प्रकटोत्सव (अक्षय तृतीया) विशेष : ‘अक्षय और अनंत है परशुराम यश-कर्म...’ -अज़हर हाशमी

ब्राह्मणों के आराध्य देव श्री परशुराम की महिमा जानिए कवि, गीतकार और लेखक प्रो. अज़हर हाशमी से।

प्रकटोत्सव (अक्षय तृतीया) विशेष : ‘अक्षय और अनंत है परशुराम यश-कर्म...’ -अज़हर हाशमी
भगवान श्री परशुराम के प्रकटोत्सव पर विशेष।

श्री परशुराम

 

अक्षय तृतीया कहती,

परशुराम का मर्म ।

 

अक्षय और अनंत है,

परशुराम यश-कर्म ।।

 

परशुराम तो 'तेज' है,

परशुराम है 'त्याग' ।

 

कश्यप को दे दी धरा,

नहीं मोह - अनुराग ।।

 

परशुराम का अभिप्राय,

शास्त्र-शस्त्र का ज्ञान ।

 

परशुराम यानी सतत,

सत्य-तपस्या-ध्यान ।।

 

सहस्रार्जुन दरअसल,

अत्याचार प्रचंड ।

 

परशुराम का अर्थ है,

अन्यायी को दंड।।

 

परशु का मतलब 'प्रताप',

राम है 'पुण्य' प्रशस्त ।

 

यानी पुण्य - प्रताप से,

पाप हमेशा ध्वस्त ।।

(प्रो. अज़हर हाशमी)

 

(कवि, गीतकार, लेखक ‘प्रो. अज़हर हाशमी’ के गीत संग्रह ‘अपना ही गणतंत्र है बंधु’ से साभार।)