पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना तथा धारा 212 में चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास व दो-दो हजार रुपए का जुर्माना हुआ। सुमेरसिंह और अंकित राठौर को धारा 120ख में आजीवन कारावास व पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना सुनाया। कुलदीप व मनोज उर्फ नेपाल को धारा 120ख में आजावीन कारासाव व 5 हजार रुपए, धारा 212 में चार वर्ष व दो हजार रुपए, सुमेरसिंह व अंकित को 120ख में आजीवन कारावास व पांच हजार रुपए की सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।